- मूल स्वरूप भी नहीं ले पाया करीब दास का प्राकट्य स्थल लहरतारा तालाब

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2019

में मुख्यमंत्री संवर्धन योजना के तहत तालाब को संवारने की योजना बनी थी

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करोड़ रुपये खर्च कर प्राकट्य स्थल को मंदिर का रूप देने की भी बनी थी योजना

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प्राचीन तालाब-कुंडों को वीडीए ने 19 करोड़ में संवारने की बनाई थी योजना, उसमें भी शामिल था तालाब

संत-महात्मा की नगरी काशी के हर स्थान का अपना एक अलग महत्व है। यहां जगह-जगह ऐतिहासिक धरोहर विराजमान हैं, जिसे पीएम ही नहीं, बल्कि सीएम भी सहेजना चाहते हैं। पीएम की इच्छा के अनुरूप सरकार भी स्मार्ट सिटी के अलावा अन्य योजनाओं से इन धरोहरों को बचाने और सहेजने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन वहीं प्रशासन की अनदेखी के चलते कबीर दास का प्राकट्य लहरतारा तालाब लम्बे समय से बदहाल है। बताते चलें कि 2019 में मुख्यमंत्री संवर्धन योजना के तहत इस तालाब को संवारने की योजना बनी। वीडीए ने भी इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। सौंदर्यीकरण के लिए कोका-कोला कम्पनी ने तालाब को गोद लिया। इसके अलावा कई अन्य संस्थाओं ने भी तालाब को संवारने का प्रयास किया, लेकिन इतना सब होने के बाद भी तालाब अपना मूल स्वरूप भी नहीं ले सका।

प्राकट्य धाम को संवारने की योजना

पर्यटन के नक्शे पर कबीर प्राकट्य धाम को लाने के लिए यूपी सरकार ने पहल शुरू की थी। मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना के तहत लहरतारा स्थित कबीर प्राकट्य धाम की सूरत बदलने की योजना बनाई गई। योजना के तहत कुंड को विकसित करना, सीढि़यों को बेहतर कराना, कुंड के अंदर के हॉल का पुनíनर्माण, पाíकंग, आने वाले यात्रियों के लिए शेड और खाली जमीन पर पेड़ व पौधे लगाकर सुंदर बागीचे का स्वरूप देने का प्रस्ताव था। इसके लिए 50 लाख रुपये का बजट पास भी हो गया। कार्य की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को दी गई थी, लेकिन आज तक कुछ खास कार्य नहीं हुआ।

मंदिर का रूप देने की योजना बनाई गई थी

सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल पर प्राकट्य स्थल को मंदिर का रूप देने की योजना बनाई गई। मंदिर की ड्राइंग तैयार हुई थी, इस पर 22 करोड़ रुपये खर्च होना था। प्रकाट्य स्थल के विकास को लेकर महंत विवेक दास, राज्यमंत्री डॉ। नीलकंठ तिवारी व समाजसेवी कैलाशी रविंद्र सहाय ने सीएम से मुलाकात की थी। इस दौरान सीएम ने महंत विवेक दास को 22 करोड़ की परियोजना की जानकारी दी थी, इस योजना ने भी अभी तक मूर्तरूप नहीं लिया है।

तालाब पर 3.6 करोड़ खर्च करना था

शहरी क्षेत्र व उससे सटे पौराणिक महत्व वाले 10 प्राचीन तालाब-कुंडों को वीडीए ने 19 करोड़ रुपये में संवारने की योजना बनाई थी, जिसमें जैतपुरा का बकरिया कुंड, दुधिया तालाब, कबीर तालाब लहरतारा, कलहा तालाब, करौंदी तालाब, लक्ष्मी मंदिर कुंड, मच्छोदरी तालाब, पहडि़या तालाब, रेवा तालाब और सोना तालाब शामिल है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा अभियान के तहत सीएसआर फंड से तालाबों का सौंदर्यीकरण चल रहा है। आठ तालाबों पर काम चल रहा है। हालांकि लहरतारा तालाब और सोना तालाब पर एक धेला भी खर्च नहीं हुआ, जबकि सर्वाधिक 3.6 करोड़ संत कबीर प्राकट्य स्थल तालाब पर खर्च करना था।

कोका कोला ने भी लिया था गोद

पेय पदार्थ बेचने वाली कोका कोला कम्पनी ने 2008 में लहरतारा तालाब को गोद लिया था। कम्पनी ने तालाब के किनारे कुछ काम भी कराया, लेकिन बाद में अड़गेबाजी के चलते तालाब के सौंदर्यीकरण का काम बीच में ही रुक गया। हालांकि प्राकट्य स्थल से जुड़े लोगों ने प्रयास किया, लेकिन यह योजना अधूरी ही रह गई।

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तालाबों को संवारने की बनी योजना

इंटैक ने तालाब-कुंडों के डीपीआर बनाने की कवायद शुरू कर दी है। शहरी क्षेत्र व उससे सटे पौराणिक महत्व वाले 10 प्राचीन तालाब-कुंडों को वीडीए 19 करोड़ रुपये में संवारेगा। इसके लिए जैतपुरा का बकरिया कुंड, दुधिया तालाब, कबीर तालाब, कलहा तालाब, करौंदी तालाब, लक्ष्मी मंदिर कुंड, मच्छोदरी तालाब, पहडि़या तालाब, रेवा तालाब और सोना तालाब का चिन्हांकन किया गया है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा अभियान के तहत सीएसआर फंड से इन कामों को कराया जाएगा।

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कबीर साहेब के प्राकट्य स्थल को विकसित करने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार के साथ जिला प्रशासन ने कई बार योजना बनाई, लेकिन अभी तक कोई भी योजना मूर्तरूप नहीं ले सकी। वीडीए ने भी शहर के आठ तालाबों के साथ लहरतारा तालाब के जीर्णोद्धार की योजना बनाई। बस इसी तालाब का विकास नहीं हुआ और सबका हो गया। इसका विकास कब होगा, यह एक बड़ा सवाल है ।

-गोविंद दास शास्त्री, प्रबंधक

Posted By: Inextlive