हमारे फुटपाथ खाली करो
- शहर में कोई फुटपाथ नहीं जिस पर कब्जा न हो
- कहीं फलों की रेहडि़यां तो कहीं मोटर मैकेनिक के कब्जे - स्कूली बच्चों के साथ ही दिव्यांगों को हो रही सबसे ज्यादा परेशानी देहरादून, स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ने का अग्रसर देहरादून सिटी में पैदल चलने वालों को ट्रैफिक के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर सफर पूरा करना पड़ रहा है। सिटी में ज्यादातर सड़कों पर फुटपाथ हैं ही नहीं और जहां फुटपाथ बने हुए हैं, वहां उन पर दुकानदार या मोटर मैकेनिक कब्जा करके बैठे हुए हैं। संबंधित विभाग आमतौर पर इस कब्जों का अनदेखा कर देते हैं। यदि कभी कोई अभियान चलाया भी जाता है तो लोग फिर से कब्जे कर लेते हैं। कहीं खाली नहीं फुटपाथतीन वर्ष के पहले राज्य के तत्कालीन अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर मदन कौशिक ने क्लॉक टावर से लेकर आईएसबीटी तक 7 किमी सड़क का मॉडल रोड के रूप में विकसित करने का काम शुरू करवाया था। इस योजना के तहत काफी काम भी हुई। कई जगह अतिक्रमण हटाये गये। क्लॉक टावर से लेकर पटेलनगर तक फुटपाथ भी बनाये गये। लेकिन, अब इन फुटपाथों पर चलने की जगह नहीं है। पूरे फुटपाथ कब्जे में है।
कहीं फास्ट फूड, कहीं मैकेनिकमॉडल रोड के फुटपाथ पर बनने के कुछ दिन बाद ही कब्जे होने शुरू हो गये थे। क्लॉक टावर से शुरू होकर ये कब्जे पटेलनगर तक हैं। क्लॉक टावर के पास दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है तो इनामुल्ला बिल्डिंग के आसपास मोटर मैकेनिक्स की वर्कशॉप फुटपाथ पर सजी हुई हैं। इसके अलावा फुटपाथ पर कहीं सब्जी की दुकानें लगी रहती हैं तो कहीं फास्ट फूड के स्टॉल।
ज्यादातर रोड पर फुटपाथ नहीं सिटी की ज्यादातर सड़कों पर फुटपाथ हैं ही नहीं। डालनवाला इलाके में कुछ इलाकों में फुटपाथ बने हुए हैं तो ज्यादातर फुटपाथ टूटे हुए हैं और उन पर चलना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में पैदल चलने वाले फुटपाथ के बजाय सड़कों पर चलने के लिए विवश हैं। बच्चों-बुजुर्गो से सबसे ज्यादा परेशानी फुटपाथ न होने से सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गो और बच्चों को उठानी पड़ रही है। घर से पैदल स्कूल वाले बच्चों को ट्रैफिक से बचते हुए सड़क पर ही चलना पड़ता है। यही स्थिति सीनियर सिटीजंस की भी है। आमतौर पर सीनियर सिटीजंस सुबह-शाम टहलने के लिए घरों से बाहर निकलते हैं, लेकिन फुटपाथ न होने से उन्हें भी सड़क पर ही चलना पड़ता है। क्या कहते हैं व्यापारीफुटपाथ तो नाम के लिए भी नहीं हैं। जो जगह पैदल चलने के लिए होनी चाहिए, वहां दुकानें लगी हुई हैं। ऐसे में हमारा व्यापार प्रभावित होता है। लोगों को भी परेशानी होती है।
गिरीश धस्माना, व्यापारी धर्मपुर मेरी समझ में ये नहीं आता है कि फुटपाथों पर कब्जा करने की छूट क्यों दी जाती है। मेरा मानना है कि फुटपाथों पर कब्जा करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मोटा जुर्माना वसूलना चाहिए। अनिल कुमार, व्यापारी इंदिरा नगर देहरादून में फुटपाथ का तो कॉन्सेप्ट ही खत्म हो गया है। या तो फुटपाथ हैं ही नहीं और कहीं कसम खाने लायक हैं भी तो वहां लोग दुकाने लगाकर बैठ जाते हैं। होना तो यह चाहिए कि हर सड़क पर अच्छे फुटपाथ हों, पर करेगा कौन? राहुल सोनकर, व्यापारी पलटन बाजार देहरादून सिटी में लोग काफी संख्या में पैदल चलते हैं। दिन में खरीदारों और सुबह शाम टहलने वालों को काफी संख्या में देखा जा सकता है। फुटपाथ न होने से लोग सड़कों पर चलते हैं और एक्सीडेंट होने की संभावना बनी रहती है। हनीश कुमार, व्यापारी जीएमएस रोड