डूबने के बढ़ते मामले को देखते हुए काशी जोन के डीसीपी ने नगर आयुक्त को लिखा पत्र कहा दुर्घटना रोकने के लिए जलासेन और ललिता घाट पर स्नान पर लगे रोक नावों पर पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर लाइफ जैकेट या लाइव ङ्क्षरग नहीं बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा घाटों पर गहराई के बारे में नहीं जानकारी

वाराणसी (ब्यूरो)जलासेन और ललिता घाट पर जमीन दलदल होने के साथ पानी की गहराई अधिक है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से दोनों घाट नजदीक होने के कारण नाविक श्रद्धालुओं को बैठाते और उतारते हैं। पिछले कुछ दिनों में गंगा में डूबने से कई लोगों की जान चली गई। ऐसे में तत्काल जलासेन और ललिता घाट पर श्रद्धालुओं के स्नान करने पर रोक लगाई जाए। साथ ही अन्य घाटों पर सुरक्षा की ²ष्टिगत बैरिकेङ्क्षडग की जाए जिससे श्रद्धालु उससे आगे नहीं बढ़ सके। इस आशय का पत्र काशी जोन के डीसीपी आरएस गौतम ने नगर आयुक्त लिखा है। साथ ही की गई कार्रवाई से अवगत भी कराने को कहा है.

दशाश्वमेध से अस्सी घाट तक गहरा पानी

डीसीपी ने लिखा है कि श्रद्धालु श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन करने के बाद नौका विहार करते हैं। जांच में पाया गया है कि दशाश्वमेध से अस्सी घाट तक गहरा पानी है। स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को इसका अंदाजा नहीं होता है, स्नान करने के दौरान वे गहरे पानी में चले जाते हैं। नाव के टकरानेे से भी घटना हो चुकी है। नावों पर पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर कोई उपकरण लाइफ जैकेट या लाइव ङ्क्षरग नहीं होता है। कोई हादसा होने पर पर्यटकों के डूबने की घटनाएं अधिक हो रही है। नाविकों द्वारा नगर निगम के शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है। गंगा में नाव, बोट संचालन से पहले जल पुलिस ने परीक्षण करा लिया जाए। कहा कि गर्मी का मौसम होने के कारण दूसरे जनपद के भी नाव कमिश्नरेट क्षेत्र के घाटों पर चक्रमण कर रहे हैं जो ठीक नहीं है।

गंगा में नाव का संचालन मनमाने तरीके से हो रहा है। कोई रोक-टोक नहीं है। नावों की संख्या अधिक होने के कारण आपस में टकराने के साथ दुर्घटनाएं हो रही है। ऐसे में गंगा में नावों के संचालन की संख्या तय की जाए। उन्हें कोड नंबर आवंटित हो जिससे कोई घटना होने पर उन्हें पकड़ा जा सके.

Posted By: Inextlive