धूमिल अपने समय के सबसे जाग्रत और जीवंत कवि थे
Updated Date Tue, 10 Nov 2020 01:40 PM (IST)
-मनायी गयी कवि धूमिल की जयंती, साहित्यकारों ने बेबाकी से रखी बात
रामेश्वर के खेवली गांव में सोमवार को साहित्यकारों का जमावड़ा हुआ। सभी ने धूमिल की रचनाओं के आलोक में लोकतंत्र की गतिशीलता पर विचार रखे। धूमिल की जयंती पर आयोजित समारोह में चीफ गेस्ट प्रो। श्रद्धानंद ने कहा कि धूमिल लोकतंत्र के बदलते समय के सजग प्रहरी रहे। वे ऐसे पहले कवि हैं जिन्होंने हिंदी में अपने नए मुहावरे गढ़े हैं। हिंदी साहित्य के क्रम में कबीर-निराला, मुक्तिबोध और धूमिल को रखा जा सकता है।मुख्य वक्ता डॉ। सदानंद सिंह ने कहा कि धूमिल वर्तमान परिस्थितियों में समयानुसार अपने तेवर और प्रेम भरी गुर्राहट की कविताएं लिखा करते थे। हिंदी विभाग यूपी कालेज के डा। राम सुधार सिंह ने कहा कि धूमिल अपने समय के सर्वाधिक जाग्रत और जीवंत कवि थे। धूमिल के ज्येष्ठ पुत्र रत्नशंकर पांडेय ने कहा कि धूमिल की कविताएं सम सामयिक व्यवस्था पर गहरा प्रहार करती है। साहित्यकार देवीशंकर सिंह, डा। प्रभाकर सिंह, ओमप्रकाश सिंह बबलू, मनीष पटेल व अनिल मिश्र ने भी विचार रखे। शुभारंभ उनकी पत्नी मुरता देवी ने किया। इस अवसर पर पौधरोपण का संकल्प भी लिया गया। जयंती समारोह की अध्यक्षता रामेश्वर त्रिपाठी ने की। धूमिल के पुत्र रत्नशंकर पांडेय व आनंद शंकर पांडेय ने स्वागत किया।