हॉस्पिटल से बीच में ही भागा पेंशेन्ट

देहरादून।

कोरोनावायरस के मॉकड्रिल में दून हॉस्पिटल के इंतजामों की पोल खुल गई। डमी कोरोना सस्पेक्टेड बताकर जिस व्यक्ति को हॉस्पिटल भेजा गया था, उसके मुंह से चीन और कोरोना का नाम सुनते ही डॉक्टर और स्टाफ में अफरा-तफरी मच गई। डमी सस्पेक्टेड को छोड़ वे मास्क ढूंढने दौड़ पड़े। जब तक मास्ट लगाकर लौटे डमी सस्पेक्टेड ही गायब हो गया। फिर घंटों उसे ढूंढने की मशक्कत चलती रही, लेकिन युवक वापस नहीं लौटा। चर्चा यह रही कि चेक करने या आईसोलेशन वार्ड में ले जाने के बजाए डमी सस्पेक्टेड को डॉक्टर दूसरे हॉस्पिटल में भेजने की सलाह देने लगे। ऐसे में परेशान होकर वह चला गया। बाद में उसके मोबाइल पर भी कॉल लगाये गये, लेकिन रिसीव नहीं हुआ।

मची अफरा-तफरी

सैटरडे को करीब 12 बजे 108 मदद से शास्त्रीनगर निवासी 43 वर्षीय व्यक्ति को दून हॉस्पिटल की इमरजेंसी में लाया गया। बताया गया कि वह 2 अप्रैल को चीन से लौटा है और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। कोरोना सस्पेक्टेड की जानकारी मिलते ही डॉक्टर्स और स्टाफ में अफरा-तफरी मच गई। वे मरीज को देखने के बजाय मॉस्क ढूंढने दौड़ पड़े। कुछ देर बाद कोरोनावायरस सस्पेक्टेड माना जा रहा व्यक्ति हॉस्पिटल से गायब हो गया। इसके बाद देर तक हॉस्पिटल का स्टाफ उसे तलाशता रहा, लेकिन वह नहीं मिला।

फोन नहीं उठाया सस्पेक्टेड ने

पेशेंट के लापता हो जाने पर हॉस्पिटल ने 108 इमरजेंसी से नंबर लेकर फोन किया, लेकिन फोन नहीं पिक नहीं हुआ। कई अन्य लोगों ने भी फोन किया। बाद में उक्त व्यक्ति ने फोन उठाया, लेकिन साफ तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। उसका कहना था कि उसे खुद पता नहीं कि मामला क्या था और अब वह दूसरे हॉस्पिटल में चला गया है।

हेल्थ डिमार्टमेंट का था मॉर्क ड्रिल

दिनभर की अफरा-तफरी के बाद शाम को बताया गया कि यह एक मॉकड्रिल था, जिसे हॉस्पिटल को बताये बिना हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से कराया गया था। सीएमओ ऑफिस से इस कार्रवाई के मॉकड्रिल होने की पुष्टि की गई, लेकिन यह सवाल लगातार बना रहा कि जिसे डमी सस्पेक्टेड बताया गया था, वह हॉस्पिटल से कहां चला गया। कोरोना से सबंधित जिला प्रोबे्रशनल अधिकारी डॉ। दिनेश चौहान के अनुसार इस मार्क ड्रिल की जानकारी उन्हें भी नहीं थी।

सांस का असली पेशेंट था

कथित पेशेंट के हॉस्पिटल से खिसक जाने के कारण अधूरी रह गई मॉकड्रिल के मामले में सबसे हैरानी वाली बात यह है कि जिसे डमी सस्पेक्टेड के रूप में हॉस्पिटल लाया गया, वह सचमुच में सांस का पेशेंट है। पता चला है कि सांस लेने में दिक्कत होने के कारण उक्त व्यक्ति ने खुद 108 इमरजेंसी में फोन किया था। 108 की मदद से जब उसे हॉस्पिटल लाया गया तो वहां मौजूद टीम ने उसी पर मॉकड्रिल शुरू कर दिया। हॉस्पिटल की टीम उसे दूसरे हॉस्पिटल भेजने की बात कहने लगी। यह तमाशा देख पेशेंट हॉस्पिटल से खिसक गया और दूसरे हॉस्पिटल चला गया। हद तो यह हो गई कि असली पेशेंट का नंबर भी बांट दिया गया, जिससे उसे परेशानी का सामना करना पड़ा।

हमारे पास अगर कोई कोरोनावायरस का सस्पेक्टेड आता भी है तो हम उसे आईसोलेशन के अलावा आईसीयू का उपचार नहीं दे पाएंगे। हमारे पास आईसोलेशन आईसीयू नहीं है।

डॉ। एनएस खत्री, डिप्टी एमएस

यह व्यवस्थाओं को लेकर की जा रही मॉकड्रिल थी। जो ज्यादा देर नहीं छुपाई जा सकी। बार-बार चीन से लौटे व्यक्ति की तबीयत बिगड़ने की सूचना को लेकर फोन आने लगे, तब हमें कुछ देर में ही बताना पड़ा। यह केवल व्यवस्था की जांच थी।

डॉ। मीनाक्षी जोशी, सीएमओ

Posted By: Inextlive