- सामान्य सर्दी-जुकाम से पीडि़त भी हो रहे सोशल डिसक्रिमिनेशन का शिकार

- हाल ही में जापानी टूरिस्ट ग्रुप के लिए भी रेल यात्रियों ने किया था ऐसा ही व्यवहार

- सही जानकारी के अभाव में लोग भूल जा रहे है मानवता और समझदारी

केस-1

मालती (बदला हुआ नाम) नाटीइमली एरिया के एक अपार्टमेंट कई घरों मेड का काम करती है। सोमवार से उस सर्दी-जुकाम की शिकायत हुई। कोरोना के खौफ में उसने कबीरचौरा हॉस्पिटल में डॉक्टर को भी दिखाया। डॉक्टर ने कहा कि ये कोरोना नहीं, सामान्य फ्लू है। लेकिन अब मालती की खांसी और छींक ने उसे काम वाले कई घरों से बेदखल कर दिया है। अब वह अपने सर्दी-जुकाम को कोस रही है।

केस-2

पिशाचमोचन निवासी मनीष वर्मा (बदला हुआ नाम) कुछ दिन पहले ही विदेश यात्रा से लौटे हैं। मनीष बिजनेस ट्रिप गए थे। लेकिन घर वापसी के बाद मनीष और उनके परिवार के साथ मोहल्ले वाले दूरी बनाए पड़े है। मनीष पूरी तरह स्वस्थ है इसके बावजूद कोई उनके घर नहीं आ रहा। ना ही फैमिली मेम्बर्स से मिल रहा। घर का हर सदस्य इस लोगों के इस बिहैवियरल चेंज से हैरान और परेशान है।

केस-3

पिछले सप्ताह ट्रेन से वाराणसी आ रहे जापानी टूरिस्ट ग्रुप को पब्लिक के आक्रोश का सामना करना पड़ा। इस टूरिस्ट ग्रुप में एक कपल सर्दी से परेशान था। हालांकि एयरपोर्ट चेक में इस ग्रुप को सामान्य पाते हुए ही उन्हें इंडिया में एंट्री दी गयी थी। लेकिन ट्रेन में इस कपल के छींकने पर पूरे कम्पार्टमेंट और आस-पास के यात्री भड़क गए। डीडीयू जंक्शन पर हंगामा किया। जीआरपी ने किसी तरह स्थिति संभाला तब ये ग्रुप वाराणसी पहुंच सका।

ये तीन केसेज ये बताने के लिए काफी हैं कि इन दिनों सामान्य बीमार लोगों को भी किस तरह से कोरोना संदिग्ध के तौर पर देखा जा रहा है। कई मामलों में ऐसे लोगों को मानसिक तौर पर लोगों की प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। नतीजा लोगों में कोरोनावायरस के प्रति खौफ तो बढ़ ही रहा है, साथ ही उन्हें सामाजिक दुराव का सामना करना पड़ रहा है।

बुजुर्ग मां से बना ली है दूरी

मामला सोशल डिसक्रिमिनेशन तक ही सीमित नहीं है। अर्दली बाजार क्षेत्र के एक परिवार ने बुजुर्ग मां से सिर्फ इसलिए दूरी बना ली है क्योंकि वो खांसी से परेशान है। उन्हें कमरे में अकेला छोड़ दिया गया है। सिर्फ टाइम पर खाना उनके रूम में पहुंचा दिया जा रहा है। कोई ये जानने की जहमत तक नहीं उठा रहा कि मां की खांसी सामान्य है या कोरोना है।

क्या यही है हमारी मानवता

निश्चित रूप से कोरोना का संदिग्ध से सुरक्षित दूरी बनाकर रहने में भलाई है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किसी को संदिग्ध मानते हुए उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाए। मानसिक रूप से प्रताड़ना दी जाए। उसे खतरा मानते हुए जरूरत से ज्यादा भेदभाव किया जाए। ये कहीं से भी मानवता नहीं। जरूरत है तो संदिग्ध मामलों में भी जागरूक नागरिक का कर्तव्य निभाने की। याद रखें कि हम सभी को मिलजुल कर बीमारी को मारना है, किसी बीमार को नहीं।

यदि महसूस हो कोई कोरोना संदिग्ध है तो

- ऐसे मरीज से तीन फीट की दूरी बनाकर बात करें।

- उसे तत्काल हॉस्पिटल जा कर जांच कराने की सलाह दें।

- उसे ट्रांसपोर्टेशन के लिए निजी साधन उपयोग की सलाह दें।

- उसे मास्क पहनने और जांच रिपोर्ट आने तक अन्य व्यक्ति या वस्तु से सुरक्षित दूरी बना कर रखने की भी सलाह दें।

- यदि संभव हो तो आप खुद जिला प्रशासन की हेल्प लाइन नम्बर पर संबंधित संदिग्ध के बारे में सूचना दें।

- ऐसे किसी संदिग्ध के सम्पर्क में आने बाद अपने शरीर को सेनेटाइजर से विसंक्रमित करें।

- घर, वर्क प्लेस तथा पर्सनल हाइजिन पर बराबर ध्यान दें।

कोरोना संदिग्धों से जुड़े के चर्चित मामले

1. दिल्ली के सफदरजंग में एक संदिग्ध ने डर के कारण आत्महत्या कर लगी जबकि उसकी जांच रिपोर्ट तक नहीं आई थी।

2. महाराष्ट्र में ऑस्ट्रेलिया से घर लौटे व्यक्ति को उसको सोसाइटी के लोगों ने इतना प्रताडि़त किया कि उसने वापस ऑस्ट्रेलिया जाने का फैसला कर लिया है।

3. ट्रेन में विदेश से आए एक व्यक्ति को खांसी आने पर यात्रिओं ने काटा बवाल, कानपुर सेंट्रल पर जबरिया ट्रेन से उतारा जबकि व्यक्ति जांच के बाद सही पाया गया।

4. कई शहरों में छींक आने पर लोगों की पिटाई के भी मामले सामने आएं हैं।

इस जानकारी से बढ़ाइये अपनी समझदारी

- किसी में कोरोना के लक्षण दिखने का ये मतलब नहीं उसे कोरोना हुआ ही है।

- वाराणसी में अब तक 13 संदिग्ध लोग की जांच हो चुकी है। सभी की जांच रिपोर्ट निगेटिव निकली।

- विदेश यात्रा से लौटा हर व्यक्ति कोरोना से प्रभावित है, ये सोच पूरी तरह से गलत है।

- कोरोना हो भी जाये तो इसका ये मतलब नहीं कि अब जिंदगी खत्म। कोरोना से पीडि़त लोगों में डेथ रेट मुश्किल से 2 प्रतिशत ही है। यानि 98 प्रतिशत लोगों में ठीक होने की पूरी संभावना रहती हे।

- किसी की छींक, खांसी, जुकाम को कोरोना मान लेना उचित नहीं जब तक की डॉक्टर इसकी पुष्टि न करें।

- कोरोना के संदिग्ध संक्रमित लोगों के साथ दुव्यर्वहार भी ठीक नहीं क्योंकि ये किसी के साथ भी हो सकता है। आपके साथ भी।

Posted By: Inextlive