- बच्चों के यूनिफॉर्म से लेकर बैग और स्टेशनरी पर जीएसटी का असर

- लास्ट ईयर की अपेक्षा इस साल अधिक बढ़ गया बच्चों का स्कूली खर्च

VARANASI

जीएसटी को भले ही सरकार कारगर मान रही है लेकिन स्कूली आइटम्स पर लगे जीएसटी को पेरेंट्स कहीं से भी उचित नहीं ठहरा रहे। स्कूल खुलने के बाद स्टेशनरी, बैग और यूनीफॉर्म की बढ़ी दरों ने पेरेंट्स को टेंशन में डाल दिया। सभी पर जीएसटी का असर है। स्कूली बैग जहां पहले तीन से साढ़े तीन सौ में मिल जाते थे अब वही बैग पांच से छह सौ रुपये में बिल पर्ची के साथ मिल रहे हैं। यूनीफॉर्म की दर भी इसलिए बढ़ गई कि कपड़े पर भी जीएसटी पहली बार लगाया गया। कॉपी किताब सहित स्टेशनरी आदि आइटम्स पर जीएसटी के बोझ ने भी पेरेंट्स का बजट गड़बड़ा दिया। प्राइवेट स्कूल की फीस को लेकर वैसे ही टेंशन में रहने वाले पेरेंट्स पर दोहरा बोझ पड़ा है।

स्कूल्स भी बेच रहे सामान

शहर में ऐसे बहुत से स्कूल्स हैं जहां यूनीफॉर्म से लेकर कॉपी-किताब स्टेशनरी तक की बिक्री होती है। जिनके दाम शहर में बिकने वाले अन्य दुकानों से दस से पंद्रह परसेंट अधिक होते हैं। सेल्स टैक्स से बचने के लिए कुछ स्कूल्स ने अपना खेल बदलते हुए दुकानों तक सीमित कर दिया है। यानी की स्कूल की ओर से बताए गए पते की दुकान से सामान नहीं लिया तो फिर वह स्कूल में मान्य ही नहीं होगा। खास कर यूनीफॉर्म और किताबों में बड़ा खेल हो रहा है।

जीएसटी के बाद बढ़े दरों को इस तरह समझने की कोशिश करें। स्कूली बैग, यूनीफॉर्म, कॉपी-किताब सहित स्टेशनरी की खरीदारी यदि क्लास फाइव का स्टूडेंट करता है तो उसका रेट हाईस्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के सामान पहुंच जाएगा। यूनीफॉर्म में सीधे सौ से डेढ़ सौ रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है। स्टेशनरी सहित कॉपी-किताब की दर भी पिछले साल की तुलना में इस साल 60 से 70 रुपये तक बढे़ हैं।

एक नजर

100-150

रुपये बढ़ गए हैं यूनीफॉर्म के दाम

60-70

रुपये बढ़ गया है कॉपी-किताब का मूल्य

150-200

रुपये बढ़े हैं स्कूली बैग

सरकार को चाहिए कि शिक्षा से जुड़े सभी सामान टैक्स मुक्त कर दें, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा मिल सके।

सुधीर सिंह, अध्यक्ष अभिभावक जागृति मंच

स्कूल्स की फीस तो बढ़ी ही है साथ में यूनीफॉर्म व बुक्स, स्टेशनरी की दर भी बढ़ गई है। इतने अधिक दाम हो गए हैं कि घर का बजट तक गड़बड़ा गया।

डॉ। सलिलेश मालवीय, पेरेंट दुर्गाकुंड

पिछले साल की अपेक्षा इस साल एक बच्चे की यूनीफॉर्म व कॉपी-किताब पर लगभग पांच से छह हजार रुपये खर्च आए। सभी पर हवाला जीएसटी के कारण बढ़े हुए दरों पर दिया गया है।

पवन कुमार, पेरेंट

सिगरा

Posted By: Inextlive