- सरकार को अब विधायकों से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं, वेतन-भत्ते से एक साल तक होगी 30 फीसद कटौत

- यौन अपराध एवं अन्य अपराधों से पीडि़त महिलाओं को मुआवजा देने की राष्ट्रीय योजना को उत्तराखंड के लिए मंजूरी

- राज्य विधानसभा का दूसरा सत्र 23, 24, 25 सितंबर को देहरादून में होगा

- एम्स ऋषिकेश के समीप रोगी सहायक केंद्र के लिए भाऊराव देवरस न्यास, लखनऊ को 1.43 हेक्टेयर भूमि लीज पर मिलेगी

DEHRADUN: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष समेत सभी विधायकों के वेतन-भत्तों से 30 फीसद कटौती का रास्ता अब साफ हो गया है। यह कटौती बीते एक अप्रैल से 31 मार्च, 2021 तक की जाएगी। राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को इस संबंध में उत्तराखंड राज्य विधानसभा (सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन) (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी। इस वर्ष राज्य विधानसभा का दूसरा सत्र 23 सितंबर से 25 सितंबर तक देहरादून में होगा। कैबिनेट ने यौन अपराध एवं अन्य अपराधों से पीडि़त महिलाओं को मुआवजा देने की राष्ट्रीय योजना को उत्तराखंड के लिए मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने एम्स ऋषिकेश के समीप रोगी सहायक केंद्र के लिए भाऊराव देवरस न्यास, लखनऊ को 1.43 हेक्टेयर भूमि लीज पर देने को भी मंजूरी प्रदान की है।

कई मुद्दों पर हुई चर्चा

सचिवालय में गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 14 बिंदुओं पर चर्चा हुई। इनमें 13 पर निर्णय लिए गए, एक बिंदु पर फैसला स्थगित हो गया। कोविड-19 महामारी के चलते कैबिनेट ने मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों और सभी विधायकों के वेतन और भत्तों में 30 फीसद कटौती का फैसला लिया था। बाद में विधानसभा ने कैबिनेट के इस फैसले को लागू करने से पहले सभी विधायकों से सहमति ली। मंत्रिमंडल के फैसले के बावजूद सत्तारूढ़ दल भाजपा के विधायक ही वेतन-भत्तों में उक्त कटौती कराने से कन्नी काट गए। वहीं सरकार पर उक्त फैसले में विपक्ष को साथ नहीं लेने का आरोप लगा रही प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सभी विधायकों ने मंत्रिमंडल के फैसले का पालन किया। सत्तारूढ़ दल के विधायकों के रवैये से किरकिरी होने के बाद मंत्रिमंडल को आखिरकार इस संबंध में अध्यादेश लाना पड़ा। संशोधित अध्यादेश में विधायकों के साथ नेता प्रतिपक्ष को कटौती के दायरे में रखा गया है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष डॉ। इंदिरा हृदयेश पहले ही इस संबंध में अपनी सहमति दे चुकी हैं।

भत्ते से 30 फीसदी कटौती

मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि अध्यादेश के बाद अब सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी विधायकों के वेतन के साथ निर्वाचन क्षेत्र भत्ते और सचिवीय भत्ते से 30 फीसद कटौती होगी। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न विपदा के मद्देनजर एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च, 2021 तक यह कटौती की जाएगी। विधानसभा सदस्यों के वेतन-भत्तों में कटौती को लाए गए अध्यादेश के दायरे से विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बाहर रहेंगे। इस अध्यादेश के जरिये उनके वेतन-भत्ते में 30 फीसद कटौती की पाबंदी लागू नहीं होगी। यह दीगर बात है कि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए अपने वेतन-भत्ते से 30 फीसद कटौती करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के अध्यादेश को मंजूरी देने के फैसले की जानकारी मिली है। अध्यादेश के दायरे से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बाहर हैं। अध्यादेश का अध्ययन कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली जाएगी। अध्यादेश लाने से पहले सरकार के फैसले के बावजूद सत्तारूढ़ दल भाजपा के 57 में से 46 विधायकों ने बीते तीन महीनों अप्रैल, मई व जून में निर्धारित से कम कटौती कराई। इनमें 13 विधायकों ने प्रतिमाह सिर्फ 9000 रुपये कटाए। 16 विधायकों ने प्रतिमाह 30,000 रुपये और चार विधायकों ने 12,600 रुपये कटौती पर सहमति दी थी। हालांकि मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक हर विधायक के वेतन से 57,600 रुपये कटौती होनी चाहिए। कांग्रेस के सभी 11 विधायकों के वेतन से इतनी ही धनराशि काटी जा रही है। मुख्यमंत्री, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष के वेतन से 75600 रुपये कट रहे हैं।

Posted By: Inextlive