देहरादून: दून मेडिकल कालेज में कोरोना जांच फर्जीवाड़े में बड़ी कार्रवाई की गई है। कॉलेज प्रबंधन ने इस प्रकरण में दोषी पाए गए एक तकनीशियन की सेवा समाप्त कर दी है। इसके अलावा एक चिकित्सक पर भी कार्रवाई तय है। कालेज प्रबंधन की तरफ से शासन से चिकित्सक को हटाने की संस्तुति कर दी गई है। दून मेडिकल कालेज में कोरोना जांच रिपोर्ट को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। यहां आईसीएमआर के पोर्टल से वैध डाटा लेकर कई फर्जी रिपोर्ट तैयार की गई थीं। इन रिपोर्ट में व्यक्ति को इच्छानुसार पॉजिटिव या निगेटिव दिखाया गया। इस धोखाधड़ी से पर्दा तब उठा, जब एक रिपोर्ट दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के पास पहुंची। उस रिपोर्ट में न केवल शाब्दिक गलतियां थीं, बल्कि अनिवार्य क्यूआर कोड भी गायब था। जानकारों का कहना था कि प्रत्येक रिपोर्ट में तीन आईडी होती हैं। इनमें आईसीएमआर आईडी, एसआरएफ (सैंपल रेफरल फॉर्म) आईडी और रोगी की आईडी शामिल है। रिपोर्ट अपलोड होने के बाद न तो इन आइडी में फेरबदल किया जा सकता है और न ही टेस्ट के परिणाम में। रिपोर्ट में दर्ज जांच कराने वाले के नाम, उम्र और लिंग में बदलाव जरूर संभव है। इसी का फायदा उठाकर धोखाधड़ी की गई। यह काम भी वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके पास पोर्टल पर एक्सेस हो। इसके अलावा बाहर से सैंपल लेकर जांच मेडिकल कॉलेज में कराने का भी मामला सामने आया था। निजी लैब का एक कर्मचारी घरों में जाकर सैंपल लेता था और जांच के लिए पैसे भी लेता था। इसके बाद सैंपल मेडिकल कॉलेज भिजवाए जाते थे, जहां जांच मुफ्त होती है। बाहर के सैंपल की जांच और फर्जी रिपोर्ट को लेकर कॉलेज प्रबंधन की खासी किरकिरी हुई थी। इस पर मामले की जांच बैठा दी गई थी। इसके लिए उप प्राचार्य डॉ। नवीन चंद्र की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई। जिसने जांच में एक चिकित्सक और तकनीशियन को दोषी पाया है। प्राचार्य डॉ। आशुतोष सयाना का कहना है कि तकनीशियन उपनल के माध्यम से तैनात था, जिसकी संविदा समाप्त कर दी गई है। वहीं, चिकित्सक पर कार्रवाई के लिए शासन को लिख दिया गया है।

Posted By: Inextlive