- अगले 20 साल दून के फेस करनी हैं नई चुनौतियां

- पॉल्यूशन कम करना और टूरिज्म को बढ़ाना प्रमुख मुद्दे

- रिन्युएबल एनर्जी, सॉफ्टवेयर हब, आईटी इंफ्रा और डिजिटल पाथवे की नई संभावनाएं

देहरादून

बीते 20 वर्षो में देहरादून राज्य के स्थाई राजधानी बेशक न बन पाई हो, लेकिन इस दौरान राज्य के पर्वतीय हिस्सों की तुलना में दून का विकास कई गुना ज्यादा हुआ है। सिटी का विस्तार भी इस दौरान दो गुना से ज्यादा एरिया में हुआ है। सिटी में जमीन न मिलने के बाद यहां आने वालों ने आसपास के गांवों में जमीनें खरीदनी शुरू की और देखते ही देखते गांव में शहर बनते चले गये। यही वजह है सिटी के आसपास के दर्जनों गांवों को 40 वार्डो में बांटकर नगर निगम में शामिल करना पड़ा। विकास की इस दौड़ में सिटी के सामने कई चुनौतियां भी आई। आगे भी ऐसी कई चुनौतियां सामने आने वाली हैं। लोकल एड्मिनिस्ट्रेशन को अगले 20 सालों की चुनौतियों और कार्यो की एक सूची बनाने की आज सख्त जरूरत है।

रोजगार के नये रास्ते जरूरी

राज्य के 20 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एसडीसी फाउंडेशन ने अगले 20 वर्षो के लिए 20 गोल निर्धारित किये हैं। ये गोल सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर लोगों से मांगे गये सुझाव के आधार पर तय किये गये हैं। फाउंडेशन के फाउंडर अनूप नौटियाल ने बताया कि ज्यादातर लोगों ने दून सहित पूरे राज्य में रोजगार के नये तौर-तरीके अपनाने की जरूरत बताई है।

सॉफ्टवेयर और आई में संभावनाएं

ज्यादातर लोगों का मानना है दून में रिन्युएबल एनर्जी, आईटी इंफ्रा, सॉफ्टवेयर हब और डिजिटल पाथ के रूप में कई संभावनाएं हैं। सरकार और लोकल बॉडीज को रोजगार और विकास के इन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। इससे युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे और आर्थिक हालात में भी सुधार आएगा।

पॉल्यूशन भी बड़ी समस्या

उत्तराखंड की राजधानी बनने के बाद दून में पॉपुलेशन बढ़ी और सड़कों पर व्हीकल्स की भी बाढ़ आ गई। इसी के साथ हर तरह का पॉल्यूशन भी बढ़ने लगा। किसी समय वनों की नगरी कहे जाने वाले दून तेजी से पेड़ कटे और जिन नहरों में साफ पानी बहता था, उनकी कचरा और कीचड़ बहने लगा। सिटी को वाटर सप्लाई करने वाली नदियां भी गंदा नाला बन गई और हवा भी खतरनाक स्तर तक पॉल्यूटेड हो गई है। आने वाले वर्षो में सरकार और प्रशासन के सामने वाटर और एयर पॉल्यूशन कंट्रोल करने के साथ ही नदियों को फिर से जीवत करने की भी चुनौती होगी।

नदियों का साफ करने की चुनौती

दून सिटी के बीचबीच बहने वाली और अब नाला बन चुकी रिस्पना और बिंदाल नदियों को साफ करना भी एक चुनौती होगी। राज्य सरकार और प्रशासन पिछले दो साल पहले रिस्पना को ऋषिपर्णा बनाने का नारा दिया था, लेकिन अब तक इसमें कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। बिंदाल नदी के भी यही हाल हैं। आने वाले सालों में इन नदियों को भी साफ करना भी चुनौती होगा।

ट्रैफिक का बढ़ता प्रेशर

सिटी की सड़कों पर बढ़ता ट्रैफिक का प्रेशर भी आने वाले वर्षो में अस्थाई राजधानी के लिए एक बड़ी सिरदर्दी साबित होने जा रहा है। पिछले कई सालों से सड़कों पर ट्रैफिक का प्रेशर कम करने के लिए केबल कार, मेट्रो अथवा रोपवे पर विचार किया जा रहा है। आने वाले सालों में हर हाल में कोई नया विकल्प तलाशने जरूरी हो जाएगा।

Posted By: Inextlive