- यूथ को पहले लग रही नशे की लत, बाद में बन रहे ड्रग पैडलर

- दून में आए दिन पकड़ी जा रही नशे की पुडि़या, बरेली से तस्करी का कनेक्शन

देहरादून,

दून की युवा पीढ़ी तेजी से नशे की गिरफ्त में आ रही है। नशे का मामला सिर्फ नशाखोरी तक सीमित नहीं रहा। नशा तस्कर यूथ को पहले नशे की लत लगा रहे हैं और फिर उन्हें ड्रग पैडलर बना रहे हैं। दून में कई बार स्टूडेंट्स को ही नशा तस्करी में दबोचा गया है। नशे की ये खेप यूपी के बरेली से लाई जाती है। पुलिस छोटे पैडलर्स को तो पकड़ लेती है, लेकिन इस काले कारोबार के सरगना तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पाते।

पहले सप्लाई फिर बन रहे सप्लायर

एजुकेशन हब के नाम से फेमस देहरादून नशा तस्करों के जाल में फंसा हुआ है। पुलिस आए दिन नशा तस्करी करने वालों को दबोच रही है, फिर भी नशे का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। लंबे समय से अब नशे के सौदागर इस कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे युवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो खुद नशे के आदी हो चुके हैं। इनको पैडलर बनाकर नशे के सौदागर अपना धंधा आगे बढ़ा रहे हैं। दून में कॉलेजों और स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा नशे के सौदागरों के निशाने पर रहते हैं। इन लोकेशन पर ही सबसे ज्यादा नशे की खेप पकड़ी जाती है। पटेलनगर, नेहरू कॉलोनी, कोतवाली, राजपुर, विकासनगर थाना इलाकों में सबसे ज्यादा नशे का सामान बरामद हुआ है।

बरेली से आता है नशा

दून में नशे की खेप बरेली से पहुंचाई जाती है। इसमें खासतौर से स्मैक शामिल है। ड्रग पैडलर्स को स्मैक लेने बरेली भेजा जाता है, दून में बैठा सरगना बरेली के सप्लायर से बात कर उसे स्मैक उपलब्ध करवाता है और फिर दून में खासतौर से स्टूडेंट्स को नशे की डोज भेजी जाती है।

रिसीविंग के लिए स्पेशल लोकेशन

नशे के सामान को रिसीव करने के लिए ऐसे लोकेशन फिक्स हैं, जहां पर अच्छी-खासी भीड़ रहती है जैसे-रेलवे स्टेशन, आईएसबीटी। जिस ड्रग पैडलर को दून से पुडि़या या सामान लेने के लिए भेजा जाता है, वो वहां जाकर सामान लेकर आता है, और देहरादून में तस्कर को दे देता है, इसके बदले ड्रग पैडलर को नशे के सामान में से कुछ हिस्सा और रुपए भी मिल जाते हैं। रुपए और नशे की पुडि़या मिलने के चक्कर में युवा आसानी से नशा तस्करों के जाल में फंस जाते हैं।

ट्यूजडे को पकड़ी 10 लाख की स्मैक

ट्यूजडे को दून पुलिस ने नेहरू कॉलोनी थाना इलाके से दो नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। नशा तस्कर प्राइवेट नौकरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन में काम नहीं चला तो स्मैक तस्करी करने लगे। दोनों खुद भी नशे के आदी थे। पुलिस ने आरोपियों से करीब 10 लाख का नशे का सामान बरामद किया है। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे बरेली के फतेहगंज गए और मामू नाम के व्यक्ति से स्मैक खरीदकर लाए थे।

कैमिकल हो सकता है जानलेवा

अगस्त 2019 में यूपी के बरेली से देहरादून तक चल रहे नशा तस्करी के नेटवर्क को पुलिस ने पहले भी क्रैक किया था। लक्ष्मण चौकी इंचार्ज एसआई लोकेन्द्र बहुगुणा ने मालवीय रोड पर पुलिस टीम को देख सकपकाकर भाग रहे दो युवकों को दबोचा। उनके पास से 40 लाख रुपए की स्मैक मिली थी, दोनों बरेली के थे और देहरादून में तस्करी की खेप पहुंचाने आए थे। तस्करों ने पुलिस को चौंकाने वाला खुलासा किया, उन्होंने बताया कि वे कैमिकल से स्मैक तैयार करते थे, जो जानलेवा है। दोनों आरोपी बरेली के फतेहगंज पश्चिमी निवासी थे। पहले ये लोग आसपास के मोहल्लों और शहरों में जाकर नशेडि़यों को स्मैक बेचते थे। बाद में वे बारी-बारी से देहरादून आकर स्कूल कॉलेजों के आसपास घूम कर नशे की गिरफ्त में आये छात्रों को चिन्हि्त कर उन्हें स्मैक बेचते थे। तब आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि वे किसी को भी अपने मोबाइल नंबर अथवा घऱ का पता नही बताते थे और ना ही फ ोन पर स्मैक के कारोबार के सम्बन्ध में किसी से बात करते थे। वे अपने ग्राहकों को और उनके ग्राहक उन्हें केवल शक्ल से पहचानते हैं। स्मैक की डिलीवरी देते समय अगली बार आने का दिन व समय ग्राहकों को बता दिया जाता था। इसके लिये वे ऐसे कम उम्र के युवकों व स्टूडेंट्स की तलाश में रहते थे, जो नशे की गिरफ्त में आ गया हों, जिसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।

वर्ष 2020 में एनडीपीएस में कार्रवाई-

चरस- 15. 400 किलो

स्मैक- 2. 425 किलो

अफीम-2. 22 किलो

गांजा- 44. 590 किलो

डोडा पोस्त- 4.100 किलो

नशीली गोलियां- 950

नशीले इंजेक्शन- 2375

नशीले कैप्सूल- 32885

हेरोइन - 22 ग्राम

एनडीपीएस एक्ट में केस दर्ज- 268

गिरफ्तार आरोपी- 271

बरामद माल की अनुमानित कीमत

2. 85 करोड़

मादक पदार्थो की बरामदगी-

2019 2018

कुल मामले 554 494

आरोपी 556 502

चरस 45.970 किलो 80. 073 किलो

स्मैक 5. 188 2.708

बरामद माल की कीमत 5. 85 करोड़ 3. 75 करोड़

Posted By: Inextlive