बीएचयू में दिल का इलाज कराने वालों में 30 प्रतिशत में तोंद निकलने की बढ़ी समस्या डॉक्टर्स बोले मोटापे से हाई ट्रिग्लिसाइड लो कैलोस्ट्रॉल हाई ब्लड प्रेशर का रहता है खतरा


वाराणसी (ब्यूरो)दिल हमारे शरीर का सबसे अहम अंग है। बावजूद इसके इसकी सेहत को लेकर हम उतने फिक्रमंद नहीं होते, जितना होना चाहिए। कुछ जानबूझकर तो कुछ अनजाने में, दिल की सेहत को नजरअंदाज करते रहते हैं। खराब जीवनशैली और बढ़ते स्ट्रेस ने इस दिल को कमजोर किया ही है, अब मोटापा या यूं कहे कि लोगों का निकलता तोंद भी उन्हें दिल का रोग दे रहा है.

लगातार बढ़ रहे केस

बनारस के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के हृदय रोग विभाग में ऐसे केसेस लगातार बढ़ रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो बनारस में करीब 35 से 40 प्रतिशत लोग मोटापे से परेशान हैं। सिर्फ शहर ही नहीं गांवों में भी लोग इस बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि शहर में जहां 30 प्रतिशत लोग मोटापे का शिकार है। वहीं, गांव में 40 प्रतिशत तक हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादा मोटापे से हाई ट्रिग्लिसाइड, लो कैलोस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और हाई शुगर पाचन तंत्र सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

जान भी ले रहा दिल

कोरोना महामारी के बाद से स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। चिकित्सकों ने भी मान लिया है कि कोरोना ने लोगों के शरीर को खोखला किया है। इन सबके बीच अगर सबसे ज्यादा जो केस देखने को मिल रहे हैं, वो है हार्ट पेशेंट। समय रहते अगर लोग अपने खानपान में बदलाव नहीं लाएंगे तो बढ़ता मोटापा उनके लिए जान का खतरा बन सकता है। एसएस हॉस्पिटल बीएचयू के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष व कार्डियोलाजिस्ट डॉ। ओम शंकर की मानें तो रफ लाइफस्टाइल और जंक फूड ओबेसिटी की बड़ी वजह बन रही है.

फास्ट फूड का सेवन

लोग खाना के साथ फास्ट फूड का सेवन अधिक कर रहे हैं, मगर एक्सरसाइज नहीं कर रहे। इसके चलते तोंद निकल रहा है। जब यह कंट्रोल से बाहर हो जाता है तब दिल का रोग उन्हें परेशान करने लगता है। ओपीडी में आने वाले करीब 400 दिल के मरीजों में 30 प्रतिशत पेशेंट मोटापे की वजह से इस रोग का शिकार हो रहे हैं। शायद यही वजह है कि जो हार्ट अटैक कभी बुजुर्गों की मौत का कारण बनता था, वो अब युवाओं की जान भी ले रहा है.

डेली 6 से 8 की मौत

पिछले दो साल में हार्ट अटैक से जुड़े तमाम ऐसे केस सामने आए हंै जिसमें कोई डांस करते हुए तो कोई स्टेज पर स्पीच देते हुए तो फिर किसी की काम के दौरान अटैक आने से मौत हो गई। डॉ। ओम शंकर का कहना है कि बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में सिर्फ दिल की बीमारी की वजह से हर रोज 4 लोगों की मौत हो रही है। इसके अलावा अन्य सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल के आंकड़ों को मिला लिया जाए तो यह आंकड़ा डबल हो जाएगा.

चर्बी है काफी खतरनाक

डॉ। ओम शंकर की मानें तो पुरुषों में 95 सेंटीमीटर से ज्यादा पेट का घेरा और महिलाओं में 85 सेंटीमीटर से ज्यादा घेरा होना, इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि वह दिल के दौरे के खतरे की जद में हैं। मोटापा एक नई समस्या के रूप में उभरा है। पेट के गिर्द एक इंच अतिरिक्त चर्बी दिल के रोगों का खतरा डेढ़ गुना बढ़ा देता है। डॉ। शंकर ने बताया कि आमतौर पर जब कद बढऩा बंद हो जाता है, तो दूसरे अंगों का विकास भी रुक जाता है। दिल, गुर्दे और फेफड़ों का वजन फिर नहीं बढ़ता। उसके बाद मांसपेशियां ही बनती हैं। जिसके बाद शरीर का वजन सिर्फ चर्बी जमा होने से बढ़ता है.

कार्बोहाईड्रेट्स है कारण

मंडलीय अस्पताल के फिजिशियन डॉ। एके गुप्ता बताते हैैं कि पेट का मोटापा रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स के सेवन से जुड़ा हुआ है न कि मांस से प्राप्त चर्बी से। सफेद चावल, मैदा और चीनी रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स में आते हैं। भूरी चीनी, सफेद चीनी से बेहतर है। वजन कम होने से खरटि व अर्थराइटिस का दर्द कम होता है। ब्लड प्रेशर और अनियंत्रित डायबिटीज नियंत्रित होते हैं.

क्या है सच्चाई

-बनारस में करीब करीब 35 से 40 प्रतिशत लोग मोटापे से परेशान हैं

-बीएचयू में आने वाले 30 प्रतिशत पेशेंट में मोटापे से है दिल का रोग

-बनारस में दिल की बीमारी से डेली 6 से 8 की मौत

-पुरुषों में 95 सेंटीमीटर से ज्यादा और महिलाओं में 85 सेमी से ज्यादा पेट का खतरा

-बनारस में 40 से 45 प्रतिशत लोगों का निकला है तोंद

रफ लाइफस्टाइल और जंक फूड ओबेसिटी की बड़ी वजह बन रही है। लोग खाना के साथ फास्ट फूड का सेवन अधिक कर रहे हैं, खासकर यंगस्टर्स। मगर एक्सरसाइज बिल्कुल नहीं कर रहे और न ही मेहनत कर रहे हैं। इसके चलते तोंद निकल रहा है। जब यह कंट्रोल से बाहर हो जाता है तब दिल का रोग उन्हें परेशान करने लगता है। अब इस तरह के केसेस लगातार बढ़ रहे हैं। ओपीडी में आने वाले 30 प्रतिशत से ज्यादा पेशेंट में मोटापे के कारण दिल का रोग लग रहा है.

डॉओम शंकर, कॉर्डियोलाजिस्ट, एसएस हॉस्पिटल, बीएचयू

युवावस्था के पहले सामान्य और बाद में चर्बी के चलते वजन बढ़ता है। इस तरह कुल वजन तो सामान्य हो सकती है, लेकिन यह अतिरिक्त वजन उस व्यक्ति के लिए असामान्य भी हो सकता है। 20 साल के बाद लड़कों और 18 साल के बाद लड़कियों का वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं बढऩा चाहिए। लेकिन, वर्तमान में फास्ट फूड कल्चर ने यंगस्टयर्स के स्वास्थ्य को डैमेज कर रहा है, जो दिल के लिए खतरा है.

डॉडीडी दूबे, जनरल फिजिशियन

Posted By: Inextlive