-पीडब्ल्यूडी कोरोना व पर्यावरण की बेहतरी के लिए किया पहल

-टिकरी कला से बड़ागांव और राज मार्ग संख्या 98 से बलुआ तक लगाए जा रहे औषधीय पौधे

-2011 की जनगणना के मुताबिक 250 से अधिक आबादी वाले मजरों का सर्वे

-लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेजा, बजट का इंतजार

शहर को हरा भरा करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से तमाम कवायद चल रही है। इसी क्रम में विभिन्न रोड को हर्बल सड़क के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें आशापुर-सारनाथ, टिकरी कला लोकापुर से पांचों शिवाला होते बड़ागांव और राजमार्ग संख्या 98 से बलुआ तक की सड़क शामिल है। आशापुर से सारनाथ म्यूजियम रोड पर 2.10 किलो मीटर में 40 पौधे, बड़ागांव रोड पर 1.50 किलोमीटर में 100 और बलुआ हर्बल मार्ग पर 1.24 किमी में 50 पौधे लगाए जा रहे हैं।

कोरोना ने विभाग को दिखायी राह

पीडब्ल्यूडी की ओर से खंडवार सड़क चयन कर हर्बल रूट के रूप में विकसित किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग की कोशिश है कि कोरोना से निजात दिलाने में सहायक हर्बल पौधों को लगाया जाए, दो लहर में लोगों को आयुर्वेद ने बहुत मदद की। इससे जगी उम्मीद ने अब विभाग को भी हर्बल पौधे लगाने को विवश किया है। बहरहाल विभिन्न सड़कों पर हर्बल प्लांट लग जाने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो और पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा।

मासपर्णी से अश्वगंधा तक

विभाग ने सड़कों के किनारे ग्रीन पट्टी बनाकर उसे हर्बल मार्ग के रूप में विकसित करने की रणनीति बनाई है। इसके तहत हर्बल मार्ग बनाए जाने की महत्वाकांक्षी योजना चल रही है, इसमें चयनित सड़कों के किनारे मासपर्णी, सप्तपर्णी, रतनजोत, जलनीम, छोटा नीम, सहजन, मेथा, लेमनग्रास, भृंगराज, मुई, आंवला, ब्राह्मी, तुलसी, अन्नतमूल, ग्वारपाठा, अश्वगंधा, हल्दी आदि के पौधे जो कई रोगों के इलाज में अत्यंत उपयोगी हैं, रोपित किए जा रहे हैं।

सात दशक बाद 196 मजरों तक सड़क

आजादी के सात दशक बाद भी जिले में कई ऐसे मुहल्ले हैं जहां अभी तक सड़क नहीं बनी है। लोग पगडंडी या कच्चे सड़कों के सहारे अपने घरों तक जाने को विवश हैं। बारिश होते ही मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। लोक निर्माण विभाग ने वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक 250 से अधिक आबादी वाले मजरों का सर्वे शुरू किया तो 196 मजरे ऐसे मिले जहां आज भी सड़क नहीं है। यदि सड़क है भी तो कच्ची है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और विधायक को नहीं है। फिर भी जनता इसका खामियाजा भुगत रही है।

सड़क बनाने का इंजीरियर को देना होगा एफिडेविट

हर गांव-मोहल्ला, बस्ती, मजरों तक सड़क बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने संपर्क मार्ग योजना शुरू किया। सरकार ने वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक मजरों को चिह्नित कर सड़क बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग से प्रस्ताव मांगा। पीडब्ल्यूडी ने 250 से अधिक आबादी वाले मजरों की सड़क के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को पिछले वित्तीय वर्ष में भेजा था लेकिन शासन ने बजट नहीं होने का हवाला देते हुए फाइल लौटा दी। फिर शासन से अनुमति मिलने पर फाइल भेजी गयी है। पिछले दिनों इसको लेकर लखनऊ मुख्यालय में मीटिंग भी हुई थी। इसमें कहा गया कि हर गांव व मजरे में सड़क होनी चाहिए, यदि नहीं है तो सहायक व अवर अभियंता जिम्मेदार होंगे। इंजीनियर इस बात का शपथ पत्र दें कि अब कोई बस्ती और मजरा नहीं बचा है, जहां पक्की सड़क नहीं है।

चयनित रोड पर हर्बल प्लांट लगाया जा रहा है। वहीं जिले के 250 से अधिक आबादी वाले मुहल्लों को चिह्नित कर प्रस्ताव भेज दिया गया है। बजट आते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उम्मीद है कि सितंबर में बजट मिल जाएगा।

- एसके अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी

Posted By: Inextlive