जिस क्षण का इंतजार काशी की जनता कर रही थी वह क्षण आ ही गया. बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा देश की धार्मिक राजधानी वाराणसी पहुंच गयी. प्रतिमा आज सोमवार को काशी विश्वनाथ परिसर के ईशान कोण में रानी भवानी उत्तरी गेट के बगल में स्थापित होगी.

वाराणसी (विनोद शर्मा)। कनाडा से भारत लायी गयी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित की जाएगी। मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए मंदिर परिसर में सुबह सात बजे से मुख्य अर्चक श्रीकांत शर्मा के सानिध्य में पंचाग पूजन शुरू होगी। पंचाग पूजन के दौरान स्वस्तिपुणयाहवाचन, गणेशादि पंवायतन देवता, कलशस्थापन वरुण, पोढषमातृका, नवग्रह, नवमातृका पूजन आदि सम्पन्न होंगे।

सुबह 10.30 बजे मूर्ति स्थापित होगी
मुख्य अर्चक श्रीकांत शर्मा के अनुसार यह पूरा कार्यक्रम सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में सम्पन्न होगा। सारी पूजा विधि होने के बाद सुबह करीब साढ़े बजे सीएम हाथों से मूर्ति स्थापित होगी।


दुर्गा मंदिर से विदा होकर पहुंची विश्वनाथ धाम
जौनपुर से होकर बाबतपुर के रास्ते मां अन्नपूर्णा की शोयायात्रा वाराणसी में रविवार शाम पहुुंची। हरहुआ, गिलट बाजार, सर्किट हाउस, नदेसर, सिगरा, रथयात्रा से होकर मां की प्रतिमा दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर पहुंची। जहां रात में विशेष पूजन के साथ शयन आरती की गयी। सोमवार सुबह करीब साढ़े सात बजे इसी मंदिर से मां अन्नपूर्णा की विशेष विदाई होगी। यहां से सुबह करीब 10 बजे तक सीधे विश्वनाथ धाम पहुंचेगी।

मुख्यमंत्री होंगे यजमान
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में माता अन्नपूर्णा की मूर्ति पुर्नस्थापना कार्यक्रम में बतौर यजमान भाग लेंगे। सुबह साढ़े दस बजे रूद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर पहुंचेंगे और माता अन्नपूर्णा की मूर्ति की पुर्नस्थापना को लेकर आयोजित समारोह में काशीवासियों को संबोधित करेंगे। रविवार देर रात श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहुंचकर सीएम ने तैयारियों का जायजा भी लिया।

12 ब्राह्मण करेंगे मंत्रोच्चार
सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। इस दौरान 12 ब्राह्मण मंत्रोच्चार करेंगे। चार वेदों का परायण होगा। पंचाग पूजन के दौरान सभी शास्त्री और पुजारी भी रहेंगे। इस पूजन के बाद हवन होगा।

मूर्ति की प्रतीक फोटो की होगी पूजा
मां अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा की प्रतीक फोटो रखकर पंचाग पूजन, मंत्रोच्चार, हवन आदि पूजा विधि सम्पन्न करायी जाएगी। इस तस्वीर का अधिवास कराया जाएगा, जिसमें अन्नाधिवास, जलाधिवास, कृताधिवास शामिल है। पंचरत्न इत्यादि कलश में डाला जाएगा। जिस स्थान पर मूर्ति स्थापित होगी, उसके नीचे विशेष धातु डाले जाएंगे। इसके बाद आव्हान होगा।

चांदी का सिंहासन व आभूषण
मां अन्नपूर्णा को चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा। इसके अलावा चांदी आभूषण व वस्त्र भी होंगे। बनारस के विशेष कारीगरों ने सिंहासन और आभूषण तैयार किए हैं, जो मंदिर परिसर में ही रखा गया है।

108 भजनों का अर्पण
सनातनी मान्यताओं में 108 के अंक की महत्ता सर्वाधिक है। देवी-देवताओं के नाम जप में 108 की संख्या का विशेष महत्व है। कनाडा से देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति भी 108 साल बाद 14 नवंबर को बनारस लौटी है। काशी लौटने पर देवी को काशी के कलाकारों की ओर से 108 भजनों की शब्दमाला अर्पित की जाएगी। शब्दमाला काशी के चर्चित लोकगीत गायक डॉ। अमलेश शुक्ल अर्पित करेंगे। इन 108 भजनों में 54 पारंपरिक भजन होंगे, जिसमें पचरा की प्रमुखता होगी। वहीं शेष 54 ऐसे भजन होंगे जिनकी गिनती आधुनिक भोजपुरी और हिंदी साहित्य में की जाती है। डॉ। अमलेश शुक्ल के साथ सुमन अग्रहरि और गणेश पाठक भी सुर में सुर मिलाएंगे।

Posted By: Inextlive