-निजी हॉस्पिटल में रेफर करना पड़ रहा बर्न पेशेंट को

देहरादून। जिला हॉस्पिटल में बर्न वार्ड में फेसिलिटी न होने के चलते उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल का रुख करना पड़ रहा है। अगर पेशेंट का आयुष्मान कार्ड है तो ठीक, नहीं तो पेंशेट को लाखों रुपये तक का चूना प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक लगा रहे है। ऐसे में कई बार पेशेंट बिना इलाज के ही घर लौट जाता है।

नहीं है आईसीयू वार्ड

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बर्न आईसीयू ही नहीं है। ऐसे में 50 परसेंट तक जले बर्न पेशेंट को हॉस्पिटल प्रबंधन जैसे तैसे कवर कर लेता है। लेकिन इससे ज्यादा के बर्न पेशेंट या किसी अन्य बीमारी से जूझ रहे पेशेंट को निजी हॉस्पिटल भेजा जा रहा है।

बर्न यूनिट में यह जरूरी

एक्यूट बर्न वार्ड -12 बीडीएस

क्रॉनिक बर्न वार्ड -25 बेड

बर्न आईसीयू - 6 बेड

ऑपरेटिंग रूम -1 जलाएं

माइनर ऑपरेटिंग रूम -1

ड्रेसिंग रूम -1

हाइड्रोथेरेपी कक्ष -1

पुनर्वास कक्ष -1

स्टोर -1

सिस्टर्स रूम -1

कमरा स्टाफ पुरुष -1 बदलना

रूम स्टाफ महिला -1 बदलना

सर्जन रूम -1

रोगियों के लिए प्रतीक्षा क्षेत्र -1

ओपीडी रूम -1

ऑटोक्लेव रूम -1

जरूरी इक्विपमेंट्स

वेंटिलेटर -4

पैरामॉनिटर- 8

स्किन ग्राफ्ट मेशर- 2

हम्बी नाइफ- 5

पोर्टेबल लाइट- 4

बॉयल एनेस्थीसिया- 1

बेसिक बर्न ग्राफ्टिंग इंस्ट्रूमेंट्स- 4 सेट

कर्मचारी -

डेडिकेटेड बर्न सर्जन -2

एनेस्थिेटिस्ट- 5

आया- 12

लेडी वार्ड- 8

फिजियोथेरेपिस्ट- 2

रिसेप्शनिस्ट-1

डाटा एंट्री-1

स्क्रब टेक -2

ड्रेसर -2

हाउसकीपिंग -8

प्राइवेट हॉस्पिटल में चुकाने पड़ते हैं लाखों रुपये

डिस्टिक्ट हॉस्पिटल में बीते दिन एक पेशेंट को भर्ती किया गया था। यहां पेशेंट की हालत बिगड़ने पर इन्हें आईसीयू की जरूरत पड़ी ऐसे में उन्हें हरिद्वार रोड स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। पेंशेट के पास किसी भी तरह कोई पैनल न होने और आयुष्मान कार्ड न होने के कारण पेशेंट को हॉस्पिटल का भुगतान अपनी जेब से ही करना पड़ा। पेशेंट को 5 दिन के आईसीयू का चार्ज 2.60 लाख रुपये का करना पड़ा। अन्य दवा का खर्च इससे अलग था। इसके बाद पेशेंट को सामान्य वार्ड में भर्ती कराने का खर्च अलग से लिया गया। ज्यादा खर्च होने के कारण आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोग इलाज भी नहीं करा पाते हैं।

दस सालों से लम्बित है मामला

कोरोनेशन हॉस्पिटल में बीते 10 साल से बर्न वार्ड का संचालन हो रहा है। तब से अब तक स्किन ग्राफ्टिंग के लिए सैकड़ों बार ऑर्डर दिए जाने के बाद भी अब तक स्किन ग्राफ्टिंग मशीन को नहीं मंगाया गया है। ऐसे में पेशेंट के ट्रीटमेंट में परेशानी झेलनी पड़ रही है।

कई बार बर्न पेशेंट किट्रिकल कंडिशन में यहां पहुंचते हैं। इन्हें आईसीयू की सुविधा न होने के कारण मजबूरन निजी हॉस्पिटल में भेजना पड़ता है।

डॉ। कुश एरेन, बर्न स्पेशलिस्ट

आईसीयू के लिए होना पड़ता है डिपेंड

कोरोनेशन हॉस्पिटल में आईसीयू न होने के कारण यहां पेंशेंट को यहां संचालित पीपीई मोड पर संचालित फोर्टिस हॉस्पिटल के आईसीयू की मदद लेनी पड़ती है। यहां भी बेड न होने की कंडीशन में पेशेंट को भर्ती नहीं किया जाता है।

Posted By: Inextlive