मानवाधिकार जन निगरानी समिति के संयोजक ने दर्ज कराई शिकायत पहले से भी चल रही जांच गिर सकती है कई डॉक्टर्स पर गाज

वाराणसी (ब्यूरो)मानसिक अस्पताल में पिछले दिनों एक के बाद एक मौत का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। संदेहास्पद स्थिति में हुई पांच मौतों के बाद मानसिक अस्पताल की जांच डीएम के निर्देश पर जारी है। इस बीच मानवाधिकार जन निगरानी समिति के संयोजक के पत्र का संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने मामले को दर्ज कर लिया है। गौरतलब है कि शहर के पांडेयपुर स्थित मानसिक चिकित्सालय में पिछले दस दिनों के भीतर पांच मौत होने के अलावा एक कैदी के फरार होने की घटना ने वहां की अव्यवस्थाओं को उजागर करके रख दिया है। इस घटना के बाद जिला प्रशासन की ओर से जांच समिति का गठन किया गया, जिसने कई अनियमितताएं पाईं हैं। पिछले तीन दिनों से अस्पताल की एक-एक फाइल को खंगाला जा रहा है।

मानवाधिकार ने लिया संज्ञान

मानवाधिकार जन निगरानी समिति के संयोजक डॉ। लेनिन रंघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मानसिक अस्पताल में हुई पिछले दस दिनों की घटनाओं पर पत्र लिखा। आयोग ने पत्र का संज्ञान लेते हुए शिकायत दर्ज करते हुए डायरी नंबर भी जारी किया है। आयोग के संयोजक की ओर से पत्र में बताया गया है कि मानसिक अस्पताल वाराणसी में पांच मरीजों की मौत संदेहास्पद स्थिति में होने के बाद अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

हो सकती है कार्रवाई

अस्पताल में प्रशासन की ओर से एक-एक फाइल को खंगाला जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अस्पताल के आर्थिक आय-व्यय में कई अनियमितताएं मिलने की बात सामने आ रही है। हालाकि जांच अभी पूरी नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो अस्पताल के कई डॉक्टर और कर्मचारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।

पूर्व में भी लगे आरोप

मानसिक अस्पताल में ये कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जब सवाल उठे हैं। इसके पहले भी कई मरीजों के परिजनों ने अस्पताल की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाए हैं। एक आरटीआई कार्यकर्ता संदीप मौर्य की ओर से पूछे गए सवालों पर मानसिक अस्पताल प्रबंधन ने कई तथ्यों को या तो छुपाया या फिर गलत जवाब पेश किया है। हालाकि पांच मौतों के बाद लगभग उन्हीं बिंदुओं पर जिला प्रशासन की ओर से जांच चल रही है। आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक मानसिक रोगियों को समाज की मुख्य धारा में वापस लाने के लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से व्यापक प्रयास किए जाते हैं, लेकिन अस्पताल में इस प्रकार का कोई प्रयास ही नहीं किया जा रहा है।

लगाते हैं झूठा आरोप

जानकारी के मुताबिक अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने पर कार्यरत कर्मचारियों की ओर से झूठे छेड़खानी तक के आरोप में फंसाने का प्रयास किया जाता है। इस तरह के मामले अस्पताल परिसर के भीतर कई बार सामने आ चुके हैं। इसे निदेशक डॉ। लिली भी मानती हैं। कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो अस्पताल में सालों से कार्यरत हैं, लेकिन निदेशक की ओर से कई बार संज्ञान में लाने के बावजूद उनका आज तक कभी स्थानांतरण नहीं किया गया।

लिखते हैं बाहर की दवा

अस्पताल में आने वाले मरीजों को डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं। जबकि परिसर में ही आयुष जनऔषधि है। यहां से मरीज की ओर से जब दवा ली जाती है तो उसे खराब बताकर वापस करवा दिया जाता है। आपको बता दें कि यहां अस्पताल में प्रतिदिन 700 मरीज ओपीडी में आते हैं, लेकिन दवाई लेने के लिए बाहर जाते हैं। अस्पताल के निदेशक ने भी माना है कि बाहर से दवाईयां लेने की जरूरत नहीं के बराबर पड़ती है.

Posted By: Inextlive