- बिना सेफ्टी एक्यूपमेंट के ही मेनहोल में उतरकर सिल्ट निकाल रहे मजदूर

पांडेयपुर स्थित काली मंदिर के पास 2 मार्च 2019 को सीवर पाइप लाइनों की सफाई के लिए टैंक के अंदर घुसे दो सफाई कर्मचारियों की मौत ने जलकल विभाग के सिस्टम पर सवालों की झड़ी लगा दी थी। वाराणसी नगर निगम से लेकर पीएमओ तक इस मामले की गूंज गई थी। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी मेनहोल की सफाई के लिए मैन पॉवर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया तो जलकल ने विभाग की दीवार पर लिखवा दिया कि बिना सुरक्षा उपकरण सीवर सफाई गलत है। लेकिन दीवारों पर लिखी बातों को स्वयं जलकल विभाग के अधिकारी भूल गे हैं। उन्होंने अस्सी इलाके में एक मजदूर को बिना एक्यूपमेंट के मेनहोल में उतार दिया। मजदूर मलबे में डुबकी लगाकर सिल्ट निकालता रहा। यह सब जलकल अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। पेश है एक रिपोर्ट-

सीवर सफाई के दौरान मजदूरों की मौत के बाद नई तकनीक को अपनाने का निर्णय लिया गया था। इस क्रम में सीवर सफाई के लिए रोबोट और मशीन खरीदी गई है। इसके साथ ही सुरक्षा के सारे उपकरण भी। भेलूपुर स्थित जलकल विभाग ने अपनी दीवारों पर बकायदा पेंटिंग कराके मेनहोल में बिना सुरक्षा उपकरण सीवर सफाई को गलत बताया है। बावजूद इसके अस्सी चौराहे पर सीवर की सफाई में लगे मजदूरों के पास सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं थे।

दिल्ली से आए एक्सपर्ट ने दी थी ट्रेनिंग

पिछले साल कमिश्नरी सभागार में केरल, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश में रोबोट से सीवर सफाई की तकनीक का वीडियो दिखाकर शहरी विकास मंत्रालय के विशेषज्ञों ने सीवर लाइन की सफाई की जानकारी दी थी। इस दौरान कमिश्नर दीपक अग्रवाल, महापौर मृदुला जायसवाल समेत नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में विशेषज्ञ केके भगत ने बताया कि मानवीय तरीके से जोखिम भरी सफाई प्रतिबंधित है। नगर निगम व नगर पालिकाएं सीवर टैंकों की साफ-सफाई वाले काíमकों को समुचित प्रशिक्षण दें। सफाई के दौरान सुरक्षा मानक अपनाए जाएं। सीवर सफाई में दुर्घटना में यदि किसी काíमक की आकस्मिक मृत्यु होती है तो उसके परिवार को तत्काल 10 लाख की आíथक सहायता का प्रावधान है।

वर्जन

ऐसा नहीं हो सकता है। सीवर की सफाई के लिए मजदूरों को सुरक्षा उपकरण दिए जाते हैं। मशीन से ही सफाई होती है। संबंधित एक्सईएन से इस संबंध में पूछा जाएगा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ।

-सिद्धार्थ कुमार, सचिव जलकल

Posted By: Inextlive