फर्जी डॉक्टर बनाकर आपकी जिन्दगी से खिलवाड़ करने वाला सहारनपुर में बैठकर जाली डिग्री बेचने वाला इमलाख अकेला नहीं था। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के देहरादून ऑफिस में बैठे कर्मचारी भी इस सिंडिकेट में शामिल थे। थाना नेहरू कॉलोनी पुलिस ने ऐसे तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है जो इमलाख से दलाली लेकर जाली डिग्री वाले लोगों का डॉक्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन करते थे। जिन तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया उनमें एक टिहरी का रहने वाला है जबकि दो यूपी के हैं।

देहरादून (ब्यूरो)। फर्जी आयुर्वेदिक डॉक्टरों का मामला सामने आने के बाद एसटीएफ ने थाना नेहरू कॉलोनी में इस संबंध में केस दर्ज करवाया था। मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। इस बीच एसटीएफ ने दो दिन पहले जाली डिग्री बेचने वाले बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के संस्थापक और मास्टर माइंड इमलाख को अजमेर से गिरफ्तार कर थाना नेहरू कॉलोनी के हवाले किया था। पूछताछ में इमलाख ने बताया कि वह एमसीआई के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी डिग्री वाले लोगों को डॉक्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन करवाता था। थाना नेहरू कॉलोनी पुलिस के अनुसार एमसीआई के तीन कर्मचारियों विवेक रावत, अंकुर माहेश्वरी और विमल प्रसाद को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था। पूछताछ में तीनों ने बताया कि इस धंधे में इमलाख के साझीदार थे और उसके साथ मिलकर फर्जी डिग्रियां बेचने के साथ ही फर्जी रजिस्ट्रेशन करते थे।

ऐसे चल रहा था गोरखधंधा
इमलाख किसी को बीएएमएस की डिग्री देने के बाद एमसीआई में रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करता था और सम्बंधित इंस्टीट्यूट के प्रमाण पत्र, लिफाफे आदि सीधे इन तीनों कर्मचारियों को उपलब्ध करवाता था। तीनों वेरिफिकेशन फाइल तैयार कर जिस यूनिवर्सिटी की डिग्री होती थी, उस यूनिवर्सिटी से वेरीफिकेशन के लिए फाइल डाक से भेजते थे। फाइल में वे कुछ न कुछ कमी रखते थे, जिससे यूनिवर्सिटी वाले फाइल को वापस नहीं करते थे। कुछ दिन बाद इमलाख संबंधित यूनिवर्सिटी जाकर फर्जी तरीके र्से एनओसी तैयार करवाता था। ऐसी एनओसी वह संबंधित राज्य की मेडिकल काउंसिल को डाक से भेजता था। इमलाख की भेजी एनओसी एमसीआई के देहरादून ऑफिस में पहुंचती थी तो उस फर्जी एनओसी के आधार पर संबंधित व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में एमसीआई में कर दिया जाता था।

हर रजिस्ट्रेशन पर 60 हजार
एमसीआई के तीनों कर्मचारियों काके प्रति वैरिफिकेश और एनओसी के हिसाब से 60 हजार रुपये मिलते थे। इस रकम को तीनों आपस में बांट देते थे। पूछताछ के आधार पर विमल प्रसाद के घर सिद्ध विहार, अंकुर माहेश्वरी के घर हरीपुर नवादा और विवेक रावत के घर रेस कोर्स से 6 मोहरें, लिफाफे और काफी संख्या में दस्तावेज बरामद किये गये।

अब तक 12 गिरफ्तारियां
फर्जी आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रकरण में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें एमसीआई के तीन कर्मचारियों के अलावा बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के दो संचालक और 7 फर्जी डॉक्टर शामिल हैं। पुलिस के अनुसार अन्य संदिग्ध आरोपियों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। ऐसे लोगों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है। पुलिस के अनुसार इस मामले अब तक 36 फर्जी डॉक्टर्स की पहचान की गई है। इमलाख से मिली जानकारी के आधार पर अन्य फर्जी डॉक्टर को चिन्हित करने की कार्यवाही की जा रही है।

स्कैम पर एक नजर
36 फर्जी डॉक्टर्स चिन्हित
7 डॉक्टर्स की हुई गिरफ्तारी
12 आरोपी अब तक दबोचे
100 के लगभग हैैं फर्जी डॉक्टर
3 आरोपी मेडिकल काउंसिल के
60 हजार लेते थे रजिस्ट्रेशन का

इमलाख पर लगेगा गैंगस्ट
इस बीच पीएचक्यू ने भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए फर्जी डिग्री मामले के मास्टर माइंड इमलाख के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने की घोषणा की है। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि गिरफ्तार किया गया मास्टर माइंड इमलाख मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर है। उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिन लोगों ने जाली डिग्री के आधार पर रजिस्ट्रेशन करवाया है, उनकी भी पहचान की जा रही है।

गिरफ्तार एमसीआई कर्मचारी
- विमल प्रसाद पुत्र स्व। पद्म दत्त बिजल्वान, सिद्ध विहार, नेहरूग्राम, मूल निवासी ग्राम बागी पट्टी बमुंडा टिहरी गढ़वाल।
-अंकुर माहेश्वरी पुत्र स्व। प्रदीप कुमार माहेश्वरी, हरीपुर नवादा थाना मूल निवासी हाथरस यूपी।
- विवेक रावत पुत्र स्व। रामनारायण रावत, ऑफिसर्स कॉलोनी रेस कोर्स, मूल निवास महोबा यूपी।

Posted By: Inextlive