मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव और डीएम वाराणसी को चार सप्ताह का दिया समय जांच समिति ने निदेशक और वरिष्ठ चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई को संस्तुति पत्र लिखा

वाराणसी (ब्यूरो)शहर के पांडेयपुर स्थित मानसिक अस्पताल में हुए पांच रोगियों की मौत ने अब नया मोड़ ले लिया है। इस पूरे मामले में मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और वाराणसी डीएम को पत्र लिखकर चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगा है। वहीं, जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल की निदेशक और एक वरिष्ठ चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई के लिए संस्तुति कर स्वास्थ्य विभाग के निदेशालय में पत्र भेजा गया गया है। बता दें कि जून महीने में मानसिक अस्पताल में एक के बाद एक पांच मौतें और तीन कैदियों के फरार होने के बाद प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच समिति की टीम गठित की थी। साथ ही एक स्टोर कीपर इंचार्ज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था.

अधिकारियों की निष्क्रियता

मामला मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचा तो आयोग ने शिकायत में लगाए गए आरोप मानसिक अस्पतालों में मरीजों की मौत और उनकी दुर्दशा के कारण गंभीर प्रकृति का कारण राज्य अधिकारियों की निष्क्रियता को बताया। इसलिए इस मामले में मानव का गंभीर उल्लंघन शामिल है। इस पूरे मामले को मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश और जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी को एक नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है।

की गई थी शिकायत

मानसिक अस्पताल में एक सप्ताह में पांच मरीजों की मौत का आरोप राज्य सरकार के अधिकारियों की ओर से निष्क्रियता को कारण बताया गया था। याचिकाकर्ता लेनिन रघुवंशी ने मानसिक अस्पताल में बंद दो कैदियों की मौत पर भी प्रकाश डाला और बताया कि मृतक जिला जेल बांदा और बस्ती के रहने वाले थे। याचिकाकर्ता के मुताबिक जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी ने एक जांच समिति का गठन किया था और इस दौरान पाई गई खामियां मामले की जांच जिलाधिकारी के विचाराधीन है।

जांच समिति की रिपोर्ट पर संस्तुति

मानसिक अस्पताल में पांच मौतें और तीन फरार कैदियों के मामले ने पूरी कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए थे। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए निदेशक डॉ। लिली श्रीवास्तव और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ। अमरेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति कर स्वास्थ्य विभाग के निदेशालय के लिए पत्राचार किया है। इतना ही नहीं, डॉ। अमरेंद्र की मनमानी को देखते हुए निदेशक डॉ। लिली ने भी उनके खिलाफ डीओ (डेमी ऑफिसयल लेटर) लिखकर शासन को अवगत कराया है। बता दें कि डॉ। अमरेंद्र एक ही अस्पताल में पिछले 19 सालों से पदस्थ हैं और पूरी प्रशासन व्यवस्था उन्हीं के हाथों में रही है.

वित्तीय जांच अब तक जारी

मानसिक अस्पताल में डीएम कौशल राज शर्मा के निरीक्षण के दौरान किए गए निरीक्षण के दौरान कई खामियां मिली थी, जिसके बाद एक स्टोर कीपर को सस्पेंड कर दिया गया था और वित्तीय जांच के लिए मुख्य कोषाधिकारी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की वित्तीय जांच समिति का गठन कर दिया गया था। हालांकि दो सप्ताह का समय बीतने के बाद भी अब तक जांच चल रही है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इससे पूर्व एडीएम और सीएमओ को जांच के दौरान कई गड़बडिय़ां मिली थी। मरीजों को भोजन, दवाओं व अन्य सुविधाओं में कटौती की शिकायत मिली थी.

तीन मौतों की आई पीएम रिपोर्ट

मानसिक अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक पांच मौतों में से तीन मौतों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है और दो का रिपोर्ट आना बाकी है। तीन मरीजों की मौतों में गंभीर बीमारी का हवाला दिया गया है जबकि अस्पताल सूत्रों के मुताबिक ये सभी मौतों गर्मी के कारण हुई थी.

मानवाधिकार आयोग को मेरी ओर से पत्र देने के बाद संज्ञान लिया गया है, क्योंकि यह एक गंभीर मामला है। मामले की पूरी तरह से जांच होकर दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

Posted By: Inextlive