201 करोड़ खर्च कर बनाए गए वरुणा कॅारिडोर का हाल बेहाल 70 फीसद रेलिंग टूटी मिलीं पाथवे भी कई जगहों से धंसा


वाराणसी (ब्यूरो)वरुणा कॉरिडोर अक्सर सुर्खियों में रहा है। हाल ही में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने वरुणा कॉरिडोर की दुर्दशा को लेकर कई तस्वीरें प्रकाशित कीं, जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर काफी चर्चित हुईं। वाराणसी से लेकर अन्य शहरों के लोगों ने खूब कमेंट भी किए। किसी ने वरुणा कॉरिडोर की दुर्दशा को लेकर जिला प्रशासन पर सवाल उठाए, किसी ने सीधे सरकार को जिम्मेदार ठहराया तो किसी ने पॉलिटिकल एजेंडा बताया। लेकिन सच्चाई यही है कि पिछले तीन साल से वरुणा कॉरिडोर को वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बन ही रही है, लेकिन अभी तक साकार नहीं हो पाई।

70 परसेंट टूटी है रेलिंग

वरुणा नदी के दोनों साइड लोहे, कंक्रीट और पत्थर की रेलिंग है, जो 70 परसेंट टूटी मिलीं। करीब 30 जगहों पर कटान से मिट्टी बहने से रेलिंग के नीचे पोल हो गयी है। पाथवे भी कई जगहों जमीन ही धंस गयी है। बांस-बल्ली और मलबा भरे बोरी के सहारे रोका गया है। इसको लेकर लोग सोशल मीडिया पर भी अपनी अपनी राय दे रहे है। लोगों का यह भी कहना है कि पूर्व की सरकार द्वारा पुल को बनाया गया है, इसलिए अभी की सरकार पुल को ठीक कराने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। वहीं सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर वरुणा पुल को लेकर शहरवासियों का गुस्सा भी देखने को मिल रहा है.

201 करोड़ रुपए से बदलनी थी सूरत

2016 में तत्कालीन सरकार ने वरुणा कॉरिडोर के जीर्णोद्धार की शुरुआत की थी। 201 करोड़ रुपये की लागत से नए टूरिस्ट प्लेस के तौर पर इसको डेवलप करने का काम जारी था। काफी हद तक वरुणा कॉरिडोर के दोनों छोर पर पाथ-वे का निर्माण भी हुआ था। इसके अलावा वरुणा में ड्रेजिंग का काम भी जारी था। 10 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में चार घाट प्रस्तावित थे, लेकिन वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद यह सभी काम अधूरे रह गए.

2017 में पूरा होना था काम

वर्ष 2017 में कार्य पूरा कर लेना था, लेकिन परियोजना में गड़बड़ी के कारण यह समय पर पूरी नहीं हुई। कॉरिडोर के दोनों साइड करीब 11 किमी तक चैनलाइजेशन व तटीय विकास कार्य कराये गए। लोहे कंक्रीट और पत्थर की रेलिंग लगाई गयी। इंटरलॉकिंग कर पाथवे का निर्माण कराया गया। इसके बाद 25 अक्टूबर 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने वरुणा कॉरिडोर का लोकार्पण किया था। बावजूद इसके आज तक वरुणा का उद्धार नहीं हो पाया।

पूर्ववर्ती सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर वरुणा नदी को विकसित करने की योजना बनाई थी। शानदार लुक की वजह से यह कॉरिडोर पर्यटकों की यह पहली पसंद होता, लेकिन मौजूदा सरकार और प्रशासन की गलत मंशा के चलते यह दुर्दशा का शिकार हो गया। अधिकतर रेलिंग टूट गई हैं। रास्ता भी डैमेज है।

आशुतोष सिन्हा, एमएलसी

इस प्रोजेक्ट को यूपीपीसीएल द्वारा हैंडओवर किया जाना है। इसे लेकर कई बार पत्राचार किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इसे उठाया गया है। यह निर्णय हुआ था कि यूपीपीसीएल आए और वन टाइम में अप्रैल तक इसे ठीक करे।

कौशलराज शर्मा, कमिश्नर

फेसबुक पर आए कमेंट

केके उपाध्याय लिखते हैं, वरुणा कॉरिडोर बनने के साथ ही नदी के किनारे सीवर लाइन भी बिछाई गई, ताकि आसपास के घरों का सीवर सीधे तौर पर नदी में ना गिरे। लेकिन यह काम अभी तक अधूरा है। जबकि सीएम ने वाराणसी के कमिश्नर को वरुणा को गंदगी मुक्त करने के निर्देश दिए थे और मंडलायुक्त ने नगरायुक्त को चि_ी लिखी कि आसपास के जितने घर हैं। उन्हें सीवर कनेक्शन देकर नदी में गिर रहे सीवर मलजल को रोकें। आज लगभग एक वर्ष बीत गया। हुआ कुछ नहीं।

शरद यादव लिखते हैं, आदरणीय भैया इस रास्ते से बहुत लोग जाते हैं। यह रास्ता कई जगह से टूट रहा है। जो कभी बड़ा रूप ले सकता है.

बीना अग्रवाल ने इसे दुर्भाग्य बताया है।

2015 में आई वरुणा कॉरिडोर परियोजना

10 किमी के दायरे में चार नए घाट बनाये जाने थे

201 करोड़ रुपए की कुल परियोजना

125 करोड़ परियोजना की घोषणा के साथ रिलीज हुए थे

Posted By: Inextlive