संचार क्रांति के साथ आधुनिक युग में शहर और गांव के लोगों की सोच में बहुत अंतर तो नहीं है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर में जबर्दस्त बदलाव है. हालांकि शहर के हर छोर पर मौजूद कुल 89 गांवों के लोगों ने विकास का ऐसा मॉडल पेश किया जिससे प्रभावित होकर सरकार ने इन्हें भी शहर में शामिल कर दिया.

वाराणसी (ब्यूरो)शहरी सीमा में शामिल इन गांवों की वजह से अब वाराणसी नगर निगम का क्षेत्रफल बढ़कर करीब 8750 हेक्टेयर हो गया है। पहले यह 7971 हेक्टेयर था। शहर के हर छोर पर इस समय गोदौलिया जैसा बाजार, शॉपिंग काम्प्लेक्स, गारमेंट शॉप, मेगा स्टोर, रेस्टोरेंट, समोसा, कचौड़ी-जलेबी, मिठाई की दुकानों की भरमार हो गई है। इस समय भी भले ही इन गांवों की पहचान उनके नाम से ही है, लेकिन अब यहां के लोग भी सीना ठोक कर कहते हैं, हम भी काशी शहर के निवासी हैं।

बाहर चमाचम, अंदर समस्याएं
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इन 89 गांवों की पड़ताल की तो चाौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। इन इलाकों में चमकता बाजार, चमाचम सड़कें और चांद जैसी रोशनी तो दिखती है, लेकिन मूलभूत सुविधाएं सीवर, पानी, बिजली की समस्याएं अभी बनी हुई हैं। नाला नहीं होने से हर घर में लोगों ने खुद सेफ्टी टैंक व सोखता बनवा रखा है। पानी की सप्लाई के लिए बोरिंग करा रखी है। खुद अपने हाथों से झाडूू भी लगाते हैं। ट्रांसफार्मर दूर होने से लाइट अक्सर लो-हाई होती रहती है। खाली प्लाटों में कूड़ा या गंदा पानी पड़ा है।

2016 में भेजा गया प्रस्ताव
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने 5 अगस्त 2016 को गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। 3 दिसंबर 2019 को शासन ने प्रस्ताव को मंजूरी दी। प्रस्ताव भेजते समय कमिश्नर ने कहा था कि नगर निगम वाराणसी की सीमा के निकटवर्ती गांवों में शहरीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति और उसमें हो रहे अनियोजित विकास को नियोजित करने के उद्देश्य से यह फैसला किया गया है। इससे अवस्थापना सुविधाओं को और बेहतर बनाने का काम होगा।

विकसित होंगी सुविधाएं
नगर निगम की सीमा में शामिल 89 गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। शहर की तरह इन गांवों में सुविधाएं विकसित करने के लिए नगर निगम ने सर्वे कराया, जिसमें डे्रनेज, पानी निकासी, सीवर, पेयजल, नाला आदि समस्याएं सामने आई। इस पर नगर आयुक्त ने एक हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया, जिससे इन गांवों का समुचित विकास कराया जा सके। हालांकि चुनाव की वजह से यह मामला रुक गया है। सरकार बनते ही इस पर एक बार फिर काम शुरू होने की उम्मीद है।

किस ओर कितना बढ़ा बनारस


पूरब छोर
हिरामनपुर, संदहा, रुस्तमपुर, तिलमापुर, आशापुर, लेढ़ूपुर, रसूलपुर, रघुनाथपुर, दीनापुर, सलारपुर, खालिसपुर, कोटवां, सरायमोहाना, डोमरी, सूजाबाद, हासिमपुर


पश्चिमी छोर
चूरामनपुर, ककरमत्ता, मड़ौली, जलालीपट्टी, पहाड़ी, गनेशपुर, कंचनपुर, भिखारीपुर कला, भिखारीपुर खुर्द, चांदपुर, महेशपुर, शिवदासपुर, तुलसीपुर, मंडुआडीह, लहरतारा, फुलवरिया, बड़ागांव अव्वल व नाथूपुर, भिटारी। लोहता।


उत्तरी छोर
गणेशपुर, तरना, हटिया, छतरीपुर, चुप्पेपुर, होलापुर, परमानंदपुर, लोढ़ान, बांसदेवपुर, अहमदपुर, हरिहरपुर, सरसवां, कानूडीह, दांदूपुर, ऐढ़े, हरबल्लमपुर, बनवारीपुर, लमही, मड़वां, रसूलपुर, सोएपुर, रमदत्तपुर, गोइठहां, रजनहिया, हृदयपुर, हसनपुर, सिंहपुर, मुंगदरपुर, खजुही, फरीदपुर, बकसड़ा, खरगपुर व मझमिठिया। बड़ा लालपुर, मीरापुर बसही, लालपुर अनोला और नगवा, बैदौली, बनियापुर, भवानीपुर, पीसौर, दनियालपुर।


दक्षिणी छोर
भगवानपुर, डाफी, छित्तूपुर, सुसुवाहीं, चितईपुर, अवलेशपुर, करौंदी, सीरगोवर्धनपुर, नासिरपुर, नुआंव, कंदवा व पोंगलपुर।

एक नजर में शहरी क्षेत्र
-80.71 मीटर ऊंचाई
-30 लाख जनसंख्या
-90 वॉर्ड
-5 जोन
-434 मुहल्ला
-1.97 लाख भवन

Posted By: Inextlive