तो कई गांव बन जाएंगे शहर
- नगर निगम ने शासन को शहरी सीमा का विस्तार करने का भेजा प्रस्ताव
1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ ग्रामीण क्षेत्रों में खेती बारी वाली जमीनों पर भी हो बन रहे क्रंक्रीट के जंगलों के चलते जल्द ही शहरी सीमा बढ़ सकती है। इस बाबत नगर निगम ने एक प्रस्ताव शासन को भेजा है जिसमें इन गांवों को नगरीय सीमा में शामिल करने की मांग की गई है। वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित खरे के अनुसार वर्ष 1990 से किसी भी कॉलोनाइजर ने ले-आउट को पास नहीं कराया है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार की अराजकता के साथ बनारस में अनियोजित विकास हुआ है। - निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक 1990 में नगरीय सीमा के अन्तर्गत करीब सवा लाख घर थे - वर्तमान में एक लाख 82 हजार पांच सौ घर गृहकर अदा कर रहे हैं।- रिकॉर्ड के मुताबिक बीते तीन दशक में 50 हजार शहरी सीमा में बने
- नगरीय सीमा से सटे गांवों में 30 हजार से अधिक मकान बने। नियम कानून ताक परवीडीए के नियमों के पेंच से बचने के लिए कॉलोनाइजरों ने नायाब तरीका अपनाया है। किसानों से एक सौ रुपये के स्टांप पर अनुबंध करते हैं और जब जमीन का खरीददार तैयार हो जाता है तो सीधे किसान से जमीन की रजिस्ट्री कराते हैं। इससे ले-आउट पास कराने की बाध्यता से वे बच जाते हैं।
अभी हैं पांच सौ अवैध कॉलोनियां - वीडीए रिकॉर्ड के अनुसार वर्तमान में करीब पांच सौ कॉलोनियां अवैध हैं। - वर्ष 2008 में तत्कालीन डीएम वीणा ने अवैध कॉलोनियों पर सख्ती की थी - उस समय इनकी संख्या 292 थी। - प्रेजेंट टाइम में बाबतपुर, मोहाव, हरहुआ, चोलापुर, चिरईगांव, मोहनसराय, गंगापुर, अकेलवां, बच्छाव व करसड़ा तक अवैध कॉलोनियों का कारोबार हो रहा है।