आरटीओ चुस्त, एजेंसी डीएल पहुंचाने में सुस्त
- ड्राइविंग लाइसेंस को घर भेजो योजना नहीं साबित हो रही सफल
-विभाग से ड्राइविंग लाइसेंस बनने के बाद भी एजेंसी पहुंचाने में है सुस्त -सात दिन की बजाए कई हफ्तों में पहुंच रहा है डीएल आरटीओ की ड्राइविंग लाइसेंस को घर भेजो योजना राहत की बजाय आफत बनती जा रही है। सभी आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद भी आवेदकों का डीएल सात दिनों के अंदर उनके घरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। जबकि इस कार्य के लिए परिवहन विभाग ने आउटसोर्स एजेंसी को कांट्रैक्ट भी दिया है। उधर ट्रैफिक पुलिस भी डीएल बनने की रसीद को स्वीकार नहीं कर रही है, ऐसे में बिना डीएल के लोगों का चालान कट जा रहा है। वहीं लागे आरटीओ का चक्कर लगा रहे हैं। डाक के बाद एजेंसी भी डिरेल्डपरिवहन विभाग ने डीएल सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन प्रॉसेस के बाद परमानेंट डीएल को आवेदकों के घर भेजने की शुरुआत की है। इससे आवेदकों के पते का भी वेरीफिकेशन हो जाता है। पहले इस प्रॉसेस को पूरा करने के लिए आवेदकों से स्पीड पोस्ट का लिफाफा लिया जाता था, ताकि उनका डीएल उनके घर तक आसानी से भेजा जा सके। लेकिन डाक विभाग की लेटलतीफी से डीएल विलंब से पहुंचता था। आएदिन की शिकायत और परेशानी को देखते हुए आरटीओ ने इसकी जिम्मेदारी आउटसोर्स एजेंसी को दे दी। लेकिन यह एजेंसी भी लापरवाही की भेंट चढ़ गयी है, लोग आज भी परेशान हो रहे हैं।
सात दिन में नहीं मिल रहा डीएल आरटीओ से डीएल के बनने के बाद लखनऊ स्थित हेड क्वार्टर पर डीएल की प्रिंटिंग और डिस्पैच होने के बाद एजेंसी उसे स्पीड पोस्ट द्वारा आवेदक के घर भेजती है। एजेंसी को डीएल पहुंचाने के लिए सात दिन का समय दिया गया है, लेकिन किसी भी अभ्यर्थी को उनका डीएल सात दिन के अंदर नहीं मिल पा रहा है। एजेंसी द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर भी शिकायत करने के बाद समाधान नहीं हो रहा है। सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था भी बेपटरी पहले जब डिपार्टमेंट की ओर से डीएल भेजे जाते थे तो वे समय से पहुंचते ही नहीं थे। इसे देखते हुए कार्य का जिम्मा प्राइवेट एजेंसी को दिया गया। वहीं इसपर नियंत्रण के लिए इसे सेंट्रलाइज्ड भी कर दिया गया। आउटसोर्स कंपनी लखनऊ से सभी अभ्यíथयों के डीएल कोरियर से घर भेजती है। पर यह समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं। लोगों ने बताई परेशानी :::मैंने दिसंबर में ही ड्राइविंग लाइसेंस का प्रॉसेस पूरा कर लिया था, लेकिन डीएल अब तक मेरे घर नहीं पहुंचा है। विलंब और समस्या कहां आ रही है, इसकी जानकारी के लिए आरटीओ ऑफिस आना पड़ा।
-विपिन मिश्रा परमानेंट डीएल के लिए जनवरी शुरुआत में ही फीस आदि की सभी प्रक्रिया पूरा कर ली। हालांकि डीएल कब आएगा यह कोई नहीं बता पा रहा है। मैं कई बार ऑफिस में आकर पूछ चुका हूं। - नाम रहेगा डीलए के अभ्यर्थियों के घर तक पहुंचाने का कार्य एजेंसी को सौंप दिया गया है। वह लखनऊ से सेंट्रलाइज्ड ऑपरेट होती है। फिर भी लेट की वजह का पता लगाया जाएगा। सर्वेश चतुर्वेदी, एआरटीओ प्रशासन