- एम्स ऋषिकेश में व‌र्ल्ड एंटीमाइक्रोबेल अवेयरनेस वीक का आयोजन

DEHRADUN: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में व‌र्ल्ड एंटीमाइक्रोबेल अवेयरनेस वीक में सर्जरी व सामान्य चिकित्सा विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के लिए निर्धारित मानकों का खयाल रखने पर जोर दिया। एम्स के जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष एडिशनल प्रोफेसर मीनाक्षी धर ने बताया कि एंटीबायोटिक का उपयोग किसी भी छोटी बीमारी के लिए नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इसी तरह से इसका इस्तेमाल होता है तो इससे मरीज को नुकसान उठाना पड़ता है। न्यूरो सर्जरी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। रजनीश कुमार अरोड़ा ने बताया कि एंटीबायोटिक देने से पहले रोग की संपूर्ण जांच करानी चाहिए।

ध्यान से करें इस्तेमाल

कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भानु दुग्गल ने कोविड-19 को लेकर उपयोग में लाए जाने वाले एंटीबायोटिक पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोविड के 80 फीसद लोग वायरल वायरस से ग्रसित हैं, बैक्टिरिया से नहीं। जबकि छह से सात फीसद मरीजों में ही बैक्टिरिया का संक्रमण पाया जाता है। लिहाजा सभी मरीजों को एंटीबायोटिक दिया जाना गलत है। बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ। विशाल मागो ने बताया कि भारत में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल ठीक प्रकार से नहीं हो रहा है। नेफ्रोलॉजी विभाग के असिस्टेंड प्रोफेसर डॉ। गौरव शेखर शर्मा ने बताया कि गुर्दे की बीमारियों में बहुत अधिक एंटीबायोटिक देने से हमारे गुर्दों पर दुष्प्रभाव पड़ता है, लिहाजा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल ध्यान पूर्वक किया जाना चाहिए और इसे लेने से पूर्व टेस्ट डोज देनी जरूरी है। जिससे पता लगाया जा सके कि मरीज के लिए सही एंटीबायोटिक कौन सा है।

Posted By: Inextlive