बनारस पर्यटकों का पसंदीदा शहर है. इसलिए महीने में नहीं बल्कि हर दिन बड़ी संख्या में टूरिस्ट घूमने के लिए यहां आते हैं. शहर के प्रमुख एरिया के अलावा गंगा घाट से सटे इलाकों में रेस्टोरेंट की भरमार है जहां बनारसी के अलावा साउथ इंडिया चाइनिज व्यंजन उपलब्ध हैं लेकिन यह आधा सच है. घाट किनारे कुछ ऐसे भी रेस्टोरेंट हैं जो नशे के जंक्शन हैं.

वाराणसी (ब्यूरो)। जी हां, आपने सही समझा। अस्सी के पास डुमराव बाग कॉलोनी में धड़ल्ले से गांजा, चरस व बीयर परोसा जा रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की स्टिंग में यह सनसनीखेज मामला सामने आया है। सूत्रों से जानकारी मिलने पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ग्राहक बनकर पहुंची, तो कई सच से रूबरू हुई। नगर के रेस्टोरेंट में कैसे संचालित हो रहा है नशे का कारोबार यह जानकार आप भी दंग रह जाएंगे।

डुमराव बाग कॉलोनी स्थित कैफे बीटीडब्ल्यू की गलियारे से होकर ग्राहक बनकर रिपोर्टर अंदर पहुंचा। अंदर लाइट म्युजिक व कम रोशनी के बीच कई टेबल सजे थे, जिस पर युवक-युवतियां बैठे थे। एक खाली टेबल पर रिपोर्टर भी जाकर बैठ गया। एक मिनट के बाद एक वेटर आया। वेटर से क्या बातचीत हुई, यह आप भी सुनिए।

वेटर- जी बोलिये।
रिपोर्टर - मेनू लाओ।
वेटर- जी लाता हूं।
रिपोर्टर- ठीक है।
वेटर- जी, लीजिए, क्या लेंगे।
रिपोर्टर- माल मिलेगा।
वेटर- पैसे दीजिए, सब कुछ मिलेगा।
रिपोर्टर- सब कुछ का मतलब।
वेटर- चाहिए क्या आपको।
रिपोर्टर- गांजा चाहिए।
वेटर- ठीक है, पैसा दीजिए।
रिपोर्टर- कितने का मिलेगा।
वेटर- एक यूनिट चाहिए कि दो।
रिपोर्टर-मतलब।
वेटर- नये हैं क्या।
रिपोर्टर- हां, भाई।
वेटर- एक सिगरेट है, इससे अधिक।
रिपोर्टर-एक सिगरेट है।
वेटर- ठीक है, दो सौ रुपये दीजिए।
रिपोर्टर- रुको, और क्या-क्या है।
वेटर-चरस, बीयर भी उपलब्ध है।
रिपोर्टर- बीयर भी मिलेगा।
वेटर-जी, हां,
रिपोर्टर-वह कितने का है।
वेटर-एक मग का 250 रुपये।
रिपोर्टर-ठीक है। थोड़ी देर
में आओ।

ऐसा था वहां माहौल
रिपोर्टर करीब दस मिनट तक रेस्टोरेंट में रुका था। वहां एक भी टेबल खाली नहीं था। हर टेबल पर तीन या चार लोग मौजूद थे। तीन टेबल पर लड़कों के साथ लड़कियां भी थीं। स्लो म्युजिक और हल्की रोशनी के बीच सभी के हाथों में सिगरेट था, जो कस लगाने के बाद धुआं ऊपर की ओर उड़ा रहे थे। कुछ टेबल पर लड़के सिगरेट खाली कर उसमें गांजा भर रहे थे। एक टेबल पर गांजा पड़ा था। कुछ लड़कों-लड़कियों के हाथ बीयर से भरा मग भी था। इसी बीच कुछ लड़के सीढ़ी से उतर भी रहे थे। बातचीत में एक लड़के ने बताया कि ऊपर भी महफिल सजी है, लेकिन टेबल खाली नहीं है। एक टेबल पर एक लड़का व दो लड़कियां थी। उनके टेबल पर खाना भी था।

कैसे वहां से बच निकला रिपोर्टर
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम में दो लोग थे। योजना के तहत एक रिपोर्टर अंदर व दूसरा साथी बाहर था। जैसे ही वेटर रिपोर्टर के पास से गया। तभी रिपोर्टर अपने दूसरे साथी को मिसकॉल किया। प्लानिंग के तहत दूसरे साथी ने रिपोर्टर के मोबाइल पर काल किया। दोनों के बीच बातचीत चल रही थी, इसी बीच फिर वेटर आया तो रिपोर्टर ने बोला कि घर से कॉल आई, बहुत जरूरी काम आ गया। दूसरे दिन आएंगे। यह कहकर रिपोर्टर वहां से निकल लिया।

पुलिस की शह पर चल रहा खेल
अस्सी स्थित डुमराव बाग कालोनी तो सिर्फ एक बानगी है। घाट के आसपास वाले इलाकों में नशा कराने वाले रेस्टोरेंट की संख्या कई है। जैन घाट के पास एक रेस्टोरेंट है, जहां धड़ल्ले से नशा परोसा जा रहा है। आसपास के लोगों का आरोप है कि यह सब कुछ पुलिस की जानकारी में है। उन्हीं की शह पर यह चल रहा है। बिना पुलिस से सेटिंग किए कुछ भी नहीं चल सकता है।


अगर ऐसा हो रहा है तो यह गलत है। मादक पदार्थ परोसने वालों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा। होटल या रेस्टोरेंटों की जांच कराई जाएगी। जहां ऐसी गतिविधियां मिलेंगी, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। लाइसेंस भी निरस्त करने की कार्रवाई होगी।
-सुभाष दुबे, एडिशनल सीपी

Posted By: Inextlive