RUDRAPRAYAG: समुद्रतल से 11657 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम में रक्षाबंधन से पूर्व मध्यरात्रि से शुरू होने वाले अन्नकूट उत्सव (भतूज) की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस मौके पर गर्भगृह में स्थित स्वयंभू शिवलिंग का पके हुए अनाज से श्रृंगार होगा। इस बार यह उत्सव रविवार मध्यरात्रि से शुरू होगा। इसके अलावा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भी इस परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। केदारनाथ धाम में पीढि़यों से अन्नकूट उत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस बार यह तिथि रविवार को पड़ रही है। इसके तहत सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना संपन्न करने के उपरांत नए अनाज (नवान्न) यानी झंगोरा, चावल, कौंणी आदि के लेप से स्वयंभू शिवलिंग का श्रृंगार करते हैं। इस दिन श्रद्धालु ब्रह्ममुहूर्त से बाबा के इसी रूप का दर्शन करते हैं। भोर होने पर भगवान को लगाए गए अनाज के इस लेप को हटाकर किसी साफ स्थान पर विसर्जित कर दिया जाता है। फिर मंदिर की साफ-सफाई के उपरांत बाबा की नित्य पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि अन्नकूट उत्सव के मौके पर नए अनाज में पाए जाने वाले विष को भोले बाबा स्वयं ग्रहण करते हैं।

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि उत्सव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंदिर को भव्य रूप में सजाया जा रहा है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के चलते इस बार श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसलिए वो बाबा के इस दिव्य रूप का दर्शन नहीं कर पाएंगे। उधर, विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, घुणेश्वर महादेव व कोलेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भी अन्नकूट उत्सव मनाया जाएगा।

Posted By: Inextlive