जबकि नौ बार रेस्ट आफ इंडिया और जम्मू कश्मीर के निर्यातक चेयरमैन पद की शोभा बढ़ा चुके हैं. जबकि देश भर में पंजीकृत कालीन निर्यातकों की संख्या 1746 है.

वाराणसी (ब्यूरो)भदोही निर्यातकों के बीच आपसी तालमेल का अभाव व गुटबाजी के कारण कालीन उद्योग का काफी नुकसान हो चुका है। तालमेल के अभाव का परिणाम है कि 40 साल के परिषद के इतिहास में महज छह बार सीईपीसी की कमान उत्तर प्रदेश के पास रही। जबकि नौ बार रेस्ट आफ इंडिया और जम्मू कश्मीर के निर्यातक चेयरमैन पद की शोभा बढ़ा चुके हैं। जबकि देश भर में पंजीकृत कालीन निर्यातकों की संख्या 1746 है। इसमें 1248 निर्यातक सदस्य (मतदाता) यूपी के हैं। शेष निर्यातक रेस्ट आफ इंडिया और जम्मू कश्मीर के निवासी हैं। इस बार भी प्रशासनिक समिति के 18 सदस्य पदों पर होने वाले चुनाव के लिए दोनों गुटों ने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। देखा जाए तो दोनों गुटों में देश भर के दिग्गज निर्यातकों का नाम शामिल है। दोनों गुटों की ओर से सफलता तय करने की जोर आजमाइश चल रही है। हालांकि जो भी हो लेकिन माना जा रहा है कि जब मजबूत हाथों में कमान होगी तभी कालीन उद्योग का कल्याण संभव होगा.

संजय गुट में उत्तर प्रदेश कोटे से अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) के दो पूर्व अध्यक्ष रवि पाटोदिया व विनय कपूर पहली बार सीईपीसी का प्रतिनिधित्व करने के लिए मैदान में उतरे हैं। इसके अलावा संजय गुप्ता, भरतलाल मौर्य परिषद के प्रशासनिक समिति के सदस्य पद पर रह चुके हैं। इसी तरह सूर्यमणि तिवारी गुट भी दिग्गजों से लैस है। इस गुट के कई दावेदार पूर्व में प्रशासनिक समिति के सदस्य रह चुके हैं। लोगों का कहना है कि जीत किसी गुट की हो चेयरमैन यूपी का होना चाहिए ताकि वह कालीन उद्योग (विशेषकर भदोही-मीरजापुर) की समस्याओं को सरकार के सामने प्रमुखता से रख सके.

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14700 करोड़ : देश का कुल कालीन निर्यात

4900 करोड़ : उत्तर प्रदेश का कालीन निर्यात

4200 करोड़ : भदोही-मीरजापुर की भागीदारी

70 प्रतिशत : भदोही-मीरजापुर में कालीन उत्पादन

60 प्रतिशत : सीईपीसी में भागीदारी

1746 : पंजीकृत निर्यातकों की संख्या

1248 : यूपी के निर्यातकों की संख्या

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अपने क्षेत्र का होना चाहिए चेयरमैन

- कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) महत्वपूर्ण औद्योगिक संगठन है। इसका प्रतिनिधित्व करना सम्मान की बात है। परिषद की समिति में सहभागिता, देश के निर्यात में सहभागिता को देखते हुए उत्तर प्रदेश को वरीयता मिलनी चाहिए। हालांकि अब तक परिषद के बाइलाज के अनुसार चेयरमैन बनाए गए। ऐसे में उत्तर प्रदेश के हाथ में कम समय तक कमान रही लेकिन इस बार प्रदेश के निर्वाचित सदस्य को यह अवसर मिलना चाहिए। इससे भदोही-मीरजापुर कालीन परिक्षेत्र का भला होगा जो अत्यंत आवश्यक है.

- एजाज अंसारी, कालीन निर्यातक

Posted By: Inextlive