- दुकानदार बोले, जरूरी थी तो दीवाली के बाद होती तोड़फोड़

- फिलहाल पलटन बाजार और धामावाला पूरी तरह अस्त-व्यस्त

देहरादून

लॉकडाउन में हुए नुकसान से फेस्टिवल सीजन में उबरने की उम्मीद कर रहे पलटन बाजार और धामावाला के व्यापारियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। हाईकोर्ट के निर्देश में यहां चल रही तोड़फोड़ के कारण सिटी की यह सबसे बड़ी मार्केट पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है। दुकानों के आगे मलबा पड़ा हुआ है और बुलडोजर लगाये जाने के डर से व्यापारी खुद लेबर लगाकर अपनी दुकानें तुड़वा रहे हैं।

खुद तुड़वा रहे दुकानें

पलटन बाजार और धामावाला सिटी की सबसे बड़ी मार्केट हैं। आमतौर पर यहां हमेशा भीड़ नजर आती है। फेस्टिवल सीजन में इन दोनों मार्केट में घुसना भी कठिन हो जाता है। लेकिन, इस फेस्टिवल सीजन में यहां नजारा बदला हुआ। लगभग हर दुकान में मजदूर दीवारें, छज्जे और छतें तोड़ने के काम में जुटे हुए हैं और दुकानों के बाहर मलबे के ढेर लगे हुए हैं। सड़क पर भी कई जगह मलबा होने के कारण यहां से गुजरना संभव नहीं है। फिलहाल लोग इन बाजारों का रुख नहीं कर रहे हैं।

पहले शटर हटवाए, अब छज्जे

दुकानदारों का दावा है कि कुछ साल पहले प्रशासन ने उनसे अपने शटर पीछे हटाने के लिए कहा था। अपनी ही रजिस्ट्री वाली जमीन पर उन्होंने दुकानों को तोड़ा और शटर पीछे करवा दिये। अब छज्जे भी तोड़ने का फरमान जारी हुआ है। पहले अपने खर्च पर अपनी ही दुकानें तोड़कर शटर पीछे करवाये थे, अब फिर अपने ही खर्च पर छज्जे हटा रहे हैं।

नहीं मिला उबरने का टाइम

दुकानदारों को कहना है कि पहले कई महीने तक लॉकडाउन की मार झेलते रहे। अब बाजार खुले हैं तो उम्मीद थी कि फेस्टिवल सीजन में लोग खरीदारी करने घरों से निकलेंगे। कस्टमर आ भी रहे थे तो छज्जे तोड़ने का फरमान जारी हो गया। आजकल सभी दुकानों पर तोड़फोड़ हो रही है। ऊपर से लगातार मलबा गिर रहा है। ऐसे में चोट लगने का डर बना हुआ है। इसलिए कस्टमर इस तरफ आ ही नहीं रहे हैं।

दिवाली तक देते छूट

दुकानदारों का कहना है कि वे लॉकडाउन से व्यापार की टूटी कमर सीधी करने का प्रयास कर रहे थे। प्रशासन का कहना है कि हाईकोर्ट का आदेश है। दीवाली तक तो छूट मांगी जा सकती है। लेकिन, लॉकडाउन की मार के तुरन्त बाद ये तोड़फोड़ व्यापारियों की कमर तोड़ने वाली है।

व्यापारियों के साथ नाइंसाफी हो रही है। हमारी यहां कोई खेती-बाड़ी नहीं है। व्यापार से ही परिवार पलता है। ये तोड़फोड़ दशहरा-दीवाली के बाद भी हो सकती थी, लेकिन हमें लगता है जान-बूझकर ऐसा किया जा रहा है।

सुनील जैन, दुकानदार

सोचा था सात महीने तक बैठे रहने के पर अब त्योहारों में कुछ कमाएंगे तो ये सब शुरू हो गया। समझ में नहीं आता कि कैसे गुजारा होगा। कोई भी सरकार आई हो, व्यापारियों के साथ हमेशा ऐसा ही हुआ है। सबसे आसान निशाना व्यापारी होता है।

राजेश सडाना, दुकानदार

Posted By: Inextlive