पूर्वांचल की सबसे बड़ी गल्ला मंडी इन दिनों समस्याओं की मंडी बन गई है. मंडी की समस्याओं को लेकर अब व्यापारियों में आक्रोश इतना बढ़ चुका है कि वो विधानसभा चुनाव में उसी जनप्रतिनिधि का समर्थन करेंगे जो मंडी की समस्याओं का जल्द निराकरण करेगा.

वाराणसी (ब्यूरो)व्यापारियों की मानें तो सालों से विशेश्वरगंज मंडी की समस्या जस की तस बनी हुई है। वर्तमान जनप्रतिनिधियों समेत प्रशासनिक अमले की उदासीनता के चलते यहां न तो कोई मूलभूत सुविधा है और न ही अब खरीदारी के लिए पहले जैसे ग्राहक आते हैं। अब ऐसे में मंडी व्यापारियों ने आगामी चुनाव में नेताओं को सबक सिखाने का मन बना लिया है। मंडी के व्यापारियों में शामिल नारायण केशरी, संजय जायसवाल, अभिषेक अग्रहरि, मुरली जायसवाल, प्रदीप गुप्ता व राजेश डोडवानी समेत अन्य व्यापारियों ने यहां तक कह दिया है कि सुविधा दो, वोट लो।

16 बीघा में मंडी
आपको बता दें कि नगर निगम की जमीन पर बसी बनारस की सबसे पुरानी मंडी करीब 16 बीघा में फैली है, इसके बावजूद एक अदद शौचालय से लेकर पार्किंग तक की व्यवस्था नहीं है। यहां के व्यापारियों की मानें तो प्रशासन को कई बार पत्र लिखने के साथ-साथ यहां सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रदर्शन तक कर चुके हैं, बावजूद इसके फौरी राहत तक नसीब नहीं हो पाई है।

सीवर बनी मुसीबत
विशेश्वरगंज की गल्ला, किराना मंडी में सीवर की समस्या सालों से बनी हुई है। जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक अमले को यहां की समस्या के बारे में पता होने के बावजूद आज तक इस पर कोई ठोस योजना न बन पाना विडंबना ही कही जा सकती है। व्यापरियों की माने तो उन्हें सबसे अधिक डर बारिश के नजदीक आते ही लगने लगता है। व्यापारियों को सीवर ओवरफ्लो के कारण जलजमाव का डर सताने लगता है। वहीं, विशेश्वरगंज मंडी में अतिक्रमण के कारण अक्सर घंटों जाम लगा रहता है।

बुनियादी सुविधाएं नहीं
पूर्वांचल और बिहार से आने वाले खरीदारों को बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशानी झेलनी पड़ती है। खाद्यान्न मंडी के बीचोंबीच कूड़ाखाना है। इसके चलते गंदगी और बदबू आसपास फैली रहती है। इतना ही नहीं बाहर के जिलों से यहां व्यापारी खरीदारी व सामान बेचने आते हैं पर उनके वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग तक की व्यवस्था नहीं है। व्यापारियों को भी प्रतिष्ठान के बाहर ही अपना वाहन खड़ा करना पड़ता है। वहीं टूटी सड़कें भी बाहर से आने वाले कारोबारियों को परेशान करती हैं। वहीं मंडी में विश्रामालय व एक शौचालय तक नहीं है। एक शौचालय बनाया तो गया, लेकिन उस पर भी कब्जा करके ताला लगा दिया गया है।

कोरोना की मार
व्यापारियों ने बताया कि कोरोना की बंदिशों के कारण मार्केट पूरी तरह से खत्म हो चुका है। किराना व्यवसायी लगन को देखते हुए माल मंगा रहे हैं, इसके बावजूद हाथ पर हाथ धड़े बैठे रहते हैं। व्यापारियों ने शादी समारोह में अतिथियों कि संख्या में बढ़ाने की मांग की है। वहीं, चुनाव के लिए लागू आचार संहिता भी मंदी का एक बड़ा कारण है।

मंडी शुल्क पर रार
व्यापारियों में मण्डी शुल्क को लेकर काफी आक्रोश है। व्यापारी किसी भी रूप में मण्डी शुल्क स्वीकार करने के पक्ष में नही हंै। व्यापारियों का कहना है कि सरकार जानबूझ कर ऐसे समय इसे लाई है कि आचार संहिता लागू हो जाएगा और व्यापारियों का शुल्क माफ करने का प्रस्ताव अपने आप ही ठण्डे बस्ता में चला जाएगा और व्यापारी कुछ नही कर पाएंगे।


विशेश्वरगंज की समस्याएं
- मूत्रालय नही
- शौचालय नही
- पेयजल नही
- विश्राम स्थल नही
- गर्मी के दिनों में छाया स्थल नही
- बहता सीवर
- टूटी गलियां
- अतिक्रमण
- सरकारी जगहो पर अवैध कब्जा
नोट: नगर निगम की दुकानों के आगे 2-3 दुकानें और लगती हैं जिसका फायदा निगम के ठेकेदार को होता है


इन संगठनों ने उठाई आवाज
- काशी खाद्य व्यापार मण्डल
- विशेश्वरगंज व्यापार मण्डल
- विशेश्वरगंज भैरोनाथ व्यापार मण्डल
- दी काशी किराना व्यापार मण्डल
- काशी गल्ला फडिय़ा संघ
- सुर्ती व्यापारी संघ
- काशी व्यापार प्रतिनिधि मण्डल
- महानगर उद्योग व्यापार समिति
- दाल मिल कल्याण समिति
- सुपाड़ी एवं लकड़ी व्यवसायी


मंडी की समस्याएं दिनोदिन गंभीर होती जा रही है। हम जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक अमला तक दौड़ सालों से लगाते आ रहे हैं, लेकिन इनकी कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। अब इस चुनाव में हम सभी दलों को सबक सिखाएंगे।
- अशोक कसेरा, व्यापारी

जब हम मंडी परिषद की कोई सेवा ही नही लेते तो मंडी शुल्क किस बात का दें ये व्यापरियों पर अनर्गल अन्यायपूर्ण कानून थोपा जा रहा। जो व्यापरियों को कदापि मंजूर नही है।
मनोज पांडेय, व्यापारी

Posted By: Inextlive