क्रिकेट के लिए टाउनहाल मैदान फुटबाल के लिए बेनियाबाग का ग्राउंड तो हॉकी के लिए शिवपुर स्टेडियम काफी फेमस है लेकिन स्मार्ट सिटी ने टाउनहाल व बेनियाबाग में मल्टीलेबल पार्किंग बनाकर चौके-छक्के व गोल-पे-गोल की आवाज को हमेशा के लिए शांत कर दिया. आने वाले समय में मिनी स्टेडियम शिवपुर में हॉकी के स्टीक की आवाज भी खामोश हो सकती है.

वाराणसी (ब्यूरो)सिगरा स्टेडियम को छोड़ दिया जाए तो शहर में खेल के लिए एक मात्र मिनी स्टेडियम शिवपुर ही बचा है। सांसद व विधायक निधि से लाखों रुपये खर्च किया गया, लेकिन वह खिलाडिय़ों के काम नहीं आया। चंदा व एकेडमी की मदद से हॉकी के खिलाड़ी अपने खेल को निखारने में जुटे हैं। इसके लिए जिम्मेदारों से खिलाडिय़ों का एक ही सवाल है कि साहब मिनी स्टेडियम शिवपुर की इतनी बेकदरी क्यों।

वीडीए ने खड़ी कराई बाउंड्रीवाल
मिनी स्टेडियम शिवपुर के चारों तरफ वीडीए की कालोनी है। स्टेडियम में बाउंड्रीवाल नहीं थी। 2006 में कालोनी के लोगों की मांग पर वीडीए ने करीब पांच लाख रुपये से मैदान की बाउंड्रीवाल व लोहे का गेट लगवाया, जिसका तत्कालीन राज्यमंत्री वीरेंद्र सिंह ने उद्घाटन किया था। इसके बाद वीडीए ने मैदान को अपने हाल पर छोड़ दिया।

7 लाख से तैयार हुआ डे्रसिंग रूम
खिलाडिय़ों की लगातार मांग को देखते हुए छह साल बाद 2012-13 में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत मिनी स्टेडियम शिवपुर में 7.7 लाख रुपये से ड्रेसिंग रूम का निर्माण कराया गया। कार्यदायी संस्था समाज कल्याण निर्माण निगम थी। लोक-लेखा समिति के अध्यक्ष एवं तत्कालीन वाराणसी सांसद मुरली मनोहर जोशी ने ड्रेसिंग रूम का उद्घाटन किया था।

साढ़े छह लाख से बना स्टेचर
करीब दो साल बाद मिनी स्टेडियम शिवपुर में विकास की नींव रखी। विधानसभा क्षेत्र विकास निधि से 2014-15 में 6.38 लाख से दर्शकों को बैठने के लिए 20 मीटर तक स्टेचर का निर्माण कराया गया, जिसे ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने पूरा किया। तत्कालीन विधायक रविंद्र जायसवाल ने इसका उद्घाटन किया। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत खिलाडिय़ों के लिए सामुदायिक शौचालय बनाया गया, जो पूरे टाइम बंद रहता है।

सिर्फ दिखाने के लिए ये सुविधाएं
मिनी स्टेडियम शिवपुर में डे्रसिंग रूम, स्टेचर, शौचालय का निर्माण कराया गया, लेकिन यह खिलाडिय़ों के काम का नहीं है। डे्रसिंग रूम व शौचालय में हमेशा ताला बंद रहता है। स्टेचर पर बैठने के लिए दर्शक आते नहीं हैं। मैदान की देखरेख के लिए कोई नहीं है। खिलाडिय़ों को ट्रेनिंग देने के लिए कोच भी नहीं है।

चंदा लेकर संवारते हैं मैदान
विवेक सिंह, राहुल सिंह, सिंह सिस्टर्स, ललित उपाध्याय समेत कई इंटरनेशनल व नेशनल खिलाड़ी दे चुके ओलंपियन विवेक सिंह मिनी स्टेडियम शिवपुर की बदहाल स्थिति देखकर हर खिलाड़ी चिंतित है। ओलंपियन विवेक सिंह शिवपुर के ही थे। उनके निधन के बाद खिलाडिय़ों के आग्रह पर स्टेडियम का नामकरण किया गया था। तब उम्मीद जगी थी कि वर्षों पुराने स्टेडियम के विकास के लिए मजबूत पहल होगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। जगह-जगह ऊबडख़ाबड़ मैदान में घास-पतवार उग आए हैं। रोजाना यहां प्रैक्टिस के लिए खिलाड़ी आते हैं, लेकिन उन्हें हर छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए चंदे का सहारा होता है।

शहर का एक मात्र स्टेडियम है। बावजूद इसके बेकदरी की जा रही है। खिलाडिय़ों के लिए कोई सुविधा नहीं है। विवेक सिंह एकेडमी की मदद से गरीब बच्चों को ट्रैक सूट, स्टीक, गेंद आदि खेल के सामान उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बतौर कोच मैं भी फ्री सेवा देता हूं।
-प्रशांत वाजपेयी

स्टेडियम की देखरेख के लिए कोई व्यक्ति नहीं है। चंदा व एकेडमी के सहयोग से मैदान को संवारा जाता है। खिलाडिय़ों के लिए बने सामुदायिक शौचालय, डे्रसिंग रूम भी बंद रहता है। इसी मैदान से कई खिलाड़ी इंटरनेशनल व नेशनल खेल चुके हैं।
-प्रिंस श्रीवास्तव

यह स्टेडियम लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है। शहर के विधायक खेल राज्यमंत्री भी थे। बावजूद इसके इस मैदान के विकास को लेकर कोई काम नहीं हुआ। नगर निगम ने टाउनहाल व बेनियाबाग में पार्किंग बनाकर खेल को प्रभावित किया है, लेकिन कोई बोलने वाला नहीं है।
-प्रशांत यादव

हॉकी खेल के लिए मिनी स्टेडियम शिवपुर मक्का है, यहां के कई खिलाडिय़ों ने अपनी प्रतिभा से देश-विदेश में नाम रोशन किया है। कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी ललित उपाध्याय भी इसी मैदान से खेलकर आगे गए हैं। बावजूद इसके स्टेडियम की उपेक्षा की जा रही है।
-राजदेव कुमार

Posted By: Inextlive