शौकिया पेंटिंग से पत्थरों को नुकसान पेंट केमिकल से पत्थर व जोड़ हो रहे कमजोर वाटर हैड टैैंक पर बनी भगवान शिव की पेंटिंग हुई बदसूरत

ßæÚæ‡æâè (ŽØêÚæð)Ðदुनिया के प्राचीन शहरों व सभ्याता में बनारस की गिनती होती है। इस शहर के ज्ञान, विज्ञान, शिक्षा, लोक दर्शन, इतिहास, भूगोल, विस्तार और डिफरेंट भाषाभासी व संप्रदाय के लोगों की वजह से दुनिया आर्कषण के नजरिये से देखती है। गंगा और इसके तट पर बने मनोरम घाट के मस्ती और रमणीयता के निमंत्रण को भला कौन ठुकरा सकता है। लोकिन, इन दिनों पेंटिंग और स्प्रे इश्तिहार लिखे जाने से करीब दो दर्जन से अधिक घाटों की सुंदरता बिगड़ गई है। वहीं, दशाश्वमेध घाट पर स्थित वाटर टैैंक के बेस से लेकर हेड तक भगवान शिव की पेंटिंग बनाई गई थी, जो अब कलर के छूटने से बदसूरत हो गई है। लिहाजा, घाटों पर देश-दुनिया से हजारों-लाखों की तादात में पब्लिक और सैलानी आते हैैं। ऐसे में बनारस की छवि अच्छी बनी रहे, इसके लिए नगर निगम और संबंधित संस्था एक्शन ले। घाटों पर की जाने वाली पेंटिंग को रोके और वाटर टैैंक के बेस वाल पर बनी भगवान शिव की पेंटिग को दोबारा पेंट करे।

इश्तिहार से पट गए घाट

घाट से अविरल गंगा और सूर्योदय को निहारने दूर देश-प्रदेश से हजारों लोग आते हैैं। इसका फायदा उठाने से विज्ञापन कंपनी या कई बिजनेस संस्थाएं नहीं चूकती। ये घाटों के पत्थरों और सीढिय़ों को विज्ञापन बोर्ड की तरह इस्तेमाल कर पेंट से बड़े-बड़े इश्तिहार लिखा गया है। इससे दरभंगा घाट, प्रयाग घाट, अहिल्याबाई घाट और दशाश्वमेध घाट समेत कई घाटों की सुंदरता पर बट्टïा लग गया है।

पेंट केमिकल से पत्थरों का क्षय

घाटों के पत्थरों पर पेंट, स्प्रे पेंट और केमिकलयुक्त रंग से विज्ञापन लिखे जाने से घाट के पत्थरों का मूल स्वरूप बिगड़ रहा है। पुरातत्व विभाग के एक्सपर्ट के अनुसार पेंट केमिकल सूरज की तीखी धूप में एक्टिव हो जाते हैैं। बारिश और कड़ाके की ठंड में पत्थरों के रवों को तोडऩे का काम करते हैैं। पत्थरों के एरोजन (क्षय) की प्रक्रिया बेशक धीमी है, लेकिन यदि समय रहते इनका संरक्षण नहीं किया गया तो इनकी बर्बादी निश्चित है।

क्या है नियम

भारत देश में ऐतिहासिक महत्व और सौ साल पुराने धरोहर को पेंट से रंगना, खंरोचना, छेड़छाड़ करना और मूल स्वरूप को नुकसान पहुंचाना कानून अपराध है। किसी भी प्राइवेट और सरकारी विभाग द्वारा बैगर भारतीय पुरातत्व एंव संरक्षण विभाग की अनुमति के बैगर पेंट या लिखावट गैर कानूनी है। लिहाजा, पेंट और मूल स्वरूप को छेडऩे से बचें।

पेंटिंग वाले इश्तिहार से घाटों की सुंदरता को नुकसान पहुंच रहा है। पेंट केमिकल के नुकसान तत्कान तो नहीं दिखते, लेकिन, शैने-शैने फ्यूचर में पत्थरों को काफी नुकसान पहुंचता है। पेंट, शौकिया तौर पर पेंटिंग, इश्तिहार पेंटिंग और तोडफ़ोड़ नहीं होनी चाहिए। तभी हम बनारस की बहुमूल्य धरोहर को संरक्षित कर पाएंगे।

प्रो महेश प्रसाद अहिरवार, प्राचीन व पुरातत्व इतिहास विभाग, बीएचयू

Posted By: Inextlive