Varanasi:पूर्वांचल के एक छोटे से गांव में पैदा हुए लेकिन अपनी काबिलियत की बदौलत समाज में एक अलग पहचान बनायी. भोजपुरिया इलाके से थे इस लिए भोजपुरी भाषा की फिल्मों से खुद को जोड़ा और आज भोजपुरी फिल्मों के पर्याय कहे जाते हैं. जी हां यहां हम बात किसी और की नहीं भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार रवि किशन की कर रहे हैं. गांव की मिट्टी से गहरा जुड़ाव रखने वाले रवि बनारस में थे और यहां उन्होंने आई नेक्स्ट से मुलाकात की. पेश है कुछ अंश


बनारस कैसे आना हुआ? मुझे बनारस आने का कोई बहाना नहीं चाहिए। अरे भाई इसी पूर्वांचल का हूं तो मिट्टी जब बुलाती है, चला आता हूं। वैसे मैंने इस बार अपना नया साल अपने गांव में मनाने की सोची और यहां चला आया। जौनपुर के छोटे से गांव में मैंने अपने परिवार व गांववालों के साथ नया साल मनाया। सचमुच यह मेरे लिए अलग ही एक्सपीरियंस था। लोगों के साथ रात भर नाचता रहा। फिलहाल किन फिल्मों में व्यस्त है


देखिये सबसे पहली बात कि मैं अपनों के लिए कभी व्यस्त नहीं रहता। मेरा मानना है कि कोई कितना भी बड़ा आदमी हो कितना भी व्यस्त हो अपने गांव अपनी मिट्टी अपने समाज अपने परिवार के लिए व्यस्त नहीं हो सकता। क्योंकि यही लोग तो हैं जो किसी व्यक्ति को बड़ा बनाते हैं। वैसे आपको बता दूं कि इन दिनों मेरी आधा दर्जन  से अधिक हिन्दी फिल्मों की शूटिंग चल रही है। जिनमें लकी कबूतर, ग्लोबल बाबा, देसी मैजिक आदि प्रमुख है। देसी मैजिक में मैं अमीषा पटेल के साथ लीड रोल में हूं। इसके  अलावा एक तेलगू व एक मराठी फिल्म में बतौर हीरो काम कर रहा हूं। भोजपुरी फिल्म कट्टा तनल बा दुपट्टा पर भी आने वाली है।

भोजपुरी के लिए क्या कर रहे हैं?
भोजपुरी भाषा को मैंने आठवीं अनुसूची में डलवाने की कवायद शुरू की है। इसके अलावा मैं बनारस और जौनपुर में एक्टिंग ट्रेनिंग सेंटर बनवाने की कोशिश में हूं। फिल्मों के अलावा कुछ और? आपक ई सवाल सबसे जोरदार रहल। हां, मैं अपने क्षेत्र अपने लोगों के लिए कुछ करना चाहता हूं। रवि किशन को बनाने वाले मेरे लोग हैं। हमरे गांव हमरे समाज का माटी हम्मे बहुत कुछ देहलेबा अब ओकर कर्जा उतारे का समय आय गइल बा। माटी का कर्जा उतारे खातिर चुनाव लड़ब। मेरी कोशिश है कि मैं जौनपुर से लोकसभा का चुनाव लडूं। मुझे पता नहीं कि मेरा यह निर्णय मेरे प्रोफेशन के लिए कितना सही होगा लेकिन मुझे इतना पता है कि जिनकी बदौलत आज मेरी पहचान है उनके लिए भी मेरा कुछ फर्ज बनता है। जब भी बनारस या जौनपुर आता हूं यहां के हालात देख कर दुखी हो जाता हूं। मेरी कोशिश होगी कि मैं यहां की सूरत बदलूं। कांग्रेस के टिकट की बात भी चल रही है। अब देखना है कि क्या होता है।

Posted By: Inextlive