-पीएम मोदी आगमन को लेकर ट्रैवेल्स संचालकों में है निराशा, दिसंबर दौरे में लगी गाडि़यों का अब तक नहीं मिला है बकाया धनराशि

-ट्रैवेल्स संचालकों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक डेकोरेटर्स सहित फूल माला डेकोरेटर्स भी है बकाया के जद में, 22 जनवरी को बनारस पहुंच रहे हैं पीएम

VARANASI

पीएम मोदी के बनारस दौरा को लेकर प्रशासनिक अमला काफी फास्ट है। पीएम की सिक्योरिटी से लेकर उनके ठहरने, खाने पीने और सभास्थल तक के इंतजाम की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। लेकिन ट्रैवेल्स संचालकों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स डेकोरेटर्स सहित फूल माला डेकोरेटर्स, साइलेंट जनरेटर वाले पीएम आगमन को लेकर काफी हताश व निराश है, ऐसा इसलिये कि लास्ट मंथ जापानी पीएम शिंजो अबे के साथ बनारस पहुंचे पीएम मोदी के कार्यक्रम में इन लोगों का खर्च हुआ धनराशि अब तक नहीं मिला है। इसलिए ट्रैवेल्स संचालक सहित जिनका-जिनका बकाया नहीं मिला है वह इस बार पीएम के कार्यक्रम में अपनी सेवाएं देने से कतरा रहे हैं। ख्ख् जनवरी को दिव्यांगों को ट्राई साइकिल वितरण करने के लिए बनारस पहुंच रहे पीएम नरेंद्र मोदी की सिक्योरिटी में शामिल होने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए बड़े पैमाने पर आरटीओ गाडि़यों का अरेंजमेंट कर रही है। ट्रैवेल्स संचालकों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, यही कारण है कि बहुत से ट्रैवेल्स संचालकों ने अपनी गाडि़यां अंडरग्राउंड कर दी हैं।

पेट्रोल, डीजल का भी नहीं मिलता पैसा

ट्रैवेल्स संचालकों की माने तो किसी भी वीवीआईपी प्रोग्राम को देखते हुए आरटीओ जबरदस्ती गाडि़यां हॉयर करती है। यदि गाडि़यां नहीं दी जाती हैं तो उन ट्रैवेल्स संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होती है। पीएम के पिछले दौरे की बात करें तो एक ट्रैवेल्स संचालक ने जबरदस्ती अपनी गाड़ी पुलिस लाइन से लेकर भागा तो उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ और साथ-साथ उसका परमिट भी कैंसिल कर दिया गया। संचालकों की माने तो गाडि़यां देने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन कम से कम पेट्रोल डीजल का तो पैसा मिलना चाहिए। वह भी नहीं दिया जाता है, एक-एक ट्रैवेल्स संचालक की चार से पांच गाडि़यां तक हॉयर कर ली जाती हैं।

डेकोरेटर्स भी बहा रहे है आंसू

पीएम के सभा स्थल को शानदार तरीके से सजाने संवारने के लिए तो वैसे दिल्ली, कोलकाता से कारीगर आते हैं लेकिन उनके साथ ही कुछ लोकल डेकोरेटर्स भी अपनी सेवाएं देते हैं। इलेक्ट्रॉनिक सहित फूल माला डेकोरेटर्स की मानें तो सिर्फ सामान का पैसा मिल जाता है लेकिन जो मजदूरी होती है, भाड़ा किराया होता है उसमें कमी कर दी जाती है। बाद में फुल पेमेंट की बात कहकर भुला दिया जाता है।

ट्रैवेल्स संचालकों के बकाया पेमेंट की बात संज्ञान में आई है। उसके लिए संबंधित विभाग को दिशा निर्देश भी दिया गया है कि इस मामले का जल्द से जल्द निस्तारण कराये।

राजमणि यादव

डीएम

Posted By: Inextlive