गंगा पार बालू खनन का मामला एनजीटी ने लगाई थी रोक तीन महीने में जांच कमेटी से मांगी गई है पूरी रिपोर्ट एक महीना बीतने के बाद भी जांच कमेटी ने नहीं किया मौके का जायजा

वाराणसी (ब्यूरो)गंगा पार रेती पर मनमाने ढंग से बालू खनन कर तट का स्वरूप बिगाड़ा गया। इसके बाद अवैध खनन को रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने इसे गंभीर मानते हुए जांच कमेटी गठित की। एनजीटी की ओर से चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिन्हें एक महीने के भीतर मौके पर सर्वे करने के साथ-साथ तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया था। जानकारी के मुताबिक जांच कमेटी ने गंगा पर सर्वे को लेकर मीटिंग तो की है, लेकिन पिछले महीने में अधिक व्यस्तता के चलते सर्वे अब तक नहीं हो पाया है। अब जांच कमेटी जल्द ही मौके पर जाकर सर्वे करने की तैयारी में है.

एनजीटी ने दिए थे सर्वे के आदेश

एनजीटी के आदेश के बाद चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी, लेकिन डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी गंगा पार बालू खनन वाले क्षेत्र का सर्वे नहीं किया जा सका है। हालाकि जल्द ही गंगा पार बालू खनन वाले क्षेत्र के सर्वे की तैयारी में प्रशासन जुटा है। इसके लिए जांच कमेटी ने एक मीटिंग करके खाका भी तैयार कर लिया है। कुल मिलाकर अब तक कमेटी की जांच पूरी तरह से धीमी चल रही है, जबकि एक महीने में मौके पर जाकर पूरा सर्वे करने का आदेश दिया गया था.

ये है पूरा मामला

गंगा में वाटर चैनल बनाने के उद्देश्य से लगभग पांच किमी की नहर बनाई गई। अस्सी घाट से लेकर राजघाट के बीच सिंचाई विभाग की ओर से नहर का निर्माण कराया गया था। इसमें लगभग 12 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। गंगा में पानी के दबाव को कम करने और घाट को बचाने के लिए नहर का निर्माण कराया गया, लेकिन विभाग की ओर से एक्सपर्ट की राय तक नहीं ली गई थी। ऐसे मामलों में डिस्ट्रीक्ट सर्वे रिपोर्ट तैयार करनी होती है। इनवायरमेंटल इफेक्ट असेसमेंट होता है, लेकिन यहां कुछ भी नहीं कराया गया.

टेंडर खत्म होने के बाद भी उठान जारी

अस्सी घाट से राजघाट तक के बीच पांच किमी तक बनी नहर के ब्रेस्ड मैटेरियल के उठान का टेंडर पिछले साल निकाला गया था। टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बालू का उठान कर लिया गया। इसके बाद जब गंगा में बाढ़ आई तो न नहर बची और न बालू, लेकिन इसके बाद भी खनन किया जाता रहा। दो माह से चल रहे खनन का प्रशासन के पास कोई आकलन नहीं है। यही नहीं जब दिसंबर में टेंडर की अवधि पूरी हो गई तो इस समय किस टेंडर के तहत बालू उठाया जा रहा था, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

याचिका में ये लगे थे आरोप

- गंगा में हो रहा बालू का अवैध खनन

- जब नहर ही नहीं तो गंगा में खनन क्यों

- एरिया का डिमार्केशन भी नहीं

- अवैध खनन में पोकलेन जैसी मशीन का इस्तेमाल किया गया

- डीएसआर तैयार नहीं

- इनवायरनमेंट इंफेक्ट असेसमेंट नहीं

- मौके पर सीसीटीवी नहीं

- नियमित पेट्रोलिंग नहीं

- प्रतिदिन रिपोर्टिंग नहीं

जांच का जिम्मा इन्हें सौंपा था

1. राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण

2. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

3. नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा

4. जिलाधिकारी वाराणसी

इसमें एक सदस्य एएमसीजी से हैं। वर्चुअल मीटिंग सभी समिति के सदस्यों की हो गई। अभिलेख शेयर कर लिये गए हैं। उन्होंने आने के लिए 10 दिन बाद की तारीख दी है.

कौशल राज शर्मा, डीएम

Posted By: Inextlive