वाराणसी में शांति व्यवस्था के मद्देनजर कमिश्नरेट पुलिस द्वारा अभियान चलाकर बांग्लादेशियों की पहचान की जा रही है. इसके लिए पुलिस जगह-जगह तंबू लगाकर रह रहे संदिग्धों से पूछताछ करते हुए उनके पहचान पत्र व निवास संबंधी जानकारी एकत्र कर रही है. दो दर्जन से अधिक परिवारों का सत्यापन किया जा चुका है.

वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में कैंट रेलवे स्टेशन, सामने घाट क्षेत्र व चकरा तालाब के पीछे स्थित कई बस्तियों में तंबू डालकर बांग्लादेशी रह रहे हैैं। इनके वास्तविक निवास संबंधी व आईडी प्रूफ की जांच की जा रही है।

दहशत का माहौल
कहा यह भी जाता है कि जिनके पास आईडी नहीं होती और उनके रहने का स्थान स्थायी नहीं होता। ऐसे लोगों के अपराध से जुड़े होने की आशंका रहती है। ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए पुलिस सक्रियता से काम कर रही है।

रोजीरोटी के लिए आते हैं बनारस
सूचना के मुताबिक रोजी रोटी की तलाश में हर साल सैकड़ों की संख्या में बांग्लादेशी कोलकाता से पटना होते हुए बनारस व दिल्ली एनसीआर और मुम्बई तक जाते हैं। ऐसे लोग एक क्षेत्र में आकर एकत्र होते हैं और वहीं तंबू डालकर रहने लगते हैं। काम के रूप में यह ज्यादातर रिक्शा चलाते हैं या फिर घूम घूम करके सामान की बिक्री करते हैं।

अपराध में होती है संलिप्तता
कई लोग होटलों व कारखानों में भी काम पकड़ लेते हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो इनमें से जो काफी समय पहले आ गए थे, उन्होंने धीरे धीरे करके अपना आधार कार्ड व स्थाई निवास बना लिया है। जिनकी जांच करने पर प्रथम दृष्टया वो ठीक पाए जाते हैं। लेकिन यही नए आने वाले लोगों के पनाहगार बनते हैं बल्कि हत्या, लूटपाट से लेकर मानव तस्करी तक के अपराधों में संलिप्त होते हैं।

रखते हैं बंगाल का आईडी
बनारस के एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक ऐसे लोगों का सत्यापन करने में भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें से अधिकतर के पास पश्चिम बंगाल के किसी न किसी जिले का आईडी मिल जाता है।

नहीं हो पाता वेरिफिकेशन
पुलिस वेरिफिकेशन में कई तरह की दिक्कतें आती है। इसमें बोलचाल में बंग्ला भाषा का इस्तेमाल है। ये लोग बंग्ला भाषा बोलते हैैं और अपने को पश्चिम बंगाल का बताते हैैं न कि बांग्लादेशी।

बंगाल के रास्ते घुसपैठ का खेल
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार भारत में पश्चिम बंगाल व असम के रास्ते बांग्लादेशी घुसते हैं। इसके लिए पश्चिम बंगाल के तीन जिले कुख्यात हैं, जिनमें कूच बिहार, नादिया व चौबीस परगना दक्षिणी शामिल हैं। यहां सूरज ढलने के बाद नदी के रास्ते घुसपैठ का खेल शुरू होता है। यहां तक पहुंचने के लिए प्रति व्यक्ति तकरीबन 15 से 20 हजार रुपए का खर्च आता है।

पकड़े गए थे तीन घुसपैठिए
मंगलवार को एसटीएफ ने चंदौली जिले के पंडित दीनदायल उपाध्याय नगर रेलवे स्टेशन से तीन बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से घुसपैठियों को लेकर एक बार फिर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि अवैध प्रवासियों की घुसपैठ कहीं न कहीं पुलिस व इंटेलिजेंस एजेंसियों की असफलता को ही दर्शाता है।

कहते हैं एडिशनल सीपी एलओ, अनिल कुमार सिंह
अवैध प्रवासियों के खिलाफ समय समय पर जांच की जाती हैं। हाल ही में संदिग्ध होने पर 27 परिवारों की जांच कराई गई थी। जिसमें उनकी आईडी कार्ड व निवास स्थान ठीक पाए गए थे। संदिग्धों की जांच के लिए अभियान चलाया जा रहा है। उनकी विस्तृत जांच करके डॉक्युमेंट्स तैयार किए जाते हैं।

Posted By: Inextlive