- कमांडेंट ने लिखा डीएम को लेटर, जमीन का मसला शीघ्र हल करने की मांग

- रेट के कारण बाबतपुर में 20 एकड़ जमीन अधिग्रहण पर लगा अड़ंगा

परिवार से दूर रहकर चुनौती भरे हालात में हर दिन सुरक्षा ड्यूटी करने वाले जवानों को तरोताजा रहने के लिए पूरा आराम चाहिए। वाराणसी में ड्यूटी कर रही सीआरपीएफ की 95वीं बटालियन के जवान फिलहाल इसी के लिए तरस रहे हैं। पहडि़या मंडी के एक हिस्से में अस्थाई इंतजाम में पिछले 24 साल से चल रहे कैंप को यहीं स्थायी करने की मांग की जा रही है। इस सिलसिले में सीआरपीएफ के कमांडेंट एनपी सिंह ने डीएम सुरेंद्र सिंह को पत्र लिखा है। सीआरपीएफ की डिमांड है कि शहर के करीब होने के कारण उसे पहडि़या मंडी में ही जमीन मुहैया कराई जाए।

सीआरपीएफ ने मांगी थी 20 एकड़ जमीन

सीआरपीएफ कैंप के लिए वाराणसी में लंबे समय से जमीन तलाशी जा रही है। सीआरपीएफ ने स्थायी कैंप के लिए लगभग 20 एकड़ जमीन की मांग की थी। इसके लिए चौबेपुर, बाबतपुर और चोलापुर समेत शहर में कई जगहों पर जमीनें प्रस्तावित की गई। सर्वे के बाद बाबतपुर में 20 एकड़ जमीन को स्वीकृति भी मिली मगर जमीन के महंगे दाम के कारण मामला खटाई में पड़ गया। इसके बाद से फिलहाल सीआरपीएफ के लिए शहर में कहीं जमीन नहीं है।

टिनशेड में रहते हैं जवान

पहडि़या मंडी में सीआरपीएफ के अस्थाई कैंप की बात करें तो थकाने वाली ड्यूटी के बाद आराम के नाम पर जवान यहां मौसम की मार झेलते हैं। मंडी के एक हिस्से में सीआरपीएफ को 16 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। यहां पहले से बनी दुकानों और टिनशेड में जवान जाड़े और गर्मी के मौसम काटते हैं। उनके रहने के लिए न पक्की छत है, न ही कोई और इंतजाम। मेस, लाइब्रेरी, कैंटीन और ऑफिस सभी अस्थाई निर्माणों में ही चल रहे हैं। सीआरपीएफ के रेग्यूलेशन में यह बात साफ लिखी है कि अस्थाई कैंप वाली जगह पर वह कोई भी स्थायी निर्माण नहीं कर सकते हैं।

पहडि़या मंडी है मुफीद

सीआरपीएफ कमांडेंट एनपी सिंह ने डीएम को लिखे पत्र में कहा है कि पहडि़या मंडी की जगह जवानों के लिए हर लिहाज से मुफीद है। सुरक्षा मानकों पर यहां थोड़े से रद्दोबदल के साथ सुधार संभव है। शहर के नजदीक होने के कारण सीआरपीएफ कम समय में कहीं भी पहुंच सकती है। साथ ही शहरी क्षेत्र होने के कारण तमाम जवान यहां परिवार के साथ भी रह सकते हैं। उन्होंने मांग की है कि मंडी में आवंटित 16 एकड़ जमीन को ही स्थायी रूप से सीआरपीएफ को दे दी जाए।

बयान

जवान ड्यूटी के लिए हर वक्त खड़ा है। ऐसे में उसे बुनियादी सुविधाएं देना हमारी जिम्मेदारी है। प्रशासन से उम्मीद है कि इस मसले पर वह जल्द ही कोई निष्कर्ष निकालेंगे।

एनपी सिंह, कमांडेंट 95 बटालियन सीआरपीएफ

फैक्ट फाइल

- 1994 में पहडि़या में बना था सीआरपीएफ का अस्थायी कैंप

- 24 साल से अस्थायी इंतजाम में रह रही सीआरपीएफ

- 1200 के करीब जवान रहते हैं पहडि़या कैंप में

- 100 से ज्यादा जवान परिवार लेकर रहते हैं आसपास के इलाकों में

- 16 एकड़ जमीन में बसा है अस्थाई कैंप

- 20 एकड़ जमीन चाहिए सीआरपीएफ को कैंप के लिए

Posted By: Inextlive