करीब चार बजे बच्चों के डूबने का पता तब चला जब कुछ चरवाहे पशुओं को पानी पिलाने पोखरे के किनारे गए. वहां उन्होंने बच्चों के कपड़े देखे तब उनको अनहोनी की आशंका हुई.

वाराणसी (ब्यूरो)आजमगढ़ के दीदारगंज थाना क्षेत्र के कुशल गांव में बुधवार को खेत में गेहूं की बाली बीनने निकले चार बच्चों की पोखरे में नहाते समय डूबने से मौत हो गई। मृतकों में सगे भाई 10 वर्षीय राजकुंवर उर्फ समर, सात वर्षीय राजकुमार उर्फ कल्लू के अलावा पड़ोस के चार वर्षीय यश और सात वर्षीय अंश शामिल हैं। करीब चार बजे बच्चों के डूबने का पता तब चला जब कुछ चरवाहे पशुओं को पानी पिलाने पोखरे के किनारे गए। वहां उन्होंने बच्चों के कपड़े देखे तब उनको अनहोनी की आशंका हुई। सूचना पर पहुंचे गांव के लोगों ने सभी बच्चों को बाहर निकाला। हालांकि तब तक देर हो चुकी थी। आनन- फानन में ग्रामीण बच्चों को लेकर जौनपुर के खेतासराय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। वहां चिकित्सकों की सलाह पर उन्हें लेकर जौनपुर जिला अस्पताल गए। वहां डाक्टरों ने मौत की पुष्टि कर दी। हादसे की जानकारी मिलते ही मौके पर लोगों की काफी भीड़ जुट गई। लोग पीडि़त परिवार के लोगों को ढांढस बंधाते रहे। एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि जौनपुर जिला अस्पताल से शवों को कब्जे में ले लिया गया है। गुरुवार को पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजन को सौंपा जाएगा।

चारों बच्चे नहीं गए थे स्कूल

मृत चारों बच्चे अनुसूचित जाति के बेहद गरीब परिवार से थे। वह गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे। दो दिन से हार्वेस्टर से गांव और आसपास के लोगों की गेहूं की कटाई हो रही थी, इसी वजह से सभी ने सुबह मशविरा कर स्कूल जाने के बजाय बाली बीनते का निर्णय लिया। इस बात से घर के लोग भी वाकिफ थे। लोग कहते रहे कि काल ने शायद उन्हें रोक रखा था.

दो घरों का बुझ गया चिराग, मचा रहा करुण क्रंदन

चार मृत बच्चों में दो अपने घर के इकलौते चिराग थे। सभी को ढांढस बंधाने वालों के भी आंसू नहीं थम रहे थे। इन बच्चों में दिल्ली कमाने गए कमलेश गौतम के घर का चिराग बुझ गया। उनकी तीन संतानों में बड़ा बेटा राजकुंवर उर्फ समर कक्षा तीन, दूसरा बेटा राजकमल उर्फ कल्लू कक्षा दो का छात्र था। अब उनके परिवार में केवल उनकी बेटी संध्या ही बची है। मां मीरा का रो-रोकर हाल बेहाल रहा। उधर, कमाने की गरज से आज ही यानि बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना हुए लौटन राम को क्या पता था कि रास्ते में ही उन्हें बेटे आठ वर्षीय यश की मौत की सूचना मिलेगी। यश दो भाइयों और दो बहनों में सबसे छोटा था। मां पुष्पा बिलखती रहीं। उधर, जीविकोपार्जन के लिए मुंबई में रहने वाले जयचंद गौतम का कक्षा एक में पढऩे वाला इकलौता पुत्र अंश इस तरह चला जाएगा मां किरन को विश्वास ही नहीं हो रहा था। अंश की तीन साल की बहन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हो गया। अपने लाल को निर्जीव हालत में शव से लिपट कर रो रही माताओं का करुण क्रंदन लोगों की आंखों को नम कर देने के लिए काफी था.

मासूमों की मौत से बिलख उठा कुशल गांव

दीदारगंज क्षेत्र के ग्राम कुशलगांव में पानी से भरे तालाब में डूबने से चार मासूमों की मौत ने इलाके के लोगों को हिला कर रख दिया है। एक तरफ जहां इस घटना से क्षेत्र में हाहाकार मचा हुआ है, वहीं हादसे में मृत बच्चों के परिवार में चीख-पुकार मची हुई है। गांव में भी मातम छाया हुआ है।

इन दिनों गेंहू के फसल की मड़ाई का कार्य जोरों पर है। तमाम गरीब परिवारों के लोग बच्चों के साथ जुटे हैं। ऐसे में हार्वेस्टर मशीन से फसलों की कटाई के दौरान खाली खेत में गिरी गेहूं की बालियां बटोरने की लालसा ने इन बच्चों को भी स्कूल जाने से रोक लिया तो शायद काल की नियति ने स्वजन को भी उनके हां में हां मिलवाने के लिए बाध्य किया। बच्चों को क्या पता था कि वह बाली बीनने नहीं बल्कि काल के गाल में समाने जा रहे हैं.

साथ रहते थे, साथ गए भी इस जहां से चारों साथी

दीदारगंज थाना के कुशलगांव की कुशल को बुधवार को किसी को नजर लग गई। गांव के परिषदीय विद्यालय में पढऩे वाले चारों एक साथ ही अक्सर रहते थे। लोग कहते रहे कि काश वहां कुछ देर पहले चरवाहे पहुंच गए होते। बच्चों को डूबते किसी नहीं देखा। दो घंटे बाद पशुओं को चराने पहुंचे चारवाहे की नजर पोखरे किनारे पड़े बच्चों के कपड़े पर पड़ी। ग्रामीणों में चारों बच्चों के एक साथ रहने की चर्चा रही। स्कूल जाने से लेकर खेलने-कूदने तक चोरों साथ ही रहते थे और मौत भी साथ ही हुई। पोखरे में बच्चे नहाने कैसे गए यह भी सवाल बना रहा। उस पोखरे में कोई नहाने नहीं जाता था। पट्टे के पोखरे के किनारे-किनारे काफी गहराई भी है.

बस्ती में नहीं जले चूल्हे

चार बच्चों की मौत से पूरा गांव सन्न हो गया है। किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। हर घर में घटना की चर्चा होती रही। कुशलगांव गांव में 250 परिवारों की दलित बस्ती में किसी घर चूल्हे तक नहीं जले। हर कोई शोक व गम में डूबा रहा। महिलाएं दिल दहला देने वाली घटना से पूरी तरह से टूट गई थी। वह बस देर रात तक मृतक बच्चों के दरवाजे पर उनके स्वजन को ढांढस बधाने में लगी रहीं। वहीं, हर मां-बाप अपने छोटे बच्चों को नसीहत देते हुए देखे गए.

बच्चों के स्वजन को आपदा राहत कोष से मिलेगी सरकारी मदद

कुशल गांव के असमय मौत के शिकार हुए चार मासूमों के स्वजन को आपदा राहत कोष से शासन से अनुमन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। उप जिलाधिकारी मार्टीनगंज नदिनी शाह ने बताया पोखरे में डूबने से बच्चों की मौत की घटना के बाद अभिलेखों की सभी औपचारिकता पूरी कराकर आपदा राहत कोष से आर्थिक सहयोग दिया जाएगा। इसके अलावा संबंधित परिवारों की स्थिति का आकलन कराकर जो भी आवश्यकता होगी, उसे भी उपलब्ध कराया जाएगा।

Posted By: Inextlive