कैंट स्टेशन के पास स्थित स्टैंड पर न नल से आता है पानी और न होती है सफाई गड्ढे में तब्दील हो गया परिसर यात्रियों के बैठने के स्थान पर कूत्तों का कब्जा

वाराणसी (ब्यूरो)फर्श पर लेटे हुए यात्री और पास में ही आराम फरमा रहे कुत्ते। समीप के पेयजल की सूखी नल की टोंटी और जहां-तहां बिखरा कूड़ा। बसों के आवागमन के विवरण बोर्ड के नीचे स्टाफ ने वाहन खड़ा कर पार्किंग बना ली है। ये नजारा है कैंट रेलवे स्टेशन के पास स्थित चौधरी चरण सिंह अंतर्राज्यीय रोडवेज बस स्टैंड का। यहां इस समय सुविधा के नाम बेतरतीब खड़ी बसों के अलावा यदि आपने कुछ पाने की चाहत रखी तो निराश ही होंगे। ये हाल तब है जब यहां से प्रतिदिन लगभग 30 हजार पैसेंजर्स विभिन्न शहरों के लिए अपनी यात्रा प्रारंभ करते हैं। वे परेशान होते हैं और जिम्मेदारों को कोसते हुए गंतव्य को रवाना हो जाते हैं.

लडख़ड़ाती हैं बसें

कैंट बस अड्डे का पूरा परिसर काफी पुराना और बदहाल हो चुका है। स्टैंड में इंट्री के स्थान पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं जिससे बसें लड़खड़ाते हुए अंदर प्रवेश करती हैं और उसी हाल में बाहर निकलती हैं। ऐसे में कई बार उनमें बैठे यात्री चोटिल भी होते हैं और डरे रहते हैं। यही नहीं बारिश के मौसम में इनमें पानी भर जाने से दिक्कत और बढ़ जाती है। स्टैंड में प्रवेश करने वाले पैसेंजर्स को भी गड्ढों के कारण काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। युवा और पुरुष पैसेंजर्स तो किसी तरह प्रतीक्षालय में प्रवेश कर जाते हैं, लेकिन महिला और बुजुर्ग पैसेंजर्स को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं.

कुत्ते करते हैं परेशान

बस अड्डे के टिकट काउंटर के सामने यात्री प्रतीक्षालय है। वहां चार-पांच की संख्या में तीन-चार सीटर कुर्सिंयां लगी हैं। जो अक्सर भरी ही रहती हैं, क्योंकि स्टैंड में आने वाले पैसेंजर्स की संख्या के लिहाज से ये इंतजाम नाकाफी हैं। ऐसे में बस अड्डे के फर्स पर बैठकर पैसेंजर्स अपनी बसों का इंतजार करते हैं। ऐसे में परिसर में घूमने वाले कुत्ते उन्हें काफी परेशान करते हैं.

दम तोड़ चुके नल

इनक्वायरी काउंटर के पास ही पेयजल के लिए चार-पांच नल लगे हुए हैं। सोमवार को इनमें से पानी की एक बूंद भी नहीं आ रही थी। एक यात्री रामचंद्र ने बताया कि उसे मजबूरी में पानी की बोतल खरीदकर काम चलाना पड़ा.

स्मार्ट सिटी में बस स्टैंड उपेक्षा का शिकार है। जैसे-तैसे परिवहन विभाग अपनी गाड़ी खींच रहा है। जबकि, कायदे से अन्य शहरों की तरह बनारस के बस अड्डे को भी अपडेट करना चाहिए.

विशाल सिंह, नागरिक

मुझे अक्सर सरकारी बस से सफर करना पड़ता है। जब भी यात्रा करता हूं बड़ा बुरा अनुभव रहता है। आज ही देख लें, लोग फर्श पर कुत्तों के साथ सोए हुए हैैं.

भीम मोदनवाल, यात्री

बस अड्डे के परिसर की मरम्मत के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। सफाई व पेयजल उपलब्धता के लिए कर्मचारियों की मॉनिटरिंग की जाएगी। लापरवाह स्टाफ के प्रति कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

केके तिवारी, मैनेजर, क्षेत्रीय परिवहन विभाग

Posted By: Inextlive