हर माह बड़ी संख्या में आते हैं वीआईपी सभी को देनी होती है प्रोटोकॉल में मेडिकल सुविधा

वाराणसी (ब्यूरो)डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हॉस्पिटल मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में हाथी के दांत साबित हो रहे हैं। दूसरी तरफ शहर में आने वाले वीआईपी को मेडिकल सुविधा देना भी एक चैलेंज है। एक तो प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र और दूसरे काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वाले वीआईपी के लिए प्रोटोकॉल में दी जाने वाली मेडिकल सुविधा अब स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ मरीजों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। बनारस में आने वाले वीआईपी के लिए अधिकतर कबीरचौरा मंडलीय हॉस्पिटल और पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय हॉस्पिटल से डॉक्टरों की टीम जाती है। इससे हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों के लिए पर्याप्त डॉक्टर की व्यवस्था तक नहीं हो पाती है।

हर माह आते हैं वीआईपी

सावन में काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान कई वीआईपी का भी आना होता है। इसके अलावा प्रत्येक माह किसी न किसी मिनिस्टर और अन्य विदेशी वीआईपी का आना तय है। प्रोटोकॉल में मेडिकल की टीम भी लगाई जाती है। एंबुलेंस में जाने वाली टीम में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, एक वार्ड ब्वाय शामिल होते हैं। ये सभी या तो डीडीयू से होते हैं या कबीरचौरा मंडलीय हॉस्पिटल से लगाये जाते हैं।

जून और जुलाई में आए वीआईपी

- 3-4 जून को केरला के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद का आगमन

- 8 जून को डिप्टी सीएम केशव मौर्या का आगमन

- 25-26 जून मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आगमन

- 30 जून को डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का आगमन

- 3-6 जुलाई छत्तीसगढ़ के पूर्व मिनिस्टर महेश गगडा का आगमन

- 6-9 जुलाई केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का आगमन

- 8-9 जुलाई राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का आगमन

सबसे अधिक जम्मू-कश्मीर के जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और परिवार का दौरा

- 5 जुलाई को राज्यपाल मनोज सिन्हा का आगमन

7 जून को राज्यपाल मनोज सिन्हा के पुत्र अभिनव सिन्हा का आगमन

- 8 जुलाई को राज्यपाल मनोज सिन्हा का आगमन

- 5 जुलाई को राज्यपाल मनोज सिन्हा की पत्नी नीलम सिन्हा का आगमन, 21 जुलाई को जाएंगी

- 5 जुलाई से राज्यपाल मनोज सिन्हा के पुत्र अभिनव सिन्हा शहर में अब तक, 21 को जाएंगे

मंडलीय हॉस्पिटल डॉक्टर्स व कर्मचारियों की संख्या

- आर्थो विभाग में तीन डॉक्टर्स की जगह एक कार्यरत

- सर्जरी में जगह तीन कार्यरत एक

- एनेस्थीसिया में दो की जगह एक

- नेफ्र ोलॉजी में कोई नहीं

- चेस्ट फिजिशियन कोई नहीं

- प्लास्टिक सर्जरी कोई नहीं

- फिजीशियन कोई नहीं

- कार्डियोलॉजी में तीन की जगह एक

- रेडियोलॉजी में तीन की जगह दो

- पैथोलॉजी में दो

- सपोर्टिंग पैरामेडिकल स्टाफ नर्स लगभग 25 से 30 परसेंट कम

- संविदा कर्मी आउटसोर्सिंग की तनख्वाह नहीं मिलती है तो कार्य से उदासीन रहते हैं.

जाने कार्यशैली का हाल

हॉस्पिटल के कुछ डॉक्टर्स ने बताया कि बनारस में अक्सर वीवीआईपी और वीआईपी ड्यूटी लगती है। इसमें आर्थो विभाग के डॉक्टर, सर्जरी और एनेस्थीसिया वालों की ड्यूटी लगती है। तब तीनो विभाग खाली हो जाते हैं। ऐसे में एक कार्डियोलॉजी के डॉक्टर एक वृद्ध रोग विशेषज्ञ और एक कैंसर के रेडियोग्राफी डिपार्टमेंट से डॉक्टर मिलाकर फिजिशियन का काम लिया जाता है।

इस तरह की दिक्कतें

इसके अलावा रेडियोलॉजी में तीन की जगह दो फिजिशियन हैं। इसमें से एक केवल साधारण ट्रेनिंग प्राप्त है। इसके अलावा पैथोलॉजी में दो ही हैं, जिनसे आपको पैथोलॉजी भी दिखाना है कोविड यूनिट भी दिखानी है ब्लड बैंक में भी सहायता लेनी है। इस हालत के बावजूद प्रोटोकॉल में मेडिकल स्टाफ को भेजना पड़ता है। इन सब के ऊपर पोस्टमार्टम है, वीवीआईपी ड्यूटी है, वीआईपी ड्यूटी है, कॉल डे है, ओटी है। अधिकारियों की डांट है, नेताओं की फटकार है मरीजों के उलाहने हैं और कुछ अपने बहाने हैं.

नियमानुसार जिन वीआईपी को प्रोटोकॉल के तहत सुविधाएं दी जानी चाहिए, राज्य शासन उन्हें प्रोवाइड कराता है। हर प्रोटोकॉल का अपना एक अलग नियम होता है और उस नियम के तहत सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं.

बच्चू सिंह, प्रोटोकॉल एडीएम

Posted By: Inextlive