खरीदारी हुई फर्जी, खूब की मनमर्जी
- नगर निगम के परिवहन विभाग में हुए घोटाले में जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
- गाडि़यों के खरीदे गये पार्ट्स में अनियमितता के चलते निगम को 22 लाख की चपत, पांच कर्मचारी सस्पेंड VARANASIनगर निगम के परिवहन विभाग में हुआ घोटाला आखिरकार सामाने आ गया। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नगर आयुक्त को सौंप दी। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार खरीदारी में हुए खेल के चलते नगर निगम को 22 लाख 48 हजार की चपत लगा है। रिपोर्ट आने के बाद मामले में निगम के पांच कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि एक्सईएन पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजने की बात कही गयी। नगर आयुक्त के अनुसार यह नुकसान करोड़ भी हो सकता है, लेकिन जांच टीम इसका खुलासा नहीं कर पाई। गाडि़यों के पार्ट्स की खरीद में 10 से 20 प्रतिशत का घपला हुआ है।
लॉग बुक भी मेंटेन नहीं मिला
नगर आयुक्त गौरांग राठी ने मीडिया से कमेटी की रिपोर्ट दिखाते हुए कहा कि परिवहन विभाग में गलत प्रक्रिया से नगर निगम को राजस्व घाटा हुआ है। वाहनों व पार्ट्स की खरीद वाली मदर फाइल से मिलान करके खरीदारी नहीं हुई। जो लॉग बुक है वह भी मेंटेन नहीं किया गया।डिमांड से ज्यादा पार्ट्स खरीदे गए
नगर आयुक्त के अनुसार वाहनों में स्पेयर पार्ट्स के रिप्लेस का कोई लेखा-जोखा नहीं मिला है। इस कारण यह बताना मुश्किल है कि कितना राजस्व घाटा हुआ। 2018-19 की इस जांच में यह भी सामने आया कि ड्राइवरों की मांग से ज्यादा पार्ट्स खरीदे गए, जिससे 10 से 20 प्रतिशत का राजस्व घाटा हुआ। वहीं टायर-ट्यूब की खरीद पर 22 लाख 48 हजार का खर्च हुआ। दोषी माए गए ये कर्मचारी सीडीओ की अगुवाई में अपर नगर आयुक्त देवी दयाल वर्मा के नेतृत्व में जांच करने वाली फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने तात्कालिक जूनियर फीटर संतोष कुमार सिंह, परिवहन लिपिक वाचस्पति मिश्र, डीजल पम्प लिपिक दिनेश कुमार, नवनीत कुमार, अवर अभियंता ललित मोहन श्रीवास्तव को दोषी माना। जिन्हे नगर आयुक्त ने तत्काल सस्पेंड कर चार्जशीट जारी कर दी। इसके अलावा परिवहन प्रभारी एवं एक्सईएन विद्युत एवं यांत्रिक अजय राम के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा है।नगर निगम के वाहनों के पार्ट्स की खरीद-फरोख्त में फमरें का खेल भी सामने आया है, जिसके बाद 10 फर्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। जिसमें चार पर मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। नगर आयुक्त ने गाडि़यों कीरिपेयरिंग, पार्ट्स की खरीद-फरोख्त करने में गड़बडी मिली। ब्लैक लिस्टेड फर्मो में नेशनल इलेक्ट्रिक, यूनाइटेड सेल एंड कंपनी, एलाइड इन कार्पोरेशन, मनीष आटो सेल्स शामिल हैं। जांच के दायरे में 17 फर्म थे उनमें 7 फर्म ऐसे हैं जो पंजाब व अन्य शहरों के हैं। इन फमरें में से चार ऐसे फर्म हैं जिनका पता एक ही है।
एक कॉम्पेक्टर का 10 बार रिपेयर जांच कमेटी के साक्ष्यों का उल्लेख करते हुए नगर आयुक्त ने बताया कि एक साल में दो करोड़ 22 लाख का कॉम्पेक्टर खरीदा गया। इन कॉम्पेक्टरों को 10 से 12 बार रिपेयर दिखाया गया। वहीं जो पाटर््स इन कॉम्पेक्टरों में लगाए गए उनके मेक यानी किस कंपनी का लगा इसका उल्लेख नहीं है। जो आठ करोड़ 66 लाख रुपये जेम पोर्टल से सामानों की खरीदारी की गई उनमें भी गलतियां हैं।