स्टिंग ऑपरेशन में बस संचालकों ने स्वीकारा बनारस के जिस थाने-चौकी से गुजरती है बस, संचालक को हर जगह देना होता है महीना

शहर में किसकी पर धड़ल्ले से चल रहे हैं अवैध बस स्टैंड इसका खुलासा पहली बार पढि़ये दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में

आपने भी बनारस में कई जगहों पर अवैध बस स्टैंड देखें होंगे। कई बार इन अवैध बसों की वजह से आपको भी जाम और दूसरी समस्याओं का सामना करना पड़ा होगा। उस समय आपके दिमाग में एक ही सवाल आया होगा कि आखिर यह अवैध बस स्टैंड किसकी शह पर चलते हैं। इनकी गुंडई पर कोई लगाम क्यों नहीं लगती। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने बस संचालक बनकर इस सवाल का जवाब खोजा। स्टिंग ऑपरेशन के दौरान एक ऐसा सच सामने आया जो आपको भी चौंका देगा। पुलिस की मिलीभगत से यह अवैध बस स्टैंड चल रहे हैं। अगर बनारस में किसी को भी प्राइवेट बस चलानी है तो उसे महीने के 15000 रुपए तक पुलिस को महीना देना होता है। हर थाने-चौकी से लेकर ट्रैफिक पुलिस तक महीना बंधा हुआ है।

कई बार हो चुका है बवाल

अवैध बस स्टैंड को लेकर बनारस में कई बार बड़े बवाल हो चुके हैं। शहर में कैंट से लेकर रोहनिया तक 3 अवैध बस स्टैंड चलते हैं। यहां से मुंबई, दिल्ली, एमपी, बिहार से लेकर गुजरात तक के लिये बसें चलती हैं। ये बसें दिनभर सड़क किनारे खड़ी रहती हैं। रसूखदारों का इन बस स्टैंड पर आशीर्वाद होता है। इस आशीर्वाद के बदले हर बस संचालक 200 रुपए रोज का इनकी दान पेटी में डालता है। इस रसूख के खेल में कई बार बवाल भी हो चुके हैं। हजारों शिकायतें, सैकड़ों खबरों के बाद भी यह अवैध बस स्टैंड आज तक अंगद पांव की तरह शहर में जमे हुए हैं। क्योंकि इन्हें पुलिस का भी आशीर्वाद है।

दो रिपोर्टर, चार स्टिंग ऑपरेशन

बनारस में बस चलाना आसान नहीं है। संचालक को डीजल और ड्राइवर के अलावा कई लोगों को महीना देना पड़ता है। दो रिपोर्टर ने चार बस संचालक से लेकर ट्रैवल एजेंट का स्टिंग किया तो महीने की पूरी लिस्ट सामने आई-

1. जहां बस खड़ी होती है, वहां के मालिक को। यह कोई लोकल का दबंग होता है।

2. ट्रैवल एजेंट को 15-20 प्रतिशत हर सवारी पर कमीशन देना होता है।

3. थाने और चौकी को महीना देना पड़ता है।

4. अगर रास्ते में किसी ने पकड़ा तो वहां भी रिश्वत देनी होती है।

सिगरा से लेकर रोहनिया थाने तक महीना

रिपोर्टर ने बस संचालक अभय यादव से एक नई बस चलवाने के लिये बात की। आप भी देखिये क्या जवाब मिला।

रिपोर्टर- भईया, एक पुरानी बस खरीदी है। उसे मधुबनी रूट पर चलवाना है।

अभय- बड़ा खर्चा आएगा। उस रोड पर हम लोग भी 4-5 गाडि़यां चलाते हैं। बीसों लाख का डीजल फूंकें हैं। तब कहीं आज

रिपोर्टर- कितना खर्चा आएगा?

अभय- 25 हजार रोज का डीजल। अप एंड डाउन मिलाकर। 4-5 हजार ड्राइवर और बाकी खर्च। अगर बनारस से चलाएंगे तो पुलिस का महीना भी बांधना होगा।

रिपोर्टर- उसका कितना लगता है?

अभय- 11-12 हजार रुपए महीने।

रिपोर्टर- उसमें बनारस का देखेंगे या बिहार तक का।

अभय- सिर्फ बनारस का। बीच में जिसकी गाड़ी होती है जिम्मेदारी उसकी ही होती है। जैसे यहां से निकल गए आप तो चौबेपुर, सैदपुर में गाड़ी पकड़ा गई तो जिम्मेदारी आपकी होगी।

रिपोर्टर- बनारस में जहां खड़ा करेंगे भरेंगे।

अभय- मुड़ैला पर अगर गाड़ी लगा देंगे, तो जिस थाने से गाडि़यां गुजरती हैं, उस-उस थाने का महीना लगता है। जैसे आप कैंट पर गाड़ी खड़ी करेंगे तो सिगरा थाना हो गया, रोडवेज चौकी हो गई, इसके आगे मंडुआडीह, लोहता थाना, सभी की चौकी, टीआई्र ट्रैफिक एसपी का भी महीना लगता है।

रिपोर्टर- यानी 11-12 हजार रुपए महीने में हो जाएगा?

अभय- थाने का 3 हजार है, चौकी का 2 हजार है। जिस हिसाब से थाना-चौकी पड़ेगा, वैसा खर्चा आएगा। महीने का पुलिस का 15 हजार रुपए मान के चलिये।

Posted By: Inextlive