-स्मार्ट सिटी योजना के तहत कैंट, मंडुआडीह व काशी स्टेशन पर लगायी गयी थी थ्री डी पेंटिंग

- एक साल में ही मिटने लगी संस्कृति की झलक दिखाने वाली पेंटिंग

स्टेशन पर उतरते ही पैसेंजर्स बनारस की संस्कृति से रूबरू हो जाएं, इसके लिए खास तरह की थ्री डी पेंटिंग की योजना तैयार की गई। एक साल पहले मंडुआडीह, कैंट व काशी स्टेशन पर दो करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर स्मार्ट सिटी के तहत पूरे कैंपस में पेंटिंग की गई। लेकिन यह पेंटिंग एक साल में ही बदसूरत हो गई। जिससे स्टेशन कैंपस में घाट व मंदिर की जगह पैसेंजर को आधी अधूरी संस्कृति की झलक मिल रही है। इसके लिए जिम्मेदार विभाग ने भी इससे पल्ला झाड़ लिया है। रेलवे प्रशासन अब नगर निगम से से बातचीत करके पेंटिंग के सुधार की बात कह रहा है।

एक साल में धुल गया पेंट

कैंट, मंडुआडीह व काशी स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया, सेकेंड एंट्री व प्लेटफॉर्म पर थ्री-डी पेंटिंग लगायी गयी है। स्मार्ट सिटी के तहत नगर निगम व रेलवे के संयुक्त प्रयास से लगी पेंटिंग एक साल में ही बदहाल हो गयी है। जबकि इसको पांच साल तक अमिट रहने का दावा किया गया था। सोच यह कि ट्रेन के यहां पहुंचते ही पैसेंजर्स को स्मार्ट सिटी वाराणसी में होने का एहसास हो जाए।

पेंटिंग में बनारस की ये छवि-

यहां बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर, प्राचीन घाट, गंगा आरती, साधु-संत, संस्कृति, पर्यटन स्थल व रेलवे की उपलब्धियों की कलाकृतियां लगायी गयी हैं। इस कवायद से प्लेटफार्म, कैंपस की दीवारों, एंट्री प्वाइंट व सर्कुलेटिंग एरिया की रौनक बढ़ने के साथ स्वच्छता अभियान को भी बल मिल गया है। कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में स्थित पानी की टंकी पर भी पेंटिंग लगायी गयी है।

कैंट स्टेशन-

योजना- थ्री-डी पेंटिंग स्मार्ट सिटी के तहत

एरिया- 35 हजार स्क्वायर फीट

वर्ष- 2020 में तैयार की गई पेंटिंग

पेंटिंग खासियत- वेदर रेजिटेंस में एडस्टेबल के साथ वॉशेबल

यहां-यहां पेंटिंग- कैंपस के प्लेटफॉर्म नंबर एक व नौ, सेकेंड एंट्री व कॉलोनी की ओर जाने वाले रास्ते पर विभिन्न तरह की पेंटिंग के साथ ही पानी टंकी पर पेंटिंग व लाइटिंग।

लागत- 1.50 करोड़ रुपए

खर्च- सिर्फ सर्कुलेटिंग एरिया में स्थित पानी की टंकी पर पेंटिंग व लाइटिंग पर 30 लाख रुपये खर्च। 1.20 करोड़ शेष थ्रीडी पेंटिंग में खर्च

वर्तमान स्थिति- अब हालत यह है कि थ्री डी पेंटिंग जगह-जगह उखड़ गई है। इससे बनारस की संस्कृति की बदहाल तस्वीर पैसेंजर्स के सामने पेश हो रही है।

दस महीने भी नहीं चली पेंटिंग

पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद के बीच यहां के रेलवे स्टेशनों को भी खास लुक देने का प्लान बनाया गया। इस बीच दस महीने पहले तत्कालीन रेल राज्यमंत्री सुरेश अगड़ी बनारस दौरे पर आए थे। वो काशी स्टेशन का निरीक्षण करने पहुंचे जहां उन्होंने कैंपस में कैंट स्टेशन की ही तरह थ्री पेंटिंग लगाने का आदेश दिया। जिसके बाद रेलवे ने 15 लाख रुपये से काशी स्टेशन पर पेंटिंग लगवाया था। सिचुएशन यह कि दस महीने बाद ही यह पेंटिंग तहस नहस हो गयी है। किसी पेंटिंग में गंगा घाट का हिस्सा तो किसी में आरती का हिस्सा फट गया है। इससे धाíमक व प्राचीन शहर बनारस की सांस्कृतिक विरासत की झलक पैसेंजर्स को नहीं मिल पा रही है।

मंडुआडीह स्टेशन से मिटती पहचान-

कैंट से पहले मंडुआडीह स्टेशन पर थ्री डी पेंटिंग लगायी गयी थी। जिससे पूरे स्टेशन का लुक ही चेंज हो गया था। कैंपस में एंट्री करते ही बनारस की सांस्कृतिक विरासत से लोग रूबरू हो जाते थे। लेकिन फरवरी 2020 में लगी पेंटिंग करीब डेढ़ साल में ही अपनी बदहाली पर आंसू बहाने लगी है। 50 लाख रुपये से पूरे कैंपस के विभिन्न जगहों पर लगी पेंटिंग क्षत विक्षत हो गयी है। विरासत के अर्थ का अनर्थ लोगों तक पहुंच रहा है। यहां भी स्मार्ट सिटी के योजना के तहत बनारस व रेलवे से जुड़ी पेंटिंग लगायी गयी थी।

वर्जन----

कैंट व काशी स्टेशन कैंपस पर पहुंचने वाले पैसेंजर बनारस की संस्कृति से रूबरू हो सकें, यही इस पेंटिंग का मकसद रहा है। यहां स्मार्ट सिटी के तहत थ्री-डी पेंटिंग लगायी गयी है। यदि पेंटिंग में कोई गड़बड़ी आ गयी है तो इसके लिए नगर निगम से बात किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो पत्र भी लिखा जाएगा।

आनंद मोहन, डायरेक्टर

कैंट स्टेशन

देश भर से आने वाले पैसेंजर को बनारस की झलक मंडुआडीह स्टेशन पर ही मिल जाए, इसके लिए स्मार्ट सिटी योजना के तहत पेंटिंग लगी है। इसमें डिफेक्ट की जानकारी संबंधित रेलवे व नगर निगम के अधिकारियों को दी जाएगी।

अशोक कुमार, पीआरओ

वाराणसी डिवीजन, एनईआर

Posted By: Inextlive