- एम्स में व‌र्ल्ड एंटीमाइक्रोबेल अवरनेस वीक का किया गया आयोजन

- एंटीबायोटिक के दुरुपयोग से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में किया गया अवेयर

DEHRADUN: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में व‌र्ल्ड एंटीमाइक्रोबेल अवरनेस वीक के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को एंटीबायोटिक के दुरुपयोग से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में अवेयर किया।

डब्ल्यूएचओ का अवेयरनेस प्रोग्राम

दुनिया में एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग के मद्देनजर इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)की ओर से नवंबर माह में यह अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर एम्स ऋषिकेश निदेशक पद्मश्री प्रो। रवि कांत ने बताया कि बिना किसी वैज्ञानिक आधार के एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग हानिकारक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण की प्रगति को कम करने के लिए अस्पताल में की जाने वाली सभी प्रक्रियाओं के दौरान गाइड लाइन का पालन करना चाहिए। अस्पताल में क्वालिटी इंप्रूवमेंट के विषय को लेकर डीन (हॉस्पिटल अफेयर्स) ब्रिगेडियर प्रो। यूबी मिश्रा ने इंटीग्रेटेड एंटीमाइक्रोबियल्स स्टीवार्डशिप पर विचार व्यक्त किए। डीन नर्सिंग प्रो। सुरेश कुमार शर्मा ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में नर्सों के महत्व और भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एंटी माइक्रोबियल स्टीवर्डशिप को बढ़ावा देने के लिए नर्सें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि नर्सिंग ऑफिसर्स रोगी की देखभाल में अधिकतम समय बिताते हैं। क्लिनिकल फार्माकॉलेजिस्ट प्रोफेसर शैलेंद्र शंकर हांडू ने एंटी माइक्रोबियल्स की उपयोगिता व सही इस्तेमाल पर प्रकाश डाला। क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रो। प्रतिमा गुप्ता ने एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की रोकथाम में सभी से आगे आने की अपील की। इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजक डॉ। पीके पांडा, डीन नर्सिंग प्रोफेसर सुरेश कुमार शर्मा, कॉलेज ऑफ नर्सिंग के असिस्टेंट प्रो। मनीष शर्मा, डॉ। राखी मिश्रा, नर्सिंग ट्यूटर प्रिया शर्मा, हेमलता आदि मौजूद थे।

Posted By: Inextlive