चार साल बाद दौड़ेगी मेट्रो
चार साल बाद दौड़ेगी मेट्रो
बहुत चुनौतियां हैं बनारस मेट्रो प्रोजेक्ट में: ई श्रीधरन - मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने कहा कि चुनौतियों के बावजूद होगा काम, फर्स्ट फेज शुरू होने में लगेंगे चार साल - फर्स्ट के बाद सेकेंड फेज का वर्क दो साल पूरा होगा, शहर की पौराणिकता को भी बनाए रखेंगे 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढजो भी बनारसी दो साल बाद अपने शहर में मेट्रो की सवारी का सपना देख रहे हैं, उन्हें ये जानकार दु:ख होगा कि बनारस में फर्स्ट फेज के रूट पर मेट्रो दौड़ने में करीब चार साल लगेंगे। ये कहना है यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन के चीफ एडवाइजर तथा मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन का। वाराणसी मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए बनारस में पहुंचे श्रीधरन ने शुक्रवार को प्रस्तावित मेट्रो रूट का फिजिकल वेरीफिकेशन के बाद ये बातें कहीं। ये भी कहा कि बनारस में मेट्रो देश का अब तक का सबसे चैलेंजिंग प्रोजेक्ट है। इसमें बेहद तंग एरियाज में काम करने के साथ शहर के पौराणिक स्वरूप को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। फिर भी ये काम होगा।
शुक्रवार को परियोजना को सिर्फ शुरू करने का वादा ही नहीं किया बल्कि पहले फेज के काम को चार सालों में पूरा करने की बात भी कही। उन्होंने शुक्रवार को पूरा दिन शहर का भ्रमण किया। प्रस्तावित रूट का भौतिक सत्यापन करने के बाद दम भरते हुए कहा मुश्किल है लेकिन होगा।
सबसे अलग और कठिन प्रोजेक्ट मेट्रो मैन राइट्स कंपनी, लखनऊ मेट्रो व वीडीए के टेक्निकल एक्सपर्ट्स की टीम के साथ शुक्रवार की सुबह लंका स्थित बीएचयू गेट से बेनियाबाग होते हुए सारनाथ तक का भ्रमण किया। इसके बाद बेनियाबाग से तरना स्थित भेल तक का भी रूट देखा। ये निष्कर्ष निकाला कि बनारस में मेट्रो परियोजना को आकार देना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है लेकिन असंभव नहीं। नदेसर स्थित एक होटल में अनऑफिशियल प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने ये भी कहा बनारस मेट्रो प्रोजेक्ट देश के अन्य प्रोजेक्ट्स से बिल्कुल अलग और बेहद कठिन है। फिर भी इसे स्टेपवाइज आकार दिया जाएगा। चार साल में बनारस मेट्रो का पहला कारीडोर तो छह साल में दूसरा कारीडोर पूरा किया जाएगा।ई श्रीधरन ने कहा कि बनारस में कई तरह की चुनौतियां हैं और इसी वजह से वक्त ज्यादा लगेगा। इसके लिए टेक्निकली बेहद मजबूत, अनुभवी और दक्ष कंपनी को काम की जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सारनाथ में पुरातत्व विभाग के अड़ंगे को भी बातचीत के जरिये हल कर लिया जाएगा। जहां से पुरातत्व क्षेत्र शुरू होता है, यानि हवेलिया से सारनाथ स्टेशन तक अंडरग्राउंड रूट बनाया जाएगा। उन्होंने कहा यहां की सर्वे रिपोर्ट केंद्र व राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है। 17,000 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 20-20 परसेंट बजट केंद्र व राज्य देंगे जबकि 60 परसेंट प्राइवेट सेक्टर से कर्ज के रूप में लिया जाएगा। उन्होंने ये नहीं बताया कि प्रोजेक्ट कब शुरू होगा लेकिन ये कहा कि अगले साल से बनारस में बदलाव की शुरूआत होगी।
एक प्रोजेक्ट में रोड़े अनेक - मेट्रो वर्क में शहर का ढांचा, संकरी सड़कें, घनी आबादी सबसे बड़ी चुनौती है। - फर्स्ट फेज में बेहद घने दशाश्वमेध, बेनियाबाग, चौक एरिया में काम होना है। - अंडरग्राउंड वर्क में पुराने मकानों तथा शाही नाले को बचाना होगा दुरुह काम। - अंडरग्राउंड वर्क के बावजूद ऊपर के एरिया में ट्रैफिक कंट्रोल डायवर्जन करना होगा। - जगह की कमी को देखते हुए ज्यादातर मेट्रो रूट व स्टेशन अंडरग्राउंड ही रहेगा। रुड्डह्लद्गह्यह्ल ह्लद्गष्द्धठ्ठश्रद्यश्रद्द4 का होगा इस्तेमला - तकनीकी चुनौतियों के चलते ही बनारस में सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी यूज होगी।- अब तक की सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा।
- ऐसी मशीने यूज होगी जो अब तक किसी मेट्रो प्रोजेक्ट में नहीं इस्तेमाल हुई।
- भूमिगत रूट के लिए स्पेशल पुशिंग-ड्रिलिंग मशीन जापान से मंगाई जाएगी। - जापान में भी पुराने शहर के बीच अंडरग्राउंड मेट्रो के लिए यही मशीन यूज हुई। प्लान से होगा काम - ट्रैफिक और दूसरी दिक्कतों से बचाने के लिए दिन की बजाय रात में काम होगा। - प्लान ये है कि मैक्सिमम काम रात 11 बजे से भोर में चार बजे तक किया जाए। - प्रस्तावित रूट पर 300-300 मीटर ब्लाक कर चरणबद्ध तरीके से कार्य होगा। - ट्रैफिक तथा रूट डायवर्जन की पूरी जिम्मेदारी भी कार्यदायी संस्था की होगी सफाई देखकर बदल जायेंगे बनारसी वाराणसी मेट्रो पर बनारस की 'पान-पीक' की संस्कृति दाग न लगा दे। इस संभावना को श्रीधरन ने सिरे से नकार दिया। कहा कि पुरानी दिल्ली के आसपास के स्टेशन बनाते समय भी ये सवाल हमारे दिमाग में था क्योंकि वहां भी पान वाला कल्चर है लेकिन चांदनी चौक और चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन के अनुभव के आधार परं कह सकते हैं कि मेट्रो की स्वच्छता बनारसियों का मन बदल देगी।