सेकेंड वेव की तुलना में इस बार केसेज की संख्या और पॉजिटिविटी रेट में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। हाल के दिनों में एक से ज्यादा बार पॉजिटिविटी रेट सेकेंड वेव की तुलना में दो गुना तक दर्ज किया गया। इसके बावजूद इस बार किसी तरह की मारामारी नहीं है। डॉक्टर्स के अनुसार इस बार सेकेंड वेव की तुलना में सिम्प्टम्स हल्के हैं। बहुत कम मामलों के पेशेंट को हॉस्पिटल भर्ती करवाना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा राहत वाली बात यह है कि इस में मरने वालों की संख्या काफी कम है।

देहरादून (ब्यूरो)। सेकेंड वेव के दौरान अप्रैल के शुरू में केसेज बढ़ने शुरू हुए थे। 1 अप्रैल को दून में पॉजिटिव केसेज की संख्या 236 और एक हफ्ते बाद 8 अप्रैल को 239 थी। 10 अप्रैल को यह संख्या 589 थी। इस बार जनवरी की शुरुआत से केसेज की संख्या बढ़ने लगी। 1 अप्रैल को पॉजिटिव के 85 और पॉजिटिविटी रेट 4.2 प्रतिशत था। एक हफ्ते बाद यानी 8 जनवरी को पॉजिटिव केसेज की संख्या 537 और पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 15.2 प्रतिशत हो गया था। राज्य में 11 से 13 जनवरी के बीच राज्य में पॉजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से कम था, जबकि 17 जनवरी को बढ़कर 11.17 परसेंट हो गया था।

इस बार टेंशन कम
पॉजिटिव केसेज की संख्या में पिछली बार की तुलना में ज्यादा बढ़ोत्तरी और पॉजिटिविटी रेट ज्यादा होने के बावजूद इस बार सिटी में पिछली बार की तरह अफरा-तफरी नजर नहीं आ रही है। पिछली बार सिटी में प्रति दिन 1000 से ज्यादा केस होने के साथ ही बढ़ते ही हॉस्पिटल में बेड फुल होने लगे थे। ऑक्सीजन की मांग बढ़ने लगी थी और दवाइयों के लिए लोग जगह-जगह भटकने लगे थे। इस बार ऐसी कोई अफरा-तफरी नजर नहीं है।

रेमडेसिविविर की नहीं मांग
सेकेंड वेव के दौरान रेमडेसिविर नाम के इंजेक्शन को लेकर भारी मारा-मारी हुई थी। यह इंजेक्शन कई गुना ज्यादा कीमत पर बिक रहा था। लोग अपने परिजनों का जीवन बचाने के लिए दूसरे राज्यों की दौड़ लगा रहे थे। इस बार इस इंजेक्शन की भी कहीं कोई मांग नहीं है। ऑक्सीजन की भी इस बार कहीं कोई डिमांड अब तक नहीं है। पिछली बार हॉस्पिटल्स में बेड न होने के बाद लोग घरों में की ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए विवश थे।

इस बार सिम्टम्स हल्के
डायरेक्टर हेल्थ डॉ। तृप्ति बहुगुणा मानती हैं कि इस बार सेकेंड वेव की जैसी स्थिति नहीं है। सिम्टम्स बहुत सामान्य होने के कारण ज्यादातर पॉजिटिव केसेज को हॉस्पिटल में भर्ती नहीं करना पड़ रहा है। होम आइसोलेशन में ही लोगों को इलाज किया जा रहा है। वे कहते हैं कि इस बार ऑक्सीजन की व्यवस्था भी पहले से बेहतर है। हॉस्पिटल में भर्ती किये जाने वाले पेशेंट में भी ऐसे बहुत कम हैं, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत हो। इसके अलावा दवाइयों की भी भरपूर व्यवस्था पहले से की जा चुकी है।
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Posted By: Inextlive