राजघाट पुल पर हुई भगदड़ के बाद से दर्जनों लोग हैं लापता

-किसी का साथी तो किसी रिश्तेदार अब तक नहीं लौटा उनके पास

VARANASI

केस-क्

चोलापुर के शोभानाथ और उनकी पत्नी हीरावती रामनगर के डोमरी (कटेसर) में होने वाले जय गुरुदेव के समागम में शामिल होने घर से निकले थे। शनिवार को राजघाट पुल पर हुए हादसे के वक्त पुल पर ही मौजूद रहे। तब से उन दोनों का कोई पता नहीं है। परिजन हर संभावित जगह पर तलाश चुके हैं लेकिन उनका कोई पता नहीं चल रहा।

केस-ख्

बस्ती डिस्ट्रिक्ट से राम मनोहर के नेतृत्व में आठ बसों में सवार होकर लगभग छह सौ लोगों को जत्था समागम में शामिल होने रामनगर पहुंचा था। उनका जत्था पूरे नगर में जनजागरण यात्रा करने के बाद राजघाट पुल पर पहुंचा था तभी भगदड़ मच गई। साथ के पारसनाथ, रामजीत दोनों की पत्नियों समेत लगभग दस लोग अब तक लापता हैं।

केस-फ्

बरेली डिस्ट्रिक्ट के शिवलाल के साथ जयगुरुदेव के पांच सौ अनुयायियों का जत्था बनारस आया था। इनमें से लगभग ख्00 राजघाट पुल पर हुए भगदड़ में फंस गए। कई तो सकुशल समागम स्थल पर पहुंच गए लेकिन अब भी आधा दर्जन लापता हैं। उनको खोजने का हर प्रयास असफल साबित हुआ है।

केस-ब्

जयगुरुदेव के समागम में शामिल होने हरदोई के तेजपाल और महेन्द्र पाल के साथ आए दो सौ लोगों ने पूरे शहर में जनजागरण किया। रामनगर लौटते वक्त राजघाट पुल पर भीड़ में फंस गए। अचानक भगदड़ हो गयी। साथ के एक दर्जन लोग घायल हो गए। चार साथी न जाने कहां लापता हो गए। इसकी जानकारी उन्होंने पुलिस और प्रशासन को दे दी है।

ये सारे केस बताने के लिए काफी हैं कि राजघाट पुल पर शनिवार को हुई भगदड़ के बाद दर्जनों लोग अभी लापता हैं। प्रशासन ने दो दर्जन लोगों की मौत और इतने ही लोगों के घायल होने की बात कही है लेकिन लापता लोगों के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है। जबकि समागम स्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि लगभग दो सौ से अधिक लोग लापता है। उनके परिजन और साथी तलाशने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। कभी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं तो कभी रामनगर के डोमरी (कटेसर) स्थित समागम स्थल पर अनाउंस करा रहे हैं।

सब जगह कर रहे तलाश

जिनके परिजन या साथी भगदड़ के बाद से लापता हैं वो उन्हें हर संभावित जगह तलाश कर रहे हैं। पटना के उमेश यादव के कुछ साथी लापता हैं। उनका कहना है कि घटना के बाद वो उन हॉस्पिटल में गए जहां डेडबॉडी और घायलों को ले जाया गया था। कहीं उनके साथ नहीं मिले। रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड भी गए यह सोचकर की कहीं डर के घर तो लौटने की तैयारी तो नहीं कर लिया लेकिन वहां भी कोई सूचना नहीं मिली। उन्नाव के मनोरम पाल, देवरिया के मुकेश चंद, मथुरा के चुन्नी लाल भी भगदड़ के बाद गुम हुए साथियों की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने घटना के बाद आए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को उनके बारे में बताया है।

क्या ये सच बोल रहे हैं?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि घटना के बाद जो लापता हुए वो गए कहां? न तो समागम स्थल पर लौटे न ही अपने घर गए तो आखिर गए कहां? हॉस्पिटल में भी नहीं हैं। कुछ लोगों का कहना है कि भगदड़ के वक्त ढेरों लोग गंगा में कूद गए थे। गंगा में मछली पकड़ने वाले मल्लाह भी कुछ ऐसी ही बात कह रहे हैं। वहीं कुछ का कहना है कि हादसे में मरने वालों की संख्या काफी अधिक थी। पुलिस और प्रशासन के लोगों ने कुछ लाशों को गंगा में डाल दिया और कुछ को अपने साथ ले गए। वो कहते हैं कि पुल पर जब हादसा हुआ तो बड़ी संख्या में बच्चे भी वहां मौजूद थे। लेकिन किसी बच्चे की लाश नहीं मिली और न ही घायलों में कोई बच्चा शामिल है। जबकि तमाम ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चे इस घटना में लापता हैं।

Posted By: Inextlive