- चाइनीज मंझा में फंसकर रेलवे ट्रैक पर गिरी महिला की ट्रेन से कटकर मौत

- अगर रोक नहीं लगी तो कई जान ले लेगा चाइनीज मंझा

VARANASI : चाइनीज मंझा कितना खतरनाक है, ये पूरा शहर जानता है। नहीं जानता तो बनारस का प्रशासन, या जानबूझकर आंख मूंदकर बैठा हुआ है। कभी किसी की अंगुली कटती है तो कभी ये किसी की गर्दन रेत देता है। गुरुवार को इस मंझे में फंसकर एक महिला रेलवे ट्रैक पर जा गिरी और ट्रेन से कटने से उसकी ऑन स्पॉट मौत हो गई। प्रशासन ने अगर अब भी कोई स्ट्रिक्ट एक्शन नहीं लिया तो ये 'ड्रैगन' कई और लोगों की जान भी ले लेगा। चलिए हम एक बार फिर चाइनीज मंझे के खतरे से आगाह करने की कोशिश कर रहे हैं, शायद प्रशासन की नींद खुल जाए।

मौत की वजह बना मांझा

आखिर चाइनीज मांझा अपने मकसद में कामयाब हो ही गया। अभी तक लोगों की गर्दन, नाक, कान, हांथ काट रहा था गुरुवार को एक जिंदगी ले ली। इसका शिकार बनीं सरबरी बेगम (ब्ख्).अपने परिवार की सलामती के लिए परवरदिगार की इबादत को निकलीं सरबरी बेगम घर जिंदा नहीं लौट सकीं। बीच रास्ते में मौत ने उन्हें अपनी आगोश में ले लिया। मौत का परवाना बनकर आसमान में उड़ रहे चाइनीज मांझा ने उन्हें टै्रक पर पूरी रफ्तार में दौड़ती ट्रेन के आगे फेंक दिया। ट्रेन ने उसकी मंशा भांप ली और पलक झपकते ही टुकड़े कर डाले।

उड़कर आयी मौत

सरबरी बेगम सुबह लाट सरैया पर फातिहा पढ़ने गयी थी। देर तक वहां रहने के बाद घर की ओर लौट रही थी। कज्जाकपुरा में कई लड़के चाइनीज मांझा के जरिए पतंग उड़ा रहे थे। पेंच लड़ाते हुए एक-दूसरे की पतंग काट रहे थे। इबादत के बाद क्0.फ्0 बजे सरबरी बेगम पैदल चलते हुए कज्जाकपुरा में रेलवे टै्रक के पास पहुंची थी। इसी दौरान आसमान में उड़ रही एक पतंग कट गयी। उससे बंधा चाइनीज मांझा डोर जमीन की ओर गिरने लगी। सरबरी बेगम की नजर उस पर पड़ती उससे पहले ही वह पैरों में लिपट गया। आसपास मौजूद लोगों ने देखा कि वह निकालने की कोशिश की करती कि उससे पहले तेज धार ने पैर को रेतना शुरू कर दिया। असहनीय दर्द से चिल्लाती सरबरी बेगम रेलवे टै्रक पर जा गिरी। इसी दौरान गोरखपुर-भटनी पैसेंजर ट्रेन आ पहुंची। उसने सरबरी बेगम के शरीर के टुकड़े कर डाले।

परिवार ने किया था आगाह

आदमपुर थाना एरिया के सुग्गा गडही की रहने वाली सरबरी बेगम के पति मो। सोहेल पति समेत परिवार के अन्य सदस्यों ने चाइनीज मांझा के बढ़ते कहर को भांप लिया था। उन्होंने रेलवे टै्रक के आसपास पतंगबाजी करने वालों से सावधान रहने के लिए आगाह किया था। वह सावधान रहती थी लेकिन उनकी नजरें बचाकर मौत का परवाना आ ही पहुंचा। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पति सब्जी बेचते हैं जिससे सरबरी बेगम के साथ सात लड़का और एक लड़की के परिवार की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं। उनके सहयोग के लिए सरबरी बेगम भी सब्जी बेचती थी। बड़ी मंडियों से सब्जी लाना और उसे छित्तनपुरा में बेचती थी। दिन भर की होने वाली आमदनी से दाल-रोटी का कुछ इंतजाम हो जाता था। उसे अल्लाह की रहमत का भरोसा था। इबादत का कोई मौका नहीं चूकती थी। हर गुरुवार को खास तौर पर लाट सरैया पर फातिहा पढ़ने जाती थी।

कब थमेगा डै्रगन का वार

-चाइनीज मांझा दिन ब दिन घातक हो जा रहा है। कोई ऐसा दिन नहीं जब वह किसी को अपना शिकार न बनाता हो

-अक्टूबर माह में सिगरा के रहने वाले रमेन्द्र और लंका के संदीप यादव समेत दो दर्जन से अधिक लोगों को शिकार बनाया था

-नवम्बर माह में भी कहर कुछ कम नहीं हुआ। लंका के अजय प्रताप, दशाश्वमेध के शिवप्रकाश समेत तीन दर्जन लोग इसकी चपेट में आए

-आसमान में उड़ता चाइनीज मांझा किसी की गर्दन काट रहा है तो किसी की नाक काट रहा है

-इसके सबसे ज्यादा शिकार राह चलते लोग रहे हैं। बाइक सवार या पैदल के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है

-घरों की छतों, बालकनी पर मौजूद लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। चाइनीज मांझा उनके शरीर को रेत रहे हैं

-नुकसान पहुंचाने में यह किसी के साथ पक्षपात नहीं करता है। बच्चे, यंगस्टर्स, लेडीज, जेंट्स हर कोई निशाने पर है

-यह मांझा परवाज भरने वाले परिंदों का पर रेत रहा है। इंसान के लिए फायदेमंद जानवर भी इससे नहीं बच पा रहे हैं

सड़क से लेकर सांसद तक विरोध

-चाइनीज मांझा का विरोध भी खूब हो रहा है। हर किसी को मालूम है कि इस पर अभी लगाम नहीं लगी तो दिन ब दिन घातक होता जाएगा

-चाइनीज मांझा के बढ़ते कहर की शिकायत रवीन्द्रपुरी निवासी अनूप सिंह ने पीएम के संसदीय कार्यालय में की है

-सामाजिक संस्था सुबह ए बनारस के सदस्यों ने विरोध मार्च निकालकर प्रतिबंध लगाने की मांग की है

-इकरा फाउंडेशन के सदस्यों ने चाइनीज मांझा की होली जलाकर इसका विरोध करते हुए इस्तेमाल को घातक बताया

-शुरुआत संस्था ने विरोध मार्च निकाला और पैम्फलेट बांटकर लोगों से विरोध के लिए जागरूक कर रहे हैं

-ताना-बाना के साथ मोटे-महीन धागों को अंगुलियों के इशारे पर नचाने वाले बुनकर चाइनीज मांझा को मौत का सामान बता रहे हैं

कब खुलेगी इनकी नींद

-प्रशासन पिछले साल चाइनीज मांझा पर प्रतिबंध लगाकर भूल गया है। इस साल अभी तक किसी दुकान पर छापेमारी नहीं हुई

-चाइनीज मांझा के मार्केट में आने से देसी मांझा का इस्तेमाल बेहद कम हो गया। इसका असर मांझा उद्योग पर पड़ रहा है। कारीगर बेरोजगार हो रहे हैं

-पहले देसी मांझा की जबरदस्त डिमांड रहती थी। हर साल शहर में लाखों रुपये का कारोबार होता था। जो कि अब महज हजारों तक सिमटकर रह गया है।

-चाइनीज मांझा का सबसे बड़ा सेंटर दालमंडी है। पतंग, मांझा के मार्केट में लगभग दो सौ छोटी-बड़ी दुकानों पर यह आसानी से मिलता है

-शिवाला, लंका, नवाबगंज, सुंदरपुर, लल्लापुरा, अर्दली बाजार, पाण्डेयपुर, पंचक्रोशी समेत कई बाजारों में मौजूद है

सैकड़ों दुकानों पर मौत का सामान

-अब ठंड आने के साथ ही पतंगबाजी शुरू हो गयी है। इसी के साथ चाइनीज मांझे की बिक्री भी तेज हो गयी है। खुलेआम इसकी सेलिंग हो रही है

-बच्चों से लेकर बड़े तक इसे खरीद रहे हैं और पतंगबाजी के दौरान लोगों का गला रेत रहे हैं लेकिन लोकल एडमिनिस्ट्रेशन का इस पर ध्यान ही नहीं है

-जबकि सिटी में पांच सौ से अधिक दुकानों से मांझे की बिक्री हो रही है। इनमें से कई दुकानें थानों, चौकियों व पिकेट के पास मौजूद हैं

-इसके बावजूद पुलिस या किसी प्रशासनिक अधिकारी की इन दुकानों पर नजर नहीं जा रही है।

मामला मोटी कमाई का

अगर कोई चाइनीज मांझा से बचने की कोशिश करे तो दुकानदार उसे समझा रहे हैं कि यह इंडिया में तैयार और कम घातक है। भरोसा दिलाने के लिए कुछ कम्पनियों के बैनर-पोस्टर भी प्रस्तुत कर दे रहे हैं। बेहद शार्प होने की वजह से चाइनीज मांझा की अच्छी डिमांड रहती है। पतंगबाज इसके लिए मुंहमांगी रकम अदा करते को तैयार रहते हैं। शहर में बिकने वाला चाइनीज मांझा अलीगढ़, बरेली, आगरा से आता है। कई बड़े दुकानदार इसे शहर में तैयार भी करते हैं। सामान्य मांझा को शॉर्प बनाने के लिए उसमें तागे का काफी मजबूती से इस्तेमाल किया जाता है। इस पर केमिकल के साथ शीशे के बुरादे का लेप भी लगाया जाता है।

Posted By: Inextlive