बनारस में कोरोना संक्रमण की सेकंड वेव के तांडव का मंजर याद कर आज भी हर कोई सहम उठता है. इस दौरान काशीवासियों को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की किल्लत से जूझना पड़ा था. लोग अपने पेशेंट को बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए हर कीमत अदा करने को मजबूर थे. इसे देखते हुए हालात सामान्य होने पर संभावित तीसरी लहर से निपटने और दोबारा ऑक्सीजन की किल्लत न हो इसके लिए शहर के विभिन्न अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट लगाये गये.

वाराणसी (ब्यूरो)। जिला प्रशासन का दावा है कि सभी ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो गये हैं। इन्हीं दावों की हकीकत जानने के लिए शनिवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के विभिन्न अस्पताल में बने ऑक्सीजन प्लांट का रियल्टी चेक किया। इस दौरान जो सामने निकलकर आया वह चौंकाने वाला है। पेश है एक रिपोर्ट

धूल फांक रहा नया प्लांट
मंडलीय अस्पताल में वर्तमान समय में दो ऑक्सीजन प्लांट हैं, जिसमें 600 लीटर प्रति मिनट कैपेसिटी का ऑक्सीजन प्लांट पुराना है। वहीं 100 लीटर प्रति मिनट कैपेसिटी का ऑक्सीजन कोरोना की सेकंड वेव के बाद बनाया गया। यहां पुराना प्लांट हो पूरी क्षमता से काम करता मिली, लेकिन जो नया प्लांट है बदहाली की भेंट चढ़ गया है। दरअसल, प्लांट का उद्धाटन होने के बाद अधिकारियों ने इस ओर दोबारा ध्यान ही नहीं दिया। ऐसे में प्लांट बंद पड़ा है। मशीनें धूल फांक रही हैं। इतना ही नहीं मकड़ी के जाले चारो ओर लटक रहे हैं।

मशीनों पर जमी धूल की मोटी परत
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व अस्पताल में गुजरात की कंपनी की ओर से 600 एलपीएम क्षमता का प्लांट लगाया गया। प्लांट द्वारा 120 बेड पर ऑक्सीजन की आपूर्ति की जानी थी, लेकिन प्लांट का उद्धाटन होने के बाद आज तक एक भी पेशेंट को ऑक्सीजन नहीं मुहैया कराई जा सकी। दरअसल, प्लांट का ट्रायल होने के बाद उसे बंद कर दिया गया। ट्रायल व प्रॉपर देखरेख नहीं होने से मशीनों और टैंक पर धूल की मोटी परत जम गई है। इसको लेकर जब स्टाफ से जानकारी की गई तो गोलमोल जवाब देने लगे। पहले वाले ने बताया कि ऑक्सीजन की सप्लाई चालू है। जब उससे मौके पर सप्लाई प्रोसेज के लिए कहा गया तो आनाकानी करने लगा। वहीं दूसरे स्टाफ ने बताया कि कई महीनों से इसका ट्रायल बंद है।


कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
जिला हॉस्पिटल में डेंगू वार्ड के पास बनाया गया 613 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) का ऑक्सीजन प्लांट अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहा है, लेकिन मशीन कक्ष में अव्यवस्थाओं का अंबार मिला। यहां आरओ और पानी टंकी से जल रिसाव होता मिला। ऐसे में इलेक्ट्रिक मशीनों में शॉर्ट-सर्किट और जंग लग सकता है।

ये किया गया था दावा
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि वाराणसी यूपी का ऐसा पहला जिला है, जिसके सरकारी अस्पताल ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर हैैं। जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की कमी न होने देने की व्यवस्था बनाई गई है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है।


पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की बहुत आवश्यकता नहीं पड़ती है। महिला हॉस्पिटल में हमारी ही यूनिट से ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है। फिर भी ट्रायल के तौर पर थोड़ी देर मशीनों को चलाना चाहिए। इसमें लापरवाही बरतने वाले कर्मियों को चेतावनी दी जाएगी।
डॉ प्रसन्न कुमार, एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल, कबारचौरा

जिला हॉस्पिटल परिसर में वाटर लिकेज और लॉगिंग के स्थानों को चिंहित कर लिया गया है। ऑक्सीजन प्लांट पूरी क्षमता से चल रहा है और हमारी प्राथमिकता में शामिल हैैं। शासन द्वारा बजट जारी हो चुका है। लिकेज को दुरुस्त और अन्य मरम्मत कार्य जारी है।
डॉ राज कुमार सिंह, सीएमएस, जिला हॉस्पिटल, वाराणसी


जिला हॉस्पिटल में लगी ऑक्सीजन प्लांट की इकाई अपनी क्षमता से काम कर रही है। टैैंक फुल होने पर मशीनों को बंद कर दिया जाता है। पानी लीकेज और जल जमाव की समस्या को जल्द ही दुरुस्त किया जाएगा।
डॉ संदीप चौधरी, सीएमओ, वाराणसी

Posted By: Inextlive