बिजली बिल लोन सेक्स एक्सट्रासन लॉटरी के जरिए जालसाज खाली कर रहे खाते बनारस में लगातार बढ़ रहे साइबर ठगी के मामले

वाराणसी (ब्यूरो)साइबर अपराधी जामताड़ा, मुर्शिदाबाद, रेवाड़ी के बाद अब राजस्थान के भरतपुर में बैठकर बनारस के लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। वरुणा जोन पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि देशी जालसाज बिजली बिल, लोन, सेक्स एक्सट्रासन, लॉटरी के जरिए लोगों के खाते खाली कर रहे। हालांकि वर्चुअल आईपी और नंबर के इस्तेमाल के चलते ठगों तक पहुंचना पुलिस के लिए चुनौती है। बावजूद इसके पुलिस ने इन अपराधियों तक पहुंचने के लिए संबंधित जिले की पुलिस से संपर्क शुरू कर दिया है। पुलिस बहुत जल्द ही राजस्थान के भरतपुर में जाकर साइबर ठगों को पकड़ सकती है.

हर माह 60 केस

वाराणसी साइबर सेल में हर महीने 50 से 60 ठगी के मामले दर्ज किए जाते हैं। इसके अलावा के विभिन्न थानों और साइबर क्राइम थाने में भी ठगी के मुकदमे दर्ज होते हैं। साइबर सेल की जांच में सामने आया है कि जांच एजेंसियों से बचने के लिए ठगों ने वर्चुअल नंबर के अलावा अब वर्चुअल आईपी एड्रेस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। कई प्रदेशों में सक्रिय ठग वर्चुअल आइपी एड्रेस के माध्यम से वाराणसी के लोगों के बैंक खातों में सेंध लगा रहे हैं। ऐसे आरोपियों तक पुलिस का पहुंचना मुश्किल हो रहा है क्योंकि पुलिस वर्चुअल आईपी एड्रेस और नंबर को जल्दी ट्रेस नहीं कर पाती है.

कई मामलों की जांच

पुलिस ने जांच के दौरान 100 से ज्यादा वर्चुअल आईपी एड्रेस और नंबरों को वांटेड बनाया है। इन्हें प्रयोग करने वाले जालसाजों तक पहुंचने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों को जानकारी भेजी गई है। एजेंसियां अपने स्तर पर जांच कर रही हैं। जनवरी से अक्टूबर 2022 तक ऐसी ठगी के करीब 280 मामले सामने आ चुके हैं। अभी कई संदिग्ध मामलों की जांच की जा रही है.

करोड़ों की ठगी

करोड़ों रुपये हड़प चुके देसी ठग वाराणसी के अलावा प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं। आरोपियों ने किसी से 10 लाख तो किसी से पांच लाख रुपये ठगे। इससे जुड़े कई मामले साइबर क्राइम थाने में भी आ चुके हैं। करीब 10 विदेशी गिरोह पूर्वांचल में वारदात को अंजाम दे रहे हैं.

पुलिस से बचने के लिए नया तरीका

पुलिस ने पिछले दिनों सामने आए कई मामलों की गहनता से जांच की। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि पीडि़तों के मोबाइल पर भेजे गए लिंक को ठगों ने वर्चुअल आईपी एड्रेस से भेजा था, ताकि उन तक जांच एजेंसियां न पहुंच सकें। इन लिंक पर क्लिक करते ही पीडि़तों का मोबाइल हैक हो जाता है या फिर उसका एक्सेस ठगों के पास पहुंच जाता है। पीडि़तों के मोबाइल का एक्सेस लेने के बाद ठग यूपीआई सहित विभिन्न तरीकों से उनके साथ लाखों रुपये की ठगी करते हैं.

ये सावधानी बरतें

1. किसी भी तरह के ऑफर के लालच में न आएं। अनजान व्यक्ति से फोन पर बात कर उसके बहकावे में न आएं.

2. अच्छी तरह जांच करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें। किसी भी अनजान को खाते संबंधी जानकारी न दें.

3. नौकरी संबंधी विज्ञापन पर भरोसा करने से पहले पूरी जांच कर लें। निवेश करने से पहले भी सावधानी बरतें.

साइबर ठगी की वारदात पर पुलिस की नजर है। ठगों का लोकेश लगातार बदल रहा है। शुरुआत में जामताड़ा तो इसके बाद मुर्शिदाबाद, रेवाड़ी, अब राजस्थान के भरतपुर में बैठकर साइबर ठग बनारस के लोगों टारगेट बना रहे हैं। इन ठगों को पकडऩे के लिए स्थानीय पुलिस से संपर्क किया गया है.

-मनीष शांडिल्य, एडीसीपी, वरुणा जोन

Posted By: Inextlive