- थाना पुलिस, सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस अलग-अलग काट रही चालान

- किस व्हीकल को परमिशन है, किसे नहीं पुलिसकर्मियों को यह भी नहीं मालूम

देहरादून

वीक एंड लॉकडाउन में देहरादून की सड़कों पर जमकर चालान काटे जा रहे हें। एक ही जगह तीन-तीन टीमें चालान काट रही हैं। स्थानीय थाने या चौकी की पुलिस, सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस अपने-अपने स्तर पर चालान काट रही है। खास बात यह है कि किस व्हीकल को रोकना है और किसको नहीं इस बारे में लगातार गफलत बनी हुई है। इस बारे में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश पुलिसकर्मियों को नहीं मिले हैं।

सिर्फ चालान काटने पर जोर

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने लॉकडाउन के दौरान सैटरडे दोपहर सिटी के कुछ चौराहों का रियलिटी चेक किया। सहारनपुर चौक पर करीब दर्जनभर पुलिसकर्मी आने-जाने वाले व्हीकल्स को रोक रहे थे। इनमें स्थानीय चौकी में तैनात पुलिसकर्मियों के अलावा सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस के जवान भी मौजूद थे। कुछ पुलिसकर्मी वाहनों को रोकने और कुछ चालान काटने में व्यस्त थे। वाहन चालकों के कागज से लेकर मास्क तक चेक किये जा रहे थे। यहां एक दोपहिया चालक ऐसा भी मिला, जिसके पास सभी कागजात भी थे और मास्क भी लगाया था, उसका कहना था कि सब कुछ होने के बावजूद 100 रुपये का चालान काटा गया है।

गफलत की स्थिति

प्रिंस चौक पर भी एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद थे। यहां भी स्थानीय थाना पुलिस और सीपीयू के कर्मचारी अपनी-अपनी तरफ से चालान काट रहे थे। यहां पुलिसकर्मियों में गफलत की स्थिति देखी गई। किसी वाहन को रोकना है और किसको नहीं, इसे लेकर गाइडलाइंस का अभाव नजर आए। पहले सिर्फ टूव्हीलर्स को रोका जा रहा था, लेकिन मौके पर ही तय किया गया कि फोरव्हीलर्स को भी रोका जाए। लॉकडाउन के दौरान पास की व्यवस्था लागू है या नहीं, इस बारे में भी पुलिसकर्मी को स्पष्ट जानकारी नहीं थी।

दो दिन बाद का चालान

चालान काटने को लेकर पुलिसकर्मी कितने दबाव में है, इसका एक उदाहरण उस समय नजर आया, जब मंडी चौक पर एक टूव्हीलर चालक का एपीडेमिक एक्ट में सौ रुपये का चालान काट दिया गया, लेकिन चालान काटने की डेट दो दिन बाद की यानी 27 जुलाई की डाल दी गई।

चौराहों पर पानी तक नहीं

सैटरडे दोपहर कड़ी धूप में चौराहों पर ड्यूटी दे रही पुलिसकर्मियों को कई तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ रहा। उनके लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि एक-एक बोतल वे साथ लेकर आते हैं, लेकिन धूप हो तो एक बोतल पूरे दिन नहीं चल पाती। बाद में ज्यादातर बिना पानी के ही रहना पड़ता है। दुकानें बंद होने के कारण पानी की बोतल खरीदने की सुविधा भी नहीं होती।

Posted By: Inextlive